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− | मैसूर अति सुन्दर परिष्कृत | + | मैसूर को अति सुन्दर परिष्कृत नगरों में गिना जाता है। यह एक पर्यटन स्थल भी है। यहाँ कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। मैसूर में क़िले, पहाड़ियाँ एवं झीलें भी हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ ऐतिहासिक महत्त्व की जगहों के अलावा भी ऐसी बहुत सी जगह हैं, जहाँ पर्यटक जा सकते हैं। यह शहर सिर्फ़ बड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखता है। |
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− | *वृंदावन गार्डन, कर्नाटक राज्य, मैसूर शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | + | *वृंदावन गार्डन, [[कर्नाटक]] राज्य, मैसूर शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। |
*यह ख़ूबसूरत गार्डन [[कावेरी नदी]] पर बने कृष्णराज सागर बांध के नीचे है। | *यह ख़ूबसूरत गार्डन [[कावेरी नदी]] पर बने कृष्णराज सागर बांध के नीचे है। | ||
*इस गार्डन की नींव [[1927]] में रखी गयी थी और इसका निर्माण कार्य [[1932]] में पूरा हुआ था। | *इस गार्डन की नींव [[1927]] में रखी गयी थी और इसका निर्माण कार्य [[1932]] में पूरा हुआ था। | ||
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− | *जगनमोहन महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वाडियर ने 1861 में करवाया था। | + | *जगनमोहन महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वाडियर ने सन 1861 में करवाया था। |
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− | *चामुंडेश्वरी मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है। | + | *चामुंडेश्वरी मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध [[सोना|सोने]] की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है। |
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*वर्तमान में इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से जाना जाता है। | *वर्तमान में इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से जाना जाता है। | ||
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*सेंट फिलोमेना चर्च के भूमिगत कमरे में तीसरी शताब्दी के संत की प्रतिमा स्थापित है। | *सेंट फिलोमेना चर्च के भूमिगत कमरे में तीसरी शताब्दी के संत की प्रतिमा स्थापित है। | ||
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*कृष्णराज सागर बाँध [[1932]] में बनाया गया था। | *कृष्णराज सागर बाँध [[1932]] में बनाया गया था। | ||
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− | *कृष्णराज सागर बाँध की लंबाई 8600 फीट, ऊँचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किलोमीटर है। | + | *कृष्णराज सागर बाँध की लंबाई 8600 फीट, ऊँचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किलोमीटर है। |
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− | *जी. आर. एस फैंटेसी पार्क मैसूर का एकमात्र पानी का मनोरंजन पार्क है। | + | *जी. आर. एस फैंटेसी पार्क [[मैसूर]] का एकमात्र पानी का मनोरंजन पार्क है। |
− | * | + | *इस पार्क के मुख्य आकर्षण पानी के खेल, रोमांचक सवारी और बच्चों के लिए तालाब हैं। |
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− | *मैसूर चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। | + | *मैसूर का चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। |
− | *मैसूर चिड़ियाघर में [[हाथी]], [[सफ़ेद रंग | + | *इस चिड़ियाघर का निर्माण सन [[1892]] में शाही संरक्षण में हुआ था। |
+ | *मैसूर चिड़ियाघर में [[हाथी]], [[सफ़ेद रंग]] वाले [[मोर]], [[दरियाई घोड़ा|दरियाई घोड़े]], गैंडे और गोरिल्ला भी देखे जा सकते हैं। | ||
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− | *रेल संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित | + | *मैसूर का रेल संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सी.एफ.टी. रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने स्थित है। |
− | *[[1979]] में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा संग्रह है। | + | *वर्ष [[1979]] में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा-ख़ासा संग्रह है। |
*रेल संग्रहालय बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनके ज्ञान को भी बढ़ाता है। | *रेल संग्रहालय बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनके ज्ञान को भी बढ़ाता है। | ||
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− | * | + | *मैसूर का नंजनगुड नगर [[कबीनी नदी]] के किनारे दक्षिण में राजमार्ग संख्या 17 पर है। |
− | *दक्षिण [[काशी]] कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित | + | *दक्षिण की [[काशी]] कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित [[शिवलिंग]] के बारे में माना जाता है कि इसकी स्थापना [[गौतम|गौतम ऋषि]] ने की थी। |
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− | *यहाँ का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/ बाहुबली स्तंभ है। [[बाहुबलि]] मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम तीर्थंकर थे। | + | *यहाँ का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/बाहुबली स्तंभ है। |
− | * | + | *[[बाहुबलि]] मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम [[तीर्थंकर]] थे। |
+ | *श्रवणबेलगोला में [[जैन]] तपस्वी की 983 ई. में स्थापित 57 फुट लंबी प्रतिमा है। इसका निर्माण राजा रचमल्ला के एक सेनापति ने कराया था। | ||
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− | *यह छोटा गाँव मैसूर के पूर्व में [[कावेरी नदी]] के किनारे बसा है। | + | *यह एक छोटा-सा गाँव है, जो मैसूर के पूर्व में [[कावेरी नदी]] के किनारे बसा है। |
− | *यहाँ का मुख्य आकर्षण केशव मंदिर है जिसका निर्माण 1268 में होयसल सेनापति | + | *यहाँ का मुख्य आकर्षण केशव मंदिर है, जिसका निर्माण 1268 में [[होयसल वंश]] के सेनापति सोमनाथ दंडनायक ने करवाया था। |
− | *[[सितार]] के आकार के चबूतरे पर बने इस मंदिर को मूर्तियों से सजाया गया है। | + | *[[सितार]] के आकार के चबूतरे पर बने इस मंदिर को मूर्तियों से सजाया गया है। मंदिर में तीन गर्भगृह हैं। |
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12:18, 31 दिसम्बर 2012 का अवतरण
महाराजा पैलेस, मैसूर |
जगनमोहन महल, मैसूर |
चामुंडी पहाड़ी, मैसूर |
सेंट फिलोमेना चर्च मैसूर |
कृष्णराज सागर बाँध, मैसूर |
तेंदुआ, मैसूर चिड़ियाघर |
रेल संग्रहालय, मैसूर |
नंजनगुड मंदिर, मैसूर |
सोमनाथपुर, मैसूर |
मैसूर दशहरे में जम्बू सवारी |
मैसूर शहर, दक्षिण मध्य कर्नाटक, भूतपूर्व मैसूर राज्य, दक्षिणी भारत में है। यह चामुंडी पहाड़ी के पश्चिमोत्तर में 770 मीटर की ऊँचाई पर लहरदार दक्कन पठार पर कावेरी नदी व कबीनी नदी के बीच स्थित है।
पर्यटन स्थल
मैसूर को अति सुन्दर परिष्कृत नगरों में गिना जाता है। यह एक पर्यटन स्थल भी है। यहाँ कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। मैसूर में क़िले, पहाड़ियाँ एवं झीलें भी हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ ऐतिहासिक महत्त्व की जगहों के अलावा भी ऐसी बहुत सी जगह हैं, जहाँ पर्यटक जा सकते हैं। यह शहर सिर्फ़ बड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखता है।
वृन्दावन गार्डन
- वृंदावन गार्डन, कर्नाटक राज्य, मैसूर शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यह ख़ूबसूरत गार्डन कावेरी नदी पर बने कृष्णराज सागर बांध के नीचे है।
- इस गार्डन की नींव 1927 में रखी गयी थी और इसका निर्माण कार्य 1932 में पूरा हुआ था।
महाराजा पैलेस
- मैसूर महल मिर्जा रोड पर स्थित भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है।
- जब लकड़ी का महल जल गया था, तब इस महल का निर्माण कराया गया था।
- वर्ष 1912 में बने इस महल का नक़्शा ब्रिटेन के हेनरी इर्विन ने बनाया था।
- बहुमूल्य रत्नों से सजे यहाँ के सिंहासन को 'दशहरा उत्सव' के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है।
जगनमोहन महल
- जगनमोहन महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वाडियर ने सन 1861 में करवाया था।
- यह महल 1915 में श्री जयचमाराजेंद्र आर्ट गैलरी का रूप दे दिया गया, जहाँ मैसूर और तंजौर शैली की तस्वीरें, मूर्तियाँ और दुर्लभ वाद्ययंत्र रखे गए हैं।
चामुंडी पहाड़ी
- इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर स्थित है, जो देवी दुर्गा को समर्पित है।
- मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है।
- चामुंडेश्वरी मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है।
सेंट फिलोमेना चर्च
- वर्तमान में इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से जाना जाता है।
- वर्ष 1933 में बना यह चर्च भारत के सबसे बड़े चर्चों में से एक है।
- सेंट फिलोमेना चर्च के भूमिगत कमरे में तीसरी शताब्दी के संत की प्रतिमा स्थापित है।
कृष्णराज सागर बाँध
- कृष्णराज सागर बाँध 1932 में बनाया गया था।
- इस बाँध को के. आर. एस बाँध भी कहा जाता है।
- बाँध भारत की आज़ादी से पहले की सिविल इंजीनियरिंग का नमूना है।
- कृष्णराज सागर बाँध की लंबाई 8600 फीट, ऊँचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किलोमीटर है।
जी. आर. एस फैंटेसी पार्क
- जी. आर. एस फैंटेसी पार्क मैसूर का एकमात्र पानी का मनोरंजन पार्क है।
- इस पार्क के मुख्य आकर्षण पानी के खेल, रोमांचक सवारी और बच्चों के लिए तालाब हैं।
मैसूर चिड़ियाघर
- मैसूर का चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है।
- इस चिड़ियाघर का निर्माण सन 1892 में शाही संरक्षण में हुआ था।
- मैसूर चिड़ियाघर में हाथी, सफ़ेद रंग वाले मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला भी देखे जा सकते हैं।
रेल संग्रहालय
- मैसूर का रेल संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सी.एफ.टी. रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने स्थित है।
- वर्ष 1979 में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा-ख़ासा संग्रह है।
- रेल संग्रहालय बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनके ज्ञान को भी बढ़ाता है।
मैसूर के आसपास के दर्शनीय स्थल
नंजनगुड मंदिर
- मैसूर का नंजनगुड नगर कबीनी नदी के किनारे दक्षिण में राजमार्ग संख्या 17 पर है।
- दक्षिण की काशी कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित शिवलिंग के बारे में माना जाता है कि इसकी स्थापना गौतम ऋषि ने की थी।
श्रवणबेलगोला
- यहाँ का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/बाहुबली स्तंभ है।
- बाहुबलि मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम तीर्थंकर थे।
- श्रवणबेलगोला में जैन तपस्वी की 983 ई. में स्थापित 57 फुट लंबी प्रतिमा है। इसका निर्माण राजा रचमल्ला के एक सेनापति ने कराया था।
सोमनाथपुर
- यह एक छोटा-सा गाँव है, जो मैसूर के पूर्व में कावेरी नदी के किनारे बसा है।
- यहाँ का मुख्य आकर्षण केशव मंदिर है, जिसका निर्माण 1268 में होयसल वंश के सेनापति सोमनाथ दंडनायक ने करवाया था।
- सितार के आकार के चबूतरे पर बने इस मंदिर को मूर्तियों से सजाया गया है। मंदिर में तीन गर्भगृह हैं।
मैसूर दशहरा
मैसूर में मनाया जाने वाला का दशहरा सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मैसूर में छ: सौ सालों से अधिक पुरानी परंपरा वाला यह पर्व ऐतिहासिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही, साथ ही यह कला, संस्कृति और आनंद का भी अद्भुत सामंजस्य है। पारंपरिक उत्साह एवं धूमधाम के साथ दस दिनों तक मनाया जाने वाला मैसूर का 'दशहरा उत्सव' देवी दुर्गा (चामुंडेश्वरी) द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। अर्थात यह बुराई पर अच्छाई, तमोगुण पर सत्गुण, दुराचार पर सदाचार या दुष्कर्मों पर सत्कर्मों की जीत का पर्व है। इस उत्सव के द्वारा सभी को माँ की भक्ति में सराबोर किया जाता है। शहर की अद्भुत सजावट एवं माहौल को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो स्वर्ग से सभी देवी-देवता मैसूर की ओर प्रस्थान कर आये हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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