आदित्यगण
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आदित्यगण देवमाता अदिति और कश्यप के पुत्रों को कहा जाता है, जो पहले चाक्षुष मन्वन्तर में बैकुंठ नामक साध्यगण हुए थे।[1]
- वैवस्वत मन्वन्तर आने पर अदिति द्वारा आराधित आदित्यों ने एकमत होकर कहा- 'हम योगबल से आधे तेज वाले होकर इसी के पुत्र हैं'।[2]
- आदित्यगण प्रथम त्रेता युगारंभ के वैवस्वत काल के देवता हैं, जिन्हें 'जयदेव' कहा जाता है।[3]
- चाक्षुष युग में बारह आदित्यगणों को 'तुषितगण' कहते थे।[4] इन बारह आदित्यों के नाम इस प्रकार हैं-
- इन्द्र
- धातृ
- भग
- त्वष्टा
- मित्र
- वरुण
- अर्यमन्
- विवस्वत्
- सवितृ
- पूषन्
- अंशुमत्
- विष्णु[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संपादन: राणा प्रसाद शर्मा |पृष्ठ संख्या: 44 |
- ↑ ब्रह्मांडपुराण 2.38.3; 3.1.61; 3.57.61; 67-8; 4.34; मत्स्यपुराण 171.55; वायुपुराण 30.83,99, 1,187, 268; विष्णुपुराण 1.15-128-131
- ↑ भागवतपुराण 8.13.4; 6.7.2; 10.17; मत्स्यपुराण 9.29
- ↑ वायुपुराण 67.44; मत्स्यपुराण 6.3; विष्णुपुराण 1.15.134
- ↑ भागवतपुराण 12.11.30-45; ब्रह्मांडपुराण 2.24.33-4, 75; मत्स्यपुराण 132.3; 247.10; विष्णुपुराण 1.15.13.-3
- ↑ वायुपुराण 101.30