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राजन्य पाणिनिकालीन भारतवर्ष में अंधक-वृष्णि संघ के अंतर्गत जो अभीषिक्तिवंश्य क्षत्रिय थे, उन्हें ही कहते थे।[1][2]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 6/2/34 काशिका राजन्यग्रहणमिहाभिषिक्त्त वंशायानाम क्षत्रियाणां ग्रहणा ग्रहणार्थम्
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 104 |

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