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12:04, 23 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

एक शहर की कहानी -अवतार एनगिल
पुस्तक सूर्य से सूर्य तक का आवरण पृष्ठ
कवि अवतार एनगिल
मूल शीर्षक सूर्य से सूर्य तक
देश भारत
पृष्ठ: 88
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अवतार एनगिल की रचनाएँ




मेरे आबाद शहर में
तंग रास्तों पर
चलती है
बरबाद भीड़ें
और कुलबुलाते हैं
बड़े कैलेण्डरों वाले छोटे कमरों में
शापित भगवान

मेरे शहर के रोज़गार के दफ़्तर के दरवाज़ों पर
भटकते हैं
रोज़ी तलाशते आदमियों के रेवड़

इसी नये शहर की पुरानी एक गली में
रहती है, बुधिया की बहू, बुंदू की बीवी
दो बेटियों की मां
एक बेटे की लालसा लिए
हर रोज़ एक सपना बुनती है

इधर शहर के शमशान में
पंजों के बल चलती है
सर्द सुनहरी शाम संग
लम्बे दांतों वाली एक चुड़ैल
बुनती है जो
करोड़ों जादुई रंगों के जाल
लहराती है काले बाल
बुंदू की बीवी नहीं जानती
क्यों नाचती है भूख की डायन
उसके आंगन में
कि क्यों जलते हैं हर रोज़
उसकी रसोई में
पेटों के अलाव ?

गठिये का मरीज़ सठियाया ससुर
लगातार बोलती बीमार मां
चिड़्चिड़ाता ख़ाबिंद
मांस नोचती बेटियां दो
और सपने सहेजती---बूंदू की बीवी

हर रोज़ मेरे नये शहर में
पुराने पीपल की बूढ़ी शाखाओं पर
निगलता है रात का अजगर
सांझ के सूरज की सिंदूरी मणि

और पेटों के अलाव भूलकर
बूंदू की बीवी
बुधिया की बहू
हर रोज़ एक सपना बुनती है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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