मुईनुद्दीन चिश्ती
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
पूरा नाम ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह (जन्म:1441 - मृत्यु: 1230) एक प्रसिद्ध सूफ़ी संत थे। मुईनुद्दीन चिश्ती ने 12वीं शताब्दी में अजमेर में चिश्ती परंपरा की स्थापना की।
जीवन परिचय
- ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का जन्म ईरान में हुआ था। बचपन से ही उनका मन सांसारिक चीजों से विरक्त था। अपने जीवन के कुछ पड़ाव वहाँ बिताने के बाद वे भारत आ गए।
- वे मानव प्रेम व मानव सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य मानते थे। 50 वर्ष की आयु में ख्वाजा जी ने भारत का रुख किया और बाकी उम्र अजमेर में गुजारी।
- मुईनुद्दीन चिश्ती हमेशा से ईश्वर से दुआ करते थे कि वह उनके सभी भक्तों का दुख-दर्द उन्हें दे दे तथा उनके जीवन को खुशियों से भर दे।
- मोईनुद्दीन चिश्ती ने कभी भी अपने उपदेश किसी किताब में नहीं लिखे और न ही उनके किसी शिष्य ने उन शिक्षाओं को संकलित किया।
- चिश्ती ने हमेशा राजशाही, लोभ, मोह का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अपने आचरण को नदी की तरह पावन व पवित्र बनाओ तथा किसी भी तरह से इसे दूषित न होने देना चाहिए। सभी धर्मो को एक दूसरे का आदर करना चाहिए और धार्मिक सहिष्णुता रखनी चाहिए। ग़रीब पर हमेशा अपनी करुणा दिखानी चाहिए तथा यथासंभव उसकी मदद करनी चाहिए। संसार में ऐसे लोग हमेशा पूजे जाते हैं और मानवता की मिसाल कायम करते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख