"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {स्वर्णिम सिद्धांत के अनुसार [[काग़ज़]] पर चित्र को किस अनुपात में रखा जाता है। (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-174,प्रश्न-64 | ||
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|| | ||स्वर्णिम सिद्धांत के अनुसार [[काग़ज़]] पर चित्र को रखने उकेरने की शुरुआत फिबोनाची श्रेणी के अनुरूप सर्पिल घुमाव के साथ की जाती है। इस सिद्धांत के अनुसार [[काग़ज़]] पर चित्र को 2:3 अनुपात में रखा जाता है। | ||
{किसी ठोस घन की कितनी सतहें होती हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-42 | {किसी ठोस घन की कितनी सतहें होती हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-42 | ||
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+लिथोग्राफी | +लिथोग्राफी | ||
-लेटर | -लेटर | ||
||जॉन सेनेफील्डर (जर्मन) ने | ||जॉन सेनेफील्डर (जर्मन) ने लिथोग्राफ़ी का आविष्कार किया था। वर्ष 1789 में उन्होंने फ्लैट-सर्फेस प्रिंटिंग (आधुनिक लिथोग्राफ़ी) की खोज की। सेनेफील्डर ने बाद में [[संगीत]] संपादक जॉन एंटोन एंड्रे के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अन्य लोगों को लिथोग्राफ़ी में प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया। | ||
{काग़ज़ की कतरनों से बनाए जाने वाले चित्र को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-16 | {काग़ज़ की कतरनों से बनाए जाने वाले चित्र को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-16 | ||
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-ग्राफिक्स | -ग्राफिक्स | ||
{[[रामधारी सिंह 'दिनकर'|रामधारी सिंह 'दिनकर]]' को किस 'ग्रंथ' के लिए ज्ञानपीठ मिला था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-183,प्रश्न-16 | {[[रामधारी सिंह 'दिनकर'|रामधारी सिंह 'दिनकर]]' को किस 'ग्रंथ' के लिए [[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]] मिला था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-183,प्रश्न-16 | ||
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-[[ययाति]] | -[[ययाति]] | ||
-चित्त पावन | -चित्त पावन | ||
-मृत्युन्जय | -मृत्युन्जय | ||
+[[उर्वशी]] | +[[उर्वशी -रामधारी सिंह दिनकर|उर्वशी]] | ||
||[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] को उनकी रचना 'उर्वशी' के लिए वर्ष [[1972]] में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया था। | ||[[रामधारी सिंह 'दिनकर']] को उनकी रचना 'उर्वशी' के लिए वर्ष [[1972]] में [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] प्रदान किया था। | ||
{[[भारत]] में सबसे अधिक वर्षा कहां होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-190,प्रश्न-47 | {[[भारत]] में सबसे अधिक [[वर्षा]] कहां होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-190,प्रश्न-47 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-टिहरी | -[[टिहरी गढ़वाल]] | ||
+मॉसिनराम | +मॉसिनराम | ||
-[[माथेरान]] | -[[माथेरान]] | ||
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||गिनीज बुक के अनुसार, सर्वाधिक वर्षा मॉसिनराम ([[मेघालय]]) में होती है। यहां पर वार्षिक वर्षा, 11,873 मिमी. होती है। जिनमें सर्वाधिक मानसून के दौरान जून-सितंबर के मध्य वर्ष होती है। इस मामले में दूसरे स्थान पर चेरापूंजी (मेघालय) है जहां पर प्रति वर्ष 11,430 मिमी. वर्षा होती है। | ||गिनीज बुक के अनुसार, सर्वाधिक वर्षा मॉसिनराम ([[मेघालय]]) में होती है। यहां पर वार्षिक वर्षा, 11,873 मिमी. होती है। जिनमें सर्वाधिक मानसून के दौरान जून-सितंबर के मध्य वर्ष होती है। इस मामले में दूसरे स्थान पर चेरापूंजी (मेघालय) है जहां पर प्रति वर्ष 11,430 मिमी. वर्षा होती है। | ||
{प्लेटो द्वारा लिखित ग्रंथ | {[[प्लेटो]] द्वारा लिखित ग्रंथ कौन सा है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-155 | ||
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+सिम्पोजियम | +सिम्पोजियम | ||
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-एस्थेटिक | -एस्थेटिक | ||
-एन्नीडस | -एन्नीडस | ||
||प्लेटो द्वारा लिखित ग्रंथ 'ऑन लॉ ऑफ़ ब्यूटी: सिम्पोजियम है। | ||[[प्लेटो]] द्वारा लिखित ग्रंथ 'ऑन लॉ ऑफ़ ब्यूटी: सिम्पोजियम है। | ||
{[[गांधार शैली मूर्तिकला|गांधार शैली]] मुख्यत: यूनानी- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-238 | {[[गांधार शैली मूर्तिकला|गांधार शैली]] मुख्यत: यूनानी- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-238 | ||
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-यवन शैली है | -यवन शैली है | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली गांधार शैली है। इस [[मूर्तिकला|मूर्तिकला शैली]] के प्रमुख संरक्षक [[शक]] एवं [[कुषाण]] थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला पाकिस्तान एवं पूर्वी | ||भारतीय और यूनानी आकृति की सम्मिश्रण शैली गांधार शैली है। इस [[मूर्तिकला|मूर्तिकला शैली]] के प्रमुख संरक्षक [[शक]] एवं [[कुषाण]] थे। गांधार कला शैली कुषाणों के समय पनपी थी। गांधार कला [[पाकिस्तान]] एवं पूर्वी [[अफ़गानिस्तान]] के बीच विकसित हुई। [[भारत]] में यह कला कुषाण वंश के दौरान फली-फूली तथा कुषाण कला का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई। इन कला का विषय मात्र बौद्ध होने के कारण इसे 'यूनानी बौद्ध', 'इंडो-ग्रीक', या 'ग्रीको-रोमन' भी कहा जाता है। | ||
{रोड्स के द्वारा किन रंगों की दृश्यानुभूति होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-169,प्रश्न-26 | {रोड्स के द्वारा किन रंगों की दृश्यानुभूति होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-169,प्रश्न-26 | ||
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+[[सफेद रंग|सफेद]]-[[काला रंग|काला]] | +[[सफेद रंग|सफेद]]-[[काला रंग|काला]] | ||
-[[नीला रंग|नीला]]-[[पीला रंग|पीला]] | -[[नीला रंग|नीला]]-[[पीला रंग|पीला]] | ||
||रेटिना के पार्श्व भाग में रोड्स तथा कोंस सूक्ष्म तंतु ग्रंथियां होती हैं। इन तंतु ग्रंथियों का संबंध मानव की दृश्य चेतना से होता है। इसी दृश्य चेतना से रंग की अनुभूति होती है। रोड्स के चेतन द्वारा काले एवं [[सफेद रंग|सफेद रंगों]] की दृश्यानुभूति होती है। | ||रेटिना के पार्श्व भाग में रोड्स तथा कोंस सूक्ष्म तंतु ग्रंथियां होती हैं। इन तंतु ग्रंथियों का संबंध मानव की दृश्य चेतना से होता है। इसी दृश्य चेतना से [[रंग]] की अनुभूति होती है। रोड्स के चेतन द्वारा काले एवं [[सफेद रंग|सफेद रंगों]] की दृश्यानुभूति होती है। | ||
{एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में किसका महत्त्व है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-18 | {एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में किसका महत्त्व है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-18 | ||
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||एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में कला का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें मानव मन में संवेदनाएं उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने, चिंतन को मोड़ने तथा अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है। | ||एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में कला का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें मानव मन में संवेदनाएं उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने, चिंतन को मोड़ने तथा अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है। | ||
{[[भारत]] की प्रथम महिला राज्यपाल कौन थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-25 | {[[भारत]] की प्रथम महिला [[राज्यपाल]] कौन थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-25 | ||
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-राधाबाई सुबारायन | -राधाबाई सुबारायन | ||
-रोज मिलियन | -रोज मिलियन मैथ्यू | ||
-अन्ना जॉर्ज | -अन्ना जॉर्ज | ||
+[[सरोजिनी नायडू]] | +[[सरोजिनी नायडू]] | ||
||सरोजिनी नायडू, जिन्हें 'भारत की कोकिला' नाम से जाना जाता है, एक कवि एवं स्वतंत्रता के लिए सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने [[15 अगस्त]], 1947-2 मार्च, [[1949]] तक संयुक्त [[आगरा]] एवं अवध प्रांत के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारत की किसी भी राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल होने का | ||सरोजिनी नायडू, जिन्हें 'भारत की कोकिला' नाम से जाना जाता है, एक कवि एवं स्वतंत्रता के लिए सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने [[15 अगस्त]], 1947-2 मार्च, [[1949]] तक संयुक्त [[आगरा]] एवं अवध प्रांत के [[राज्यपाल]] के रूप में कार्य किया। उन्होंने [[भारत]] की किसी भी राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल होने का गौरव प्राप्त किया। | ||
{'आक्रोश' फ़िल्म में [[अभिनेता]] की मुख्य भूमिका किसने की थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-165 | {'आक्रोश' फ़िल्म में [[अभिनेता]] की मुख्य भूमिका किसने की थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-165 | ||
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+[[ओमपुरी]] | +[[ओमपुरी]] | ||
-ओम शिवपुरी | -ओम शिवपुरी | ||
||वर्ष 1980 में आई फिल्म 'आक्रोश' में [[ओमपुरी]] ने मुख्य [[अभिनेता]] के रूप में भूमिका निभाई। इस फिल्म में ओमपुरी ने 'भीखू' नामक एक स्वाभिमानी जनजातीय व्यक्ति की भूमिका निभाई। | ||वर्ष [[1980]] में आई फिल्म 'आक्रोश' में [[ओमपुरी]] ने मुख्य [[अभिनेता]] के रूप में भूमिका निभाई। इस फिल्म में ओमपुरी ने 'भीखू' नामक एक स्वाभिमानी जनजातीय व्यक्ति की भूमिका निभाई। | ||
{जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-373 | {जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-373 | ||
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-[[इंदौर]] | -[[इंदौर]] | ||
-[[रायपुर]] | -[[रायपुर]] | ||
||भीमबेटका का चट्टानी शरण-स्थल भोपाल से 45 किमी. पश्चिम में स्थित है। यूनेस्को ने भीमबेटका शैल चित्रों को विश्व विरासत सूची में सम्मिलित किया है। इन | ||भीमबेटका का चट्टानी शरण-स्थल भोपाल से 45 किमी. पश्चिम में स्थित है। [[यूनेस्को]] ने भीमबेटका शैल चित्रों को विश्व विरासत सूची में सम्मिलित किया है। इन गुफ़ाओं में जीवन के विविध रंगों को पेंटिंग के रूप में उकेरा गया जिसमें [[हाथी]], सांभर, हिरन आदि के चित्र हैं। | ||
{[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफा]] के भित्ति चित्रों को बनाने में किस तकनीक का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-31 | {[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफा]] के भित्ति चित्रों को बनाने में किस तकनीक का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-31 | ||
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-इनमें से सभी | -इनमें से सभी | ||
||'[[कल्पसूत्र]]' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है। | ||'[[कल्पसूत्र]]' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है। | ||
{[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' अनुवाद है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-66 | {[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' अनुवाद है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-66 | ||
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+[[पंचतंत्र]] का | +[[पंचतंत्र]] का | ||
-[[महाभारत]] का | -[[महाभारत]] का | ||
||[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' [[पंचतंत्र]] का [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] अनुवाद अबूल | ||[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' [[पंचतंत्र]] का [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] अनुवाद अबूल फ़ज़ल ने किया। | ||
{अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों के [[रंग]] क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-35 | {अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों के [[रंग]] क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-35 |
10:53, 12 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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