"प्रयोग:कविता बघेल 2": अवतरणों में अंतर
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रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नज़रिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन और [[शंकु]] के रूप में देखते थे। | ||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नज़रिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन और [[शंकु]] के रूप में देखते थे। | ||
{[[इटली]] में बरोक कला | {[[इटली]] में बरोक कला किस शती में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1 | ||
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+16वीं | +16वीं | ||
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-20वीं | -20वीं | ||
-18वीं | -18वीं | ||
||[[इटली]] में बरोक कला | ||[[इटली]] में बरोक कला 16वीं शती (1550-1750) में विकसित हुई। यूरोपीय कला का यह काल स्वर्ण युग माना गया है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से इटालियन कलाकार कारावाद्ज्यो, फ़्रेंच कलाकार क्लोद लोरे, डच कलाकार रेम्ब्रां, वर्मेर, फ़्राँस हाल्स, फ्लेमिश कलाकार रूबेन्स, वान डाइक एवं स्पेनिश कलाकार रिबेश, वेलास्केस इसी काल की देन हैं। | ||
{'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1 | {'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1 | ||
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-अल्बर्ट ड्यूरर | -अल्बर्ट ड्यूरर | ||
-दांते | -[[दांते एलीगियरी|दांते]] | ||
+बामगार्टन | +[[अलेक्जेंडर गॉट्टलिब बामगार्टन|बामगार्टन]] | ||
-क्रोचे | -क्रोचे | ||
||अलेक्जेंडर | ||[[अलेक्जेंडर गॉट्टलिब बामगार्टन]] जर्मन दार्शनिक थे, वे दार्शनिक के साथ ही एक शिक्षक भी थे। इनका जन्म [[17 जुलाई]], 1714 ई. में जर्मन (परसिया) के बर्लिन में तथा मृत्यु 26 जनवरी 1762 ई. में हुई। अल्बर्ट ड्यूरर जर्मन के चित्रकार और विचारक थे। दांते [[इटली]] के दार्शनिक एवं [[कवि]] थे जबकि क्रोचे पेंनसिल्वानिया, [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के गायक थे। बामगार्टन की प्रमुख पुस्तकें हैं- Ethica philosphica (1740; philosphica Ethic), Acroasis Logica (1761; Discourse on Logic), Jus Naturae (1763; Natural Law), Philosphica Generalis (1770; General Philosphica) and Praelectional Theological (1773; Lectures on Thology). | ||
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार '[[रस]] [[कला]] की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2 | {भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार '[[रस]] [[कला]] की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2 | ||
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-रणवीर सिंह विष्ट | -रणवीर सिंह विष्ट | ||
-एन. के. खन्ना | -एन. के. खन्ना | ||
+ | +रामचंद्र शुक्ल | ||
-मदनलाल नागर | -मदनलाल नागर | ||
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। | ||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। | ||
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||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में [[भूरा रंग|भूरा]], [[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]] तथा [[नीला रंग|नीला]] आदि तेज [[रंग|रंगों]] की प्रमुखता थी। | ||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में [[भूरा रंग|भूरा]], [[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]] तथा [[नीला रंग|नीला]] आदि तेज [[रंग|रंगों]] की प्रमुखता थी। | ||
{प्रोफेसर | {प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल किसके लिये जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-5 | ||
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-पारपरिक चित्रकार | -पारपरिक चित्रकार | ||
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{भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5 | {भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5 | ||
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- | -रामचंद्र शुक्ल | ||
+यशोधर पंडित | +यशोधर पंडित | ||
-[[कालिदास]] | -[[कालिदास]] |
13:06, 11 अक्टूबर 2017 का अवतरण
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