"प्रयोग:कविता बघेल 2": अवतरणों में अंतर
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||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नज़रिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन और [[शंकु]] के रूप में देखते थे। | ||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नज़रिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन और [[शंकु]] के रूप में देखते थे। | ||
{[[इटली]] में बरोक कला किस शती में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1 | {[[इटली]] में बरोक कला का किस शती में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1 | ||
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||[[इटली]] में बरोक कला का 16वीं शती (1550-1750) में | ||[[इटली]] में बरोक कला का 16वीं शती (1550-1750) में विकसित हुई। यूरोपीय कला का यह काल स्वर्ण युग माना गया है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से इटालियन कलाकार कारावाद्ज्यो, फ़्रेंच कलाकार क्लोद लोरे, डच कलाकार रेम्ब्रां, वर्मेर, फ़्राँस हाल्स, फ्लेमिश कलाकार रूबेन्स, वान डाइक एवं स्पेनिश कलाकार रिबेश, वेलास्केस इसी काल की देन हैं। | ||
{'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1 | {'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1 | ||
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+बामगार्टन | +बामगार्टन | ||
-हीगेल | -हीगेल | ||
- | -टॉलस्टाय | ||
||18वीं शती में बामगार्टन (1714-62 ई.) ने 'फिलॉसफी' को 'लॉजिक' (तर्कशास्त्र) 'एथिक्स' (नीतिशास्त्र) और 'एस्थेटिक्स' (सौन्दर्यशास्त्र) तीन अलग-अलग भागों में विभक्त कर दिया। 'नीतिशास्त्र' (एथिक्स) मानव को बुराइयों से हटाकर अच्छाइयों की ओर ले जाते है, सौंदर्यशास्त्र (एस्थेटिक्स) आनन्द की ओर, लॉजिक (तर्कशास्त्र) तर्क की ओर। एस्थेटिक्स तभी से अन्य विषयों की भांति अध्ययन का एक स्वतंत्र विषय बन गया। इससे सम्बाधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) बामगार्टन को 'फ़ादर ऑफ़ एस्थेटिक्स' (सौन्दर्य शास्त्र का जनक) कहा जाता है। (2) एस्थेटिक्स | ||18वीं शती में बामगार्टन (1714-62 ई.) ने 'फिलॉसफी' को 'लॉजिक' (तर्कशास्त्र) 'एथिक्स' (नीतिशास्त्र) और 'एस्थेटिक्स' (सौन्दर्यशास्त्र) तीन अलग-अलग भागों में विभक्त कर दिया। 'नीतिशास्त्र' (एथिक्स) मानव को बुराइयों से हटाकर अच्छाइयों की ओर ले जाते है, सौंदर्यशास्त्र (एस्थेटिक्स) आनन्द की ओर, लॉजिक (तर्कशास्त्र) तर्क की ओर। एस्थेटिक्स तभी से अन्य विषयों की भांति अध्ययन का एक स्वतंत्र विषय बन गया। इससे सम्बाधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) बामगार्टन को 'फ़ादर ऑफ़ एस्थेटिक्स' (सौन्दर्य शास्त्र का जनक) कहा जाता है। (2) एस्थेटिक्स, दर्शनशास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है। | ||
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात निम्न में से किसने कही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-1 | {भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात निम्न में से किसने कही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-1 | ||
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||ग्वाश रंगों की प्रकृति अपारदर्शी होती है। ग्वाश का अर्थ गाढ़ा लेप होता है। चित्रों में प्राय: पोस्टर, तैल, पोस्टर तथा टेम्परा चित्रण में अधिकतर अपारदर्शी रंगांकन होता है। | ||ग्वाश रंगों की प्रकृति अपारदर्शी होती है। ग्वाश का अर्थ गाढ़ा लेप होता है। चित्रों में प्राय: पोस्टर, तैल, पोस्टर तथा टेम्परा चित्रण में अधिकतर अपारदर्शी रंगांकन होता है। | ||
{[[ | {[[टेलीविजन]] मीडिया पर प्रचार की क़ीमत का क्या आधार है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-1 | ||
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+समय | +समय | ||
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-प्रोडक्शन | -प्रोडक्शन | ||
-[[रंग]] | -[[रंग]] | ||
||[[ | ||[[टेलीविजन]] मीडिया पर प्रचार की क़ीमत का आधार प्रसारण का समय होता है। साथ ही क़ीमत का आधार प्रचार का आकार, गुणवत्ता, प्रिंट शैली, प्रसारण का स्थान आदि भी होता है। | ||
{कामसूत्र की उस टीका के टीकाकार कौन थे, जिसमें 'षडंग' का वर्णन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-1 | {कामसूत्र की उस टीका के टीकाकार कौन थे, जिसमें 'षडंग' का वर्णन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-1 | ||
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-पंडित दीनानाथ | -पंडित दीनानाथ | ||
-पंडित जयराज | -पंडित जयराज | ||
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
{'[[भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र]]' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1 | |||
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-[[पुणे]] | -[[पुणे]] | ||
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-[[कोटा]] | -[[कोटा]] | ||
+[[ग्वालियर]] | +[[ग्वालियर]] | ||
||[[[ग्वालियर का क़िला]] में 'मृगनयनी का महल' स्थित है। ग्वालियर के क़िले के अंदर छ: महल हैं। इनमें से एक महल [[राजा मानसिंह]] की रानी 'मृगनयनी का महल' भी है इसे 'गूजरी महल' भी कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ऐसी किंवदंती है कि कच्छवाहा [[सूर्यसेन|राजा सूर्यसेन]], गालव ऋषि के कृपादृष्टि से रोगमुक्त हो गए जिससे उनके नाम पर ग्वालियर के क़िले का निर्माण कराया गया, जो बस्ती आबाद की उसका नामकरण किया ग्वालिआवर। यही बाद में ग्वालियर नाम से मशहूर हुआ। (2) [[बाबर|मुग़ल बादशाह बाबर]] ने इसे [[भारत|हिंदुस्तान]] के अन्य क़िलों में मोती बताया है। | ||[[[ग्वालियर का क़िला]] में 'मृगनयनी का महल' स्थित है। ग्वालियर के क़िले के अंदर छ: महल हैं। इनमें से एक महल [[राजा मानसिंह]] की रानी 'मृगनयनी का महल' भी है इसे 'गूजरी महल' भी कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ऐसी किंवदंती है कि कच्छवाहा [[सूर्यसेन|राजा सूर्यसेन]], गालव ऋषि के कृपादृष्टि से रोगमुक्त हो गए जिससे उनके नाम पर ग्वालियर के क़िले का निर्माण कराया गया, जो बस्ती आबाद की उसका नामकरण किया ग्वालिआवर। यही बाद में ग्वालियर नाम से मशहूर हुआ। (2) [[बाबर|मुग़ल बादशाह बाबर]] ने इसे [[भारत|हिंदुस्तान]] के अन्य क़िलों में मोती बताया है। | ||
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{ | {नवशास्त्रयतावादी के चित्रकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-3 | ||
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-जेरिका | -जेरिका | ||
- | -डोमीडर | ||
+डेविड | +डेविड | ||
-ब्रूगेल | -ब्रूगेल | ||
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (1787) तथा सुकरात की मृत्यु (1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है। | ||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (1787) तथा सुकरात की मृत्यु (1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है। | ||
{'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2 | {'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2 | ||
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+विवान सुंदरम | +विवान सुंदरम | ||
-शीला गाउड़ा | -शीला गाउड़ा | ||
||[[कोलकाता]] में विक्टोरिया स्मारक पर | ||[[कोलकाता]] में विक्टोरिया स्मारक पर वर्ष [[1998]] का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' विवान सुंदरम ने बनाया था जो एक समकालीन कलाकार हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) विवान सुंदरम एक चित्रकार, मूर्तिकार तथा इंस्टालेटर भी है। (2) इनके पिता कल्याण सुंदरम वर्ष [[1968]]-[[1971]] में विधि आयोग के अध्यक्ष रहे थे। (3) [[लंदन]] में ब्रिटिश-अमेरिकन पेंटर आर.बी. किट्ज से मिले तथा कुछ समय तक प्रशिक्षण लिया। | ||
{निम्न में से जर्मन दार्शनिक कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-2 | |||
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-अल्बर्ट ड्यूरर | -अल्बर्ट ड्यूरर | ||
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+बामगार्टन | +बामगार्टन | ||
-क्रोचे | -क्रोचे | ||
||अलेक्जेंडर गोट्टिलिब बामगार्टन जर्मन दार्शनिक थे, वे दार्शनिक के साथ ही एक शिक्षक भी थे। इनका जन्म [[17 जुलाई]], 1714 ई. में | ||अलेक्जेंडर गोट्टिलिब बामगार्टन जर्मन दार्शनिक थे, वे दार्शनिक के साथ ही एक शिक्षक भी थे। इनका जन्म [[17 जुलाई]], 1714 ई. में हुई। अल्बर्ट ड्यूरर जर्मन के चित्रकार और विचारक थे। दांते [[इटली]] के दार्शनिक एवं [[कवि]] थे जबकि क्रोचे पेंनसिल्वानिया, [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के गायक थे। बामगार्टन की प्रमुख पुस्तकें हैं- Ethica philosphica (1740; philosphica Ethic), Acroasis Logica (1761; Discourse on Logic), Jus Naturae (1763; Natural Law), Philosphica Generalis (1770; General Philosphica) and Praelectional Theological (1773; Lectures on Thology). | ||
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार '[[रस]] [[कला]] की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2 | {भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार '[[रस]] [[कला]] की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2 | ||
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-टेम्परा | -टेम्परा | ||
+ईचिंग | +ईचिंग | ||
||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह धातु | ||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह धातु ([[जस्ता|जस्ते]] की चादर) पर [[अम्ल|एसिड]] के साथ उत्कीर्ण की जाती है। | ||
{भारतीय चित्रकला के षडंगों का सही क्रम पहचानिए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-2 | {भारतीय चित्रकला के षडंगों का सही क्रम पहचानिए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-2 | ||
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-भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद | -भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद | ||
-लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद | -लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद | ||
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
{'[[भारत रत्न]]' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2 | |||
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-[[डॉ. भगवान दास]] | -[[डॉ. भगवान दास]] | ||
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-[[जवाहर लाल नेहरू|पं. जवाहरलाल नेहरू]] | -[[जवाहर लाल नेहरू|पं. जवाहरलाल नेहरू]] | ||
+[[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] | +[[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] | ||
||[[भारत सरकार]] के [[गृह मंत्रालय]] के अनुसार [[भारत रत्न]] सर्वप्रथम वर्ष [[1954]] में प्रदान किया गया। इनमें तीन व्यक्तियों का चयन किया गया जिनका क्रम इस प्रकार है- [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी|श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] तथा [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन]]। वर्ष [[1955]] में भी तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उनका क्रम इस प्रकार है- [[डॉ. भगवान दास]], [[विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया]] तथा [[पं. जवाहरलाल नेहरू]]। वर्ष [[2014]] का भारत रत्न [[मदन मोहन मालवीय|पं. मदन मोहन मालवीय]] तथा भूतपूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|अटल बिहारी वायपेयी]] को प्रदान किया गया। | ||[[भारत सरकार]] के [[गृह मंत्रालय]] की वेबसाइट के अनुसार [[भारत रत्न]] सर्वप्रथम वर्ष [[1954]] में प्रदान किया गया। इनमें तीन व्यक्तियों का चयन किया गया जिनका क्रम इस प्रकार है- [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी|श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] तथा [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन]]। चूंकि क्रम में दूसरे स्थान पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं और यह विकल्प में दिया है जिससे विकल्प (d) सही उत्तर माना जा सकता है। वर्ष [[1955]] में भी तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उनका क्रम इस प्रकार है- [[डॉ. भगवान दास]], [[विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया]] तथा [[पं. जवाहरलाल नेहरू]]। वर्ष [[2014]] का भारत रत्न [[मदन मोहन मालवीय|पं. मदन मोहन मालवीय]] तथा भूतपूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|अटल बिहारी वायपेयी]] को प्रदान किया गया। | ||
{मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहां की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33 | {मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहां की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33 | ||
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||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
{[[महात्मा गांधी|महात्मा गांधी जी]] की [[मां]] का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3 | |||
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-[[जोधाबाई]] | -[[जोधाबाई]] | ||
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-अवंती बाई | -अवंती बाई | ||
+पुतली बाई | +पुतली बाई | ||
||[[महात्मा गांधी]] की मां का नाम | ||[[महात्मा गांधी]] की मां का नाम पुतली बाई था जो परनामी वैश्य समुदाय से थीं। वे इनके पिता करमचंद की चौथी पत्नी थीं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) गांधी जी का जन्म वर्तमान में [[गुजरात]] के एक तटीय शहर [[पोरबंदर]] नाम स्थान पर [[2 अक्टूबर]], [[1869]] को हुआ था। (2) महात्मा गांधी को 'महात्मा' के नाम से सबसे पहले वर्ष [[1915]] में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया। (3) गांधी जी को 'बापू' ([[गुजराती भाषा]] में इसका अर्थ पिता) के नाम से भी जाना जाता है। (4) [[नेताजी सुभाषचंद्र बोस]] ने [[6 जुलाई]], [[1944]] को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी संदेश में 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया। (5) महात्मा गांधी के चार पुत्र क्रमश: थे- हरीलाल गांधी ([[1888]]), मणिलाल गांधी ([[1892]]), रामदास गांधी ([[1897]]) तथा देवदास गांधी ([[1900]])। | ||
{कोई नाम, युद्ध या अन्य तरीक़ा जो किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है, उसे क्या कहते हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-34 | |||
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+ट्रेडमार्क | +ट्रेडमार्क | ||
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-ब्रांड | -ब्रांड | ||
-कंपनी | -कंपनी | ||
||ट्रेडमार्क किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है। ट्रेडमार्क किसी कंपनी का नाम, शब्द, प्रतीक होता है जो उत्पादों पर अंकित होते हैं। किसी भी वस्तु के ट्रेडमार्क का पंजीकरण राष्ट्रीय ट्रेडमार्क कार्यालय द्वारा किया जाता है जिसके लिए शुल्क जमा करना होता है। ट्रेडमार्क्स का प्रयोग करके कोई कंपनी उत्पाद के नकल से बचती है। | ||ट्रेडमार्क किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है। ट्रेडमार्क किसी कंपनी का नाम, शब्द, प्रतीक होता है जो उत्पादों पर अंकित होते हैं। किसी भी वस्तु के ट्रेडमार्क का पंजीकरण राष्ट्रीय ट्रेडमार्क कार्यालय द्वारा किया जाता है जिसके लिए शुल्क जमा करना होता है। ट्रेडमार्क्स का प्रयोग करके कोई कंपनी उत्पाद के नकल से बचती है। | ||
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{'थियोडोर जेरिकॉल्ट' किस कला आंदोलन के अंतर्गत आते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-5 | |||
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-नवशास्त्रीयवाद | -नवशास्त्रीयवाद | ||
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-[[यथार्थवाद]] | -[[यथार्थवाद]] | ||
-प्रभाववाद | -प्रभाववाद | ||
||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो कि एक फ़्राँसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते है। | ||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो कि एक फ़्राँसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते है। | ||
{परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से हमें 'घन' के कितने पक्ष दिखाई पड़ते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-4 | {परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से हमें 'घन' के कितने पक्ष दिखाई पड़ते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-4 | ||
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||घन (Cube) में एक दर्शक तीन तल देख पाता है क्योंकि यह एक त्रिविमीय (Three Dimensional) आकृति है। | ||घन (Cube) में एक दर्शक तीन तल देख पाता है क्योंकि यह एक त्रिविमीय (Three Dimensional) आकृति है। | ||
{समीक्षावादी कलाकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-4 | |||
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-रणवीर सिंह विष्ट | -रणवीर सिंह विष्ट | ||
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-मदनलाल नागर | -मदनलाल नागर | ||
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। | ||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। | ||
{सौंदर्य क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-4 | {सौंदर्य क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-4 | ||
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||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
{[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4 | |||
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-अब्राहम लिंकन | -अब्राहम लिंकन | ||
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-बिल क्लिंटन | -बिल क्लिंटन | ||
-जॉर्ज डब्ल्यू बुश | -जॉर्ज डब्ल्यू बुश | ||
||[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] जॉर्ज वाशिंगटन थे। उन्होंने [[30 अप्रैल]], 1798 को अमेरिका के राष्ट्रपति का पद भार ग्रहण किया। अमेरिका के राष्ट्रपति | ||[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] जॉर्ज वाशिंगटन थे। उन्होंने [[30 अप्रैल]], 1798 को अमेरिका के राष्ट्रपति का पद भार ग्रहण किया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं। ध्यातव्य है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का तथा वहां के संविधान के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति लगातार 3 बार से अधिक इस पद पर नहीं रह सकता। | ||
{'हनिवा टैराकोटा' किस देश से संबंधित [[कला]] है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-35 | {'हनिवा टैराकोटा' किस देश से संबंधित [[कला]] है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-35 | ||
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||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में [[भूरा रंग|भूरा]], [[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]] तथा [[नीला रंग|नीला]] आदि तेज [[रंग|रंगों]] की प्रमुखता थी। | ||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में [[भूरा रंग|भूरा]], [[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]] तथा [[नीला रंग|नीला]] आदि तेज [[रंग|रंगों]] की प्रमुखता थी। | ||
{प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल किसके लिये जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-5 | {प्रोफेसर [[रामचंद्र शुक्ल]] किसके लिये जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-5 | ||
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-पारपरिक चित्रकार | -पारपरिक चित्रकार | ||
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{भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5 | {भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5 | ||
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-रामचंद्र शुक्ल | -[[रामचंद्र शुक्ल]] | ||
+यशोधर पंडित | +यशोधर पंडित | ||
-[[कालिदास]] | -[[कालिदास]] | ||
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||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
{रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5 | |||
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-रैपिड एक्सेस मेमोरी | -रैपिड एक्सेस मेमोरी | ||
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-रोलिंग एक्सेस मेमोरी | -रोलिंग एक्सेस मेमोरी | ||
-रैपिड एक्यूरेट मेमोरी | -रैपिड एक्यूरेट मेमोरी | ||
||रैन्डम एक्सेस मेमोरी का संक्षिप्त रूप रैम है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रैम का प्रयोग लिखने एवं पढ़ने दोनों में किया जा सकता है। (2) यह [[कम्प्यूटर]] की गति बढ़ाने में सहायक होता है। (3) यह काफ़ी महंगा होता है तथा मदरबोर्ड में एकीकृत चिप में स्थित होता है। (3) रीड ओनली मेमोरी का संक्षिप्त रूप रोम है। (4) इसे केवल पढ़ने में प्रयोग किया जा सकता है। (5) यह कम्प्यूटर की गति बढ़ाने में कोई मदद नहीं करता है। (6) यह रैम से सस्ता होता है। | ||रैन्डम एक्सेस मेमोरी का संक्षिप्त रूप रैम है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रैम का प्रयोग लिखने एवं पढ़ने दोनों में किया जा सकता है। (2) यह [[कम्प्यूटर]] की गति बढ़ाने में सहायक होता है। (3) यह काफ़ी महंगा होता है तथा मदरबोर्ड में एकीकृत चिप में स्थित होता है। (3) रीड ओनली मेमोरी का संक्षिप्त रूप रोम है। (4) इसे केवल पढ़ने में प्रयोग किया जा सकता है। (5) यह कम्प्यूटर की गति बढ़ाने में कोई मदद नहीं करता है। (6) यह रैम से सस्ता होता है। | ||
{विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-36 | |||
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-[[आर. के. नारायण|आर.के. नारायण]] | -[[आर. के. नारायण|आर.के. नारायण]] | ||
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-के.एस. कुलकर्णी | -के.एस. कुलकर्णी | ||
+[[आर के लक्ष्मण|आर.के. लक्ष्मण]] | +[[आर के लक्ष्मण|आर.के. लक्ष्मण]] | ||
||विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट [[आर के लक्ष्मण|आर.के. लक्ष्मण]] ने किया था। गट्टू का करेक्टर पहली बार एशियन पेंट्स के प्रचार में दिखाया गया था। | ||विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट [[आर के लक्ष्मण|आर.के. लक्ष्मण]] ने किया था। गट्टू का करेक्टर पहली बार एशियन पेंट्स के प्रचार में दिखाया गया था। | ||
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06:50, 11 अक्टूबर 2017 का अवतरण
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