उपेक्ष्य और तिरस्कृत एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- उपेक्ष्य और तिरस्कृत।
प्रयोग- मेरी बच्ची कोई गिरी-पड़ी तो नहीं है कि जो आए उसके हाथ में थमा दे।-- भूषण वनमाली।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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