तीरथ सिंह रावत

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तीरथ सिंह रावत
तीरथ सिंह रावत
पूरा नाम तीरथ सिंह रावत
जन्म 9 अप्रॅल, 1964
जन्म भूमि सीरों गांव, कल्जीखाल ब्लाक, उत्तराखंड
अभिभावक पिता- कलम सिंह रावत

माता- गौरी देवी

पति/पत्नी डॉ. रश्मि रावत
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड - 10 मार्च, 2021 से 4 जुलाई, 2021 तक
शिक्षा एमए (समाजशास्त्र), डिप्लोमा (पत्रकारिता)
विद्यालय गढ़वाल विश्वविद्यालय
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
अन्य जानकारी साल 2017 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह रावत गढ़वाल सीट से चुनाव लड़े और 2.85 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्जकर लोकसभा पहुंचे।
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तीरथ सिंह रावत (अंग्रेज़ी:Tirath Singh Rawat, जन्म- 9 अप्रॅल, 1964) भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने भारतीय राज्य उत्तराखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। 10 मार्च, 2021 को उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कराई गयी थी। तीरथ सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का स्थान ग्रहण किया था। वह फ़रवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और चौबट्टाखाल से भूतपूर्व विधायक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया था। बीजेपी विधायक दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत के नाम पर फैसला होने के बाद पर्यवेक्षक रमन सिंह ने तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया था। तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री बनाये गये हैं।

परिचय

तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल, 1964 को उत्तराखंड के कल्जीखाल ब्लाक के सीरों गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम कलम सिंह रावत और मां का नाम गौरी देवी है। अपने भाइयों में तीरथ सिंह रावत सबसे छोटे हैं। उनकी पत्नी का नाम डॉ. रश्मि रावत है। वह डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

शिक्षा

तीरथ सिंह रावत ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने समाजशास्त्र में एमए किया और फिर पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल किया।

सियासत

तीरथ सिंह रावत का बचपन से ही संघ से जुड़ाव रहा है। उन्होंने अपना सियासी सफ़र छात्र राजनीति से शुरू किया। वह 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' से जुड़े रहे हैं। साथ ही संघ से भी उनका गहरा नाता रहा। यहीं कारण है कि महज 20 साल की उम्र में ही तीरथ सिंह रावत संघ के प्रांत प्रचारक बन गए थे। यहीं नहीं वह रामजन्मभूमि आंदोलन में दो माह तक जेल में भी रहे। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखंड राज्य के लिए हुए आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले साल 1992 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से गढ़वाल विवि बिड़ला परिसर श्रीनगर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद एबीवीपी के प्रदेश संगठन मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी काम किया।

राज्य के प्रथम शिक्षामंत्री

तीरथ सिंह रावत पहली बार साल 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने। इसके बाद जब उत्तराखंड अलग राज्य बना तो साल 2000 में उत्तराखंड के पहले शिक्षामंत्री बने। इसके बाद तीरथ सिंह रावत प्रदेश भाजपा के अलग-अलग पदों पर काम करते रहे। साल 2013 में उनको उत्तराखंड भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। साल 2017 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह रावत गढ़वाल सीट से चुनाव लड़े और 2.85 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्जकर लोकसभा पहुंचे।

मुख्यमंत्री

उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा में कई दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने तीरथ सिंह रावत को अगला मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। दरअसल पार्टी ने यह फैसला जातीय व क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए लिया था। साथ ही तीरथ सिंह रावत का संघ की पृष्ठभूमि से होना भी उनके लिए फायदेमंद रहा। तीरथ सिंह रावत जमीनी नेता के तौर पर जाने जाते हैं। संगठन और सरकार दोनों में उनका अनुभव है। यहीं कारण है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था।


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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

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