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− | ||कम्प्यूटर कला का आशय, किसी भी ऐसे कला के उत्पादन या प्रदर्शन से है जिसमें [[कम्प्यूटर]] की भूमिका हो। कम्प्यूटर [[कला]] से जुड़े कलाकार मैनफ्रेड मोर, रोनाल्ड डेविस, जोसेफ़ नेवटाल आदि अमेरिका के चित्रकार हैं। कम्प्यूटर कला का विकास मुख्य तौर पर 'माइक्रोसोफ्ट' के आने के बाद | + | ||कम्प्यूटर कला का आशय, किसी भी ऐसे कला के उत्पादन या प्रदर्शन से है जिसमें [[कम्प्यूटर]] की भूमिका हो। कम्प्यूटर [[कला]] से जुड़े कलाकार मैनफ्रेड मोर, रोनाल्ड डेविस, जोसेफ़ नेवटाल आदि अमेरिका के चित्रकार हैं। कम्प्यूटर कला का विकास मुख्य तौर पर 'माइक्रोसोफ्ट' के आने के बाद तेज़ीसे हुआ। इस आधार पर कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर कला के प्रसिद्ध चित्रकार [[अमेरिका]] के हैं। |
{[[2014]] में [[क्रिकेट]] खेलते समय किस खिलाड़ी की बॉल लगने से [[मृत्यु]] हो गई? | {[[2014]] में [[क्रिकेट]] खेलते समय किस खिलाड़ी की बॉल लगने से [[मृत्यु]] हो गई? | ||
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.[[जयदेव]] बंगाल के सेनवंश के अंतिम नरेश [[लक्ष्मण सेन]] के आश्रित महाकवि थे। | .[[जयदेव]] बंगाल के सेनवंश के अंतिम नरेश [[लक्ष्मण सेन]] के आश्रित महाकवि थे। | ||
.गुरुग्रंथ साहिब में भी भगत जयदेव का नाम लिखा है जो 'गीत गोविन्द' के रचयिता हैं। | .गुरुग्रंथ साहिब में भी भगत जयदेव का नाम लिखा है जो 'गीत गोविन्द' के रचयिता हैं। | ||
− | .'गीत गोविंद' में | + | .'गीत गोविंद' में श्रृंगार रस का वर्णन हैं। |
.'गीत गोविंद' की रचना शैली की प्रशंसा में मैकडॉनल ने कहा है- 'सौन्दर्य में, संगीतमय वचनोपन्यास में और रचना के सौष्ठव में संपूर्ण संस्कृत साहित्य में '[[गीत गोविंद]]' काव्य शैली की उपमा नहीं मिलती। [[काव्य]] के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि कवि में कहीं लद्यु पदों की वेगवती धारा द्वारा, तो कहीं चातुर्य के साथ रचित दीर्घ समासों की लयपूर्ण गति द्वारा अपने पाठकों-श्रोताओं पर यथेष्ठ प्रभाव डालने के अद्भुत क्षमता है। [[कवि]] नाना छंदों के प्रयोग में ही सिद्धहस्त नहीं, अपितु चरणों के मध्य और अंत में तुकात्मकता लाने में भी अद्वितीय है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयदेव]] | .'गीत गोविंद' की रचना शैली की प्रशंसा में मैकडॉनल ने कहा है- 'सौन्दर्य में, संगीतमय वचनोपन्यास में और रचना के सौष्ठव में संपूर्ण संस्कृत साहित्य में '[[गीत गोविंद]]' काव्य शैली की उपमा नहीं मिलती। [[काव्य]] के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि कवि में कहीं लद्यु पदों की वेगवती धारा द्वारा, तो कहीं चातुर्य के साथ रचित दीर्घ समासों की लयपूर्ण गति द्वारा अपने पाठकों-श्रोताओं पर यथेष्ठ प्रभाव डालने के अद्भुत क्षमता है। [[कवि]] नाना छंदों के प्रयोग में ही सिद्धहस्त नहीं, अपितु चरणों के मध्य और अंत में तुकात्मकता लाने में भी अद्वितीय है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयदेव]] | ||
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