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पाणिनिकालीन भारतवर्ष के पूर्वी भागों में स्त्रियों के नाम में ‘आयन’ प्रत्यय का बहुधा प्रयोग होता था (प्राचां ष्फ तद्धित:), जैसे- गर्ग गोत्र की स्त्री पूर्व में ‘गार्ग्यायणी’ और अन्यत्र ‘गार्गी’ कहलाती थी।[1]
इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 101-102 |