"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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||स्वार्णिम सिद्धांत के अनुसार [[काग़ज़]] पर चित्र को रखने उकेरने की शुरुआत फिबोनाची श्रेणी के अनुरूप | ||स्वार्णिम सिद्धांत के अनुसार [[काग़ज़]] पर चित्र को रखने उकेरने की शुरुआत फिबोनाची श्रेणी के अनुरूप सर्पिल घुमाव के साथ की जाती है। इस सिद्धांत के अनुसार [[काग़ज़]] पर चित्र को 2:3 अनुपात में रखा जाता है। | ||
{किसी ठोस घन की कितनी सतहें होती हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-42 | {किसी ठोस घन की कितनी सतहें होती हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-42 | ||
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||किसी ठोस घन की 6 सतहें होती हैं। | ||किसी ठोस घन की 6 सतहें होती हैं। | ||
{'नारी जाति की रहस्यमयी पहेली' किसे कहा गया | {'नारी जाति की रहस्यमयी पहेली' किसे कहा गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-108,प्रश्न-43 | ||
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-मडोना की | -मडोना की | ||
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+सन फ्लावर | +सन फ्लावर | ||
-दे बेदर्स | -दे बेदर्स | ||
||'सूरजमुखी के फूल' का चित्र विन्सेंट वान गॉग द्वारा चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। वर्तमान में यह चित्र नेशनल गैलरी ([[लंदन]]) में | ||'सूरजमुखी के फूल' का चित्र विन्सेंट वान गॉग द्वारा चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। वर्तमान में यह चित्र नेशनल गैलरी ([[लंदन]]) में रखा हुआ है। | ||
{जॉन सेनेफील्डर ने किसका आविष्कार किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-76 | {जॉन सेनेफील्डर ने किसका आविष्कार किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-76 | ||
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+लिथोग्राफी | +लिथोग्राफी | ||
-लेटर | -लेटर | ||
||जॉन सेनेफील्डर (जर्मन) ने लिथोग्राफी का आविष्कार किया था। वर्ष 1789 में उन्होंने फ्लैट-सर्फेस प्रिंटिंश (आधुनिक लिथोग्राफी) की खोज की। सेनेफील्डर ने बाद में संगीत संपादक जॉन एंटोन एंड्रे के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अन्य लोगों को लिथोग्राफी में प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया। | ||जॉन सेनेफील्डर (जर्मन) ने लिथोग्राफी का आविष्कार किया था। वर्ष 1789 में उन्होंने फ्लैट-सर्फेस प्रिंटिंश (आधुनिक लिथोग्राफी) की खोज की। सेनेफील्डर ने बाद में [[संगीत]] संपादक जॉन एंटोन एंड्रे के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अन्य लोगों को लिथोग्राफी में प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया। | ||
{काग़ज़ की कतरनों से बनाए जाने वाले चित्र को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-16 | {काग़ज़ की कतरनों से बनाए जाने वाले चित्र को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-16 | ||
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+[[सफेद रंग|सफेद]]-[[काला रंग|काला]] | +[[सफेद रंग|सफेद]]-[[काला रंग|काला]] | ||
-[[नीला रंग|नीला]]-[[पीला रंग|पीला]] | -[[नीला रंग|नीला]]-[[पीला रंग|पीला]] | ||
||रेटिना के पार्श्व भाग में रोड्स तथा कोंस सूक्ष्म तंतु ग्रंथियां होती हैं। इन तंतु ग्रंथियों का संबंध मानव की दृश्य चेतना से होता है। इसी दृश्य चेतना से रंग की अनुभूति होती है। रोड्स के चेतन द्वारा काले एवं सफेद रंगों की दृश्यानुभूति होती है। | ||रेटिना के पार्श्व भाग में रोड्स तथा कोंस सूक्ष्म तंतु ग्रंथियां होती हैं। इन तंतु ग्रंथियों का संबंध मानव की दृश्य चेतना से होता है। इसी दृश्य चेतना से रंग की अनुभूति होती है। रोड्स के चेतन द्वारा काले एवं [[सफेद रंग|सफेद रंगों]] की दृश्यानुभूति होती है। | ||
{एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में किसका महत्त्व है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-18 | {एक सफल शैक्षणिक पाठ्यक्रम में किसका महत्त्व है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-18 | ||
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-अन्ना जॉर्ज | -अन्ना जॉर्ज | ||
+[[सरोजिनी नायडू]] | +[[सरोजिनी नायडू]] | ||
||सरोजिनी नायडू, जिन्हें 'भारत की कोकिला' नाम से जाना जाता है, एक कवि एवं स्वतंत्रता के लिए सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने [[15 अगस्त]], 1947-2 मार्च, [[1949]] तक संयुक्त आगरा एवं अवध प्रांत के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारत की किसी भी राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल होने का गोरव प्राप्त किया। | ||सरोजिनी नायडू, जिन्हें 'भारत की कोकिला' नाम से जाना जाता है, एक कवि एवं स्वतंत्रता के लिए सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने [[15 अगस्त]], 1947-2 मार्च, [[1949]] तक संयुक्त [[आगरा]] एवं अवध प्रांत के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारत की किसी भी राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल होने का गोरव प्राप्त किया। | ||
{'आक्रोश' | {'आक्रोश' फ़िल्म में [[अभिनेता]] की मुख्य भूमिका किसने की थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-165 | ||
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-[[नाना पाटेकर]] | -[[नाना पाटेकर]] | ||
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+[[ओमपुरी]] | +[[ओमपुरी]] | ||
-ओम शिवपुरी | -ओम शिवपुरी | ||
||वर्ष 1980 में आई फिल्म 'आक्रोश' में ओमपुरी ने मुख्य अभिनेता के रूप में भूमिका निभाई। इस फिल्म में ओमपुरी ने 'भीखू' नामक एक स्वाभिमानी जनजातीय व्यक्ति की भूमिका निभाई। | ||वर्ष 1980 में आई फिल्म 'आक्रोश' में [[ओमपुरी]] ने मुख्य [[अभिनेता]] के रूप में भूमिका निभाई। इस फिल्म में ओमपुरी ने 'भीखू' नामक एक स्वाभिमानी जनजातीय व्यक्ति की भूमिका निभाई। | ||
{जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-373 | {जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-373 | ||
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||सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, [[मुंबई]] की स्थापना वर्ष [[1857]] में हुई। इसके संस्थापक विलियम जैरी है। इसके प्रथम प्रिंसिपल लॉव वुड किपलिंग थे। लॉक वुड किपलिंग प्रसिद्ध लेखक रूडयार्ड किपलिंग के पिता थे। | ||सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, [[मुंबई]] की स्थापना वर्ष [[1857]] में हुई। इसके संस्थापक विलियम जैरी है। इसके प्रथम प्रिंसिपल लॉव वुड किपलिंग थे। लॉक वुड किपलिंग प्रसिद्ध लेखक रूडयार्ड किपलिंग के पिता थे। | ||
{भीमबेटका किस शहर के पास स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-10 | {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] किस शहर के पास स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-10 | ||
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-[[मिर्जापुर]] | -[[मिर्जापुर]] | ||
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||भीमबेटका का चट्टानी शरण-स्थल भोपाल से 45 किमी. पश्चिम में स्थित है। यूनेस्को ने भीमबेटका शैल चित्रों को विश्व विरासत सूची में सम्मिलित किया है। इन गुफाओं में जीवन के विविध रंगों को पेंटिंग के रूप में उकेरा गया जिसमें हाथी, सांभर, हिरन आदि के चित्र हैं। | ||भीमबेटका का चट्टानी शरण-स्थल भोपाल से 45 किमी. पश्चिम में स्थित है। यूनेस्को ने भीमबेटका शैल चित्रों को विश्व विरासत सूची में सम्मिलित किया है। इन गुफाओं में जीवन के विविध रंगों को पेंटिंग के रूप में उकेरा गया जिसमें हाथी, सांभर, हिरन आदि के चित्र हैं। | ||
{बाघ गुफा के भित्ति चित्रों को बनाने में किस तकनीक का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-31 | {[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफा]] के भित्ति चित्रों को बनाने में किस तकनीक का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-31 | ||
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-ब्यूनो तकनीक | -ब्यूनो तकनीक | ||
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-इटालियन ब्यूनो तकनीक | -इटालियन ब्यूनो तकनीक | ||
+ग्लु रंग चित्रण तकनीक | +ग्लु रंग चित्रण तकनीक | ||
||बाघ गुफाओं की चट्टानें भुरभुरे बलुए पत्थर की हैं जो शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं। इसी भित्ति पर चूने का प्लास्टर चढ़ाकर टेम्परा रंगों से चित्रण किया गया है। चित्रण विधान अजंता से मिलता-जुलता है। कुछ चित्रों में प्रयुक्त रंग संभवत: उसी क्षेत्र से प्राप्त किए गए हैं जिसे पीसकर गोंद मिलाकर रंगों से भरा गया प्रतीत होता है किंतु जिस प्रकार काले रंग से अजंता के चित्रों में कलई की गई है, उसका अभाव बाघ चित्रों में दिखाई देता है। | ||बाघ गुफाओं की चट्टानें भुरभुरे बलुए पत्थर की हैं जो शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं। इसी भित्ति पर चूने का प्लास्टर चढ़ाकर टेम्परा रंगों से चित्रण किया गया है। चित्रण विधान अजंता से मिलता-जुलता है। कुछ चित्रों में प्रयुक्त रंग संभवत: उसी क्षेत्र से प्राप्त किए गए हैं जिसे पीसकर गोंद मिलाकर रंगों से भरा गया प्रतीत होता है किंतु जिस प्रकार [[काला रंग|काले रंग]] से अजंता के चित्रों में कलई की गई है, उसका अभाव बाघ चित्रों में दिखाई देता है। | ||
{'कल्पसूत्र' की सबसे उत्तम प्रति कहां की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-24 | {'[[कल्पसूत्र]]' की सबसे उत्तम प्रति कहां की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-24 | ||
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-[[अयोध्या]] | -[[अयोध्या]] | ||
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-[[गुजरात]] | -[[गुजरात]] | ||
-इनमें से सभी | -इनमें से सभी | ||
||'कल्पसूत्र' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है। | ||'[[कल्पसूत्र]]' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है। | ||
{जोधाबाई पत्नी थीं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-224,प्रश्न-285 | {[[जोधाबाई]] पत्नी थीं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-224,प्रश्न-285 | ||
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+[[अकबर]] की | +[[अकबर]] की | ||
-जहांगीर की | -[[जहांगीर]] की | ||
-शाहजहां की | -[[शाहजहां]] की | ||
-औरंगजेब की | -[[औरंगजेब]] की | ||
||अकबर ने आमेर के राजा बिहारीमल (भारमल) की ज्येष्ठ पुत्री हरखा बाई (लोक प्रचलित नाम-जोधाबाई) से सांभर में 6 फरवरी, 1562 ई. को विवाह किया। यह अकबर का प्रथम राजपूत कन्या से विवाह था। इसी राजपूत राजकुमारी से | ||[[अकबर]] ने आमेर के राजा बिहारीमल (भारमल) की ज्येष्ठ पुत्री हरखा बाई (लोक प्रचलित नाम-[[जोधाबाई]]) से सांभर में [[6 फरवरी]], 1562 ई. को विवाह किया। यह अकबर का प्रथम राजपूत कन्या से विवाह था। इसी राजपूत राजकुमारी से शहजादे [[सलीम]] ([[जहांगीर]]) का जन्म हुआ। | ||
{अकबर कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' अनुवाद है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-66 | {[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' अनुवाद है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-66 | ||
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-[[रामायण]] का | -[[रामायण]] का | ||
-[[गीत गोविन्द]] का | -[[गीत गोविन्द]] का | ||
+ | +[[पंचतंत्र]] का | ||
-[[महाभारत]] का | -[[महाभारत]] का | ||
||अकबर कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' पंचतंत्र का फारसी अनुवाद अबूल फजल ने किया। | ||[[अकबर]] कालीन चित्रित पोथी 'अनवर-ए-सुहेली' [[पंचतंत्र]] का [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] अनुवाद अबूल फजल ने किया। | ||
{अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों के रंग क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-35 | {अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों के [[रंग]] क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-35 | ||
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+गेरुआ | +गेरुआ | ||
-काला | -[[काला रंग|काला]] | ||
-श्वेत | -[[श्वेत रंग|श्वेत]] | ||
-नीला | -[[नीला रंग|नीला]] | ||
||प्रागैतिहासिक स्थलों से अनेक चित्रित गुफाएं, शैलाश्रय और कलाकृतिया | ||प्रागैतिहासिक स्थलों से अनेक चित्रित गुफाएं, शैलाश्रय और कलाकृतिया गेरुआ रंग से उत्कीर्ण हैं, इसलिए अधिकांश प्रागैतिहासिक चित्रों का रंग गेरुआ है। प्रागैतिहासिक मृदभांड संस्कृति गेरुआ रंग के लिए प्रसिद्ध है। | ||
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10:24, 12 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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