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− | ||ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ फिलिप ह्यूज का सिडनी में इलाज के दौरान [[27 नवंबर]], [[2014]] को निधन हो गया। इन्हें [[25 नवंबर]], 2014 को सिडनी क्रिकेट ग्रांउड में शेफ्रील्ड शील्ड मैच के दौरान न्यू साउथ वेल्थ के गेंदबाज़ एबॉट की एक बाउंसर गेंद से गर्दन पर चोट लगी थी। उस समय वे 63 रन पर खेल रहे थे। | + | ||ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ [[फिलिप ह्यूज]] का सिडनी में इलाज के दौरान [[27 नवंबर]], [[2014]] को निधन हो गया। इन्हें [[25 नवंबर]], 2014 को सिडनी क्रिकेट ग्रांउड में शेफ्रील्ड शील्ड मैच के दौरान न्यू साउथ वेल्थ के गेंदबाज़ एबॉट की एक बाउंसर गेंद से गर्दन पर चोट लगी थी। उस समय वे 63 रन पर खेल रहे थे। |
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.'गीत गोविंद' की रचना शैली की प्रशंसा में मैकडॉनल ने कहा है- 'सौन्दर्य में, संगीतमय वचनोपन्यास में और रचना के सौष्ठव में संपूर्ण संस्कृत साहित्य में '[[गीत गोविंद]]' काव्य शैली की उपमा नहीं मिलती। [[काव्य]] के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि कवि में कहीं लद्यु पदों की वेगवती धारा द्वारा, तो कहीं चातुर्य के साथ रचित दीर्घ समासों की लयपूर्ण गति द्वारा अपने पाठकों-श्रोताओं पर यथेष्ठ प्रभाव डालने के अद्भुत क्षमता है। [[कवि]] नाना छंदों के प्रयोग में ही सिद्धहस्त नहीं, अपितु चरणों के मध्य और अंत में तुकात्मकता लाने में भी अद्वितीय है। | .'गीत गोविंद' की रचना शैली की प्रशंसा में मैकडॉनल ने कहा है- 'सौन्दर्य में, संगीतमय वचनोपन्यास में और रचना के सौष्ठव में संपूर्ण संस्कृत साहित्य में '[[गीत गोविंद]]' काव्य शैली की उपमा नहीं मिलती। [[काव्य]] के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि कवि में कहीं लद्यु पदों की वेगवती धारा द्वारा, तो कहीं चातुर्य के साथ रचित दीर्घ समासों की लयपूर्ण गति द्वारा अपने पाठकों-श्रोताओं पर यथेष्ठ प्रभाव डालने के अद्भुत क्षमता है। [[कवि]] नाना छंदों के प्रयोग में ही सिद्धहस्त नहीं, अपितु चरणों के मध्य और अंत में तुकात्मकता लाने में भी अद्वितीय है। | ||
− | { | + | {[[चंबा]] किस कार्य के लिए प्रसिद्ध है? |
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+रूमालों का कार्य | +रूमालों का कार्य | ||
− | - | + | -[[पटचित्र]] |
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-[[काग़ज़]] पर बने चित्र | -[[काग़ज़]] पर बने चित्र | ||
− | ||चम्बा ([[हिमाचल प्रदेश]]) [[दूध]] और [[शहद]] की घाटी के नाम से विख्यात मंदिरों, घास के मैदानों, नदियों, पेंटिंग, रूमाल एवं झील के लिए भी जाना जाता है। रूमालों पर की जाने वाली कढ़ाई 'कसीदाकारी' कहलाती है। कढ़ाई वाले ये रूमाल दुल्हन के दहेज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। सूती या रेशमी रूमाल पर रंगीन रेशमी धागे से की गई कढ़ाई रूमाल के दोनों तरफ दिखाई देती है। इस [[कला]] का प्रारंभ राजाओं की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। | + | ||चम्बा ([[हिमाचल प्रदेश]]) [[दूध]] और [[शहद]] की घाटी के नाम से विख्यात मंदिरों, घास के मैदानों, नदियों, पेंटिंग, रूमाल एवं [[झील]] के लिए भी जाना जाता है। रूमालों पर की जाने वाली कढ़ाई 'कसीदाकारी' कहलाती है। कढ़ाई वाले ये रूमाल दुल्हन के दहेज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। सूती या रेशमी रूमाल पर रंगीन रेशमी धागे से की गई कढ़ाई रूमाल के दोनों तरफ दिखाई देती है। इस [[कला]] का प्रारंभ राजाओं की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। |
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11:13, 3 नवम्बर 2017 का अवतरण
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