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<blockquote>'तत: स रत्नान्यादाय पुन: प्रायाद् युधाम्पति: तत: शूर्पारकं चैव तालाकट मथापिच, वशेचक्रे महातेजा दंडकांश्च महाबल:'<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 31, 65-66.</ref></blockquote>
 
<blockquote>'तत: स रत्नान्यादाय पुन: प्रायाद् युधाम्पति: तत: शूर्पारकं चैव तालाकट मथापिच, वशेचक्रे महातेजा दंडकांश्च महाबल:'<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 31, 65-66.</ref></blockquote>
  
*[[पाण्डव]] [[सहदेव]] ने इस स्थान को अपनी दिग्विजय यात्रा में विजित किया था। इसकी स्थिति शूर्पारक या वर्तमान [[सोपारा]] के निकट रही होगी।
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*[[पाण्डव]] [[सहदेव]] ने इस स्थान को अपनी दिग्विजय यात्रा में विजित किया था। इसकी स्थिति [[शूर्पारक]] या वर्तमान [[सोपारा]] के निकट रही होगी।
 
*किसी समय तालाकट में 30 से भी अधिक मन्दिर थे। अब कई मन्दिर रेत में समा गये हैं।
 
*किसी समय तालाकट में 30 से भी अधिक मन्दिर थे। अब कई मन्दिर रेत में समा गये हैं।
 
*अब यह एक आध्यात्मिक और तीर्थ यात्रा केन्द्र है।
 
*अब यह एक आध्यात्मिक और तीर्थ यात्रा केन्द्र है।

10:49, 25 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

तालाकट कावेरी नदी के बाएँ किनारे पर स्थित रेगिस्तान की तरह का शहर है। यहाँ कावेरी नदी एक तेज मोड़ बनाती है। तालाकट मैसूर, कर्नाटक से 45 कि.मी तथा बैंगलोर से 133 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह एक ऐतिहासिक स्थल है।

'तत: स रत्नान्यादाय पुन: प्रायाद् युधाम्पति: तत: शूर्पारकं चैव तालाकट मथापिच, वशेचक्रे महातेजा दंडकांश्च महाबल:'[1]

  • पाण्डव सहदेव ने इस स्थान को अपनी दिग्विजय यात्रा में विजित किया था। इसकी स्थिति शूर्पारक या वर्तमान सोपारा के निकट रही होगी।
  • किसी समय तालाकट में 30 से भी अधिक मन्दिर थे। अब कई मन्दिर रेत में समा गये हैं।
  • अब यह एक आध्यात्मिक और तीर्थ यात्रा केन्द्र है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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