"अभिज्ञान शाकुन्तलम्" के अवतरणों में अंतर
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*भारतीय आलोचकों ने ’काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला’ कहकर इस नाटक की प्रशंसा की है। | *भारतीय आलोचकों ने ’काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला’ कहकर इस नाटक की प्रशंसा की है। | ||
*भारतीय आलोचकों के समान ही विदेशी आलोचकों ने भी इस नाटक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। | *भारतीय आलोचकों के समान ही विदेशी आलोचकों ने भी इस नाटक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। | ||
− | *जब सन 1791 में जार्जफ़ोस्टर ने इसका जर्मनी में अनुवाद किया, तो उसे देखकर जर्मन विद्वान गेटे इतने गद्गद हुए कि उन्होंने उसकी प्रशंसा में एक कविता लिख डाली थी। | + | *जब सन 1791 में '''जार्जफ़ोस्टर''' ने इसका जर्मनी में अनुवाद किया, तो उसे देखकर जर्मन '''विद्वान गेटे''' इतने गद्गद हुए कि उन्होंने उसकी प्रशंसा में एक कविता लिख डाली थी। |
12:02, 16 जुलाई 2011 का अवतरण
- अभिज्ञानशाकुन्तलम़् न केवल संस्कृत - साहित्य का, अपितु विश्वसाहित्य का सर्वोत्कृष्ट नाटक है।
- यह कालिदास की अन्तिम रचना है।
- इसके सात अंकों में राजा दुष्यन्त और शकुन्तला की प्रणय-कथा का वर्णन है।
- इसका कथानक महाभारत के आदि पर्व के शकुन्तलोपाख्यान से लिया गया है।
- कण्व के माध्यम से एक पिता का पुत्री को दिया गया उपदेश आज 2,000 वर्षों के बाद भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उस समय में था।
- भारतीय आलोचकों ने ’काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला’ कहकर इस नाटक की प्रशंसा की है।
- भारतीय आलोचकों के समान ही विदेशी आलोचकों ने भी इस नाटक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।
- जब सन 1791 में जार्जफ़ोस्टर ने इसका जर्मनी में अनुवाद किया, तो उसे देखकर जर्मन विद्वान गेटे इतने गद्गद हुए कि उन्होंने उसकी प्रशंसा में एक कविता लिख डाली थी।
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