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{{main|युवराज सिंह का जीवन परिचय}} | {{main|युवराज सिंह का जीवन परिचय}} | ||
युवराज सिंह का जन्म [[12 दिसम्बर]], [[1981]] को [[चंडीगढ़]] में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके पिता योगराज सिंह है जो कि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है साथ ही ये पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता भी हैं। युवराज सिंह की माता शबनम सिंह है। इनके भाई जोरावर सिंह है। युवराज सिंह को बचपन में [[टेनिस]] और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में रुचि थी और वे इसमें काफी अच्छे भी थे। इन्होंने नेशनल अंडर 14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप भी जीती थी। इन्हें इन खेलों में ज्यादा रूचि थी किन्तु इनके पिता यह नहीं चाहते थे। युवराज को क्रिकेट खेलने के लिए कहा करते थे। वे युवराज को इसके लिए रोज ट्रेनिंग भी देते थे। इनके पिता चाहते थे कि युवराज उनकी ही तरह एक फ़ास्ट गेंदबाज बने किन्तु युवराज स्केटर बनना चाहते थे। युवराज सिंह ने अपनी पढ़ाई [[चंडीगढ़]] के ही देव पब्लिक स्कूल से की। इन्होंने चाइल्ड स्टार के रूप में दो फ़िल्मों ‘मेहंदी सगण दी’ एवं ‘पट सरदार’ में भी काम किया। कुछ सालों बाद माता–पिता का तलाक़ हो गया और युवराज सिंह अपनी माता शबनम सिंह के साथ रहने लगे। इस तरह इनका शुरूआती जीवन बीता। | युवराज सिंह का जन्म [[12 दिसम्बर]], [[1981]] को [[चंडीगढ़]] में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके पिता योगराज सिंह है जो कि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है साथ ही ये पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता भी हैं। युवराज सिंह की माता शबनम सिंह है। इनके भाई जोरावर सिंह है। युवराज सिंह को बचपन में [[टेनिस]] और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में रुचि थी और वे इसमें काफी अच्छे भी थे। इन्होंने नेशनल अंडर 14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप भी जीती थी। इन्हें इन खेलों में ज्यादा रूचि थी किन्तु इनके पिता यह नहीं चाहते थे। युवराज को क्रिकेट खेलने के लिए कहा करते थे। वे युवराज को इसके लिए रोज ट्रेनिंग भी देते थे। इनके पिता चाहते थे कि युवराज उनकी ही तरह एक फ़ास्ट गेंदबाज बने किन्तु युवराज स्केटर बनना चाहते थे। युवराज सिंह ने अपनी पढ़ाई [[चंडीगढ़]] के ही देव पब्लिक स्कूल से की। इन्होंने चाइल्ड स्टार के रूप में दो फ़िल्मों ‘मेहंदी सगण दी’ एवं ‘पट सरदार’ में भी काम किया। कुछ सालों बाद माता–पिता का तलाक़ हो गया और युवराज सिंह अपनी माता शबनम सिंह के साथ रहने लगे। इस तरह इनका शुरूआती जीवन बीता। | ||
== बाएँ हाथ बल्लेबाजी == | |||
युवराज सिंह बाएँ हाथ से खेलने वाले बल्लेबाज हैं, और स्लो लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स बोलिंग करते हैं। इसके जरिये वे अपने कैरियर में आगे बढ़े। स्पिन बोलर की तुलना में वे तेज बोलर द्वारा की बॉल्स को अच्छे से खेलते हैं, सन [[2005]] के इंडियन ऑइल कप युवराज के कैरियर का टर्निंग पॉइंट था। युवराज बहुत ही अच्छे फील्डर हैं और इनका फील्डिंग के दौरान स्टंप पर लक्ष्य बहुत अच्छा है। युवराज एक आक्रामक तेज बल्लेबाज हैं जिनका स्ट्राइक रेट T– 20 में 150 से ज्यादा का और 90 के आस – पास का ODI’s में है. इन्हें विस्फोटक बल्लेबाज भी कहा जाता है। जब युवराज सिंह फॉर्म में आते है तब उनका मैच देखते ही बनता है क्योंकि उस वक्त वे बहुत ही आसानी से चौकें और छक्के लगा देते है। | |||
कहा जाता है कि युवराज ने सन [[1999]] के बाद से सबसे ज्यादा रन आउट किये हैं। इस तरह युवराज के खेलने का तरीका है जिसे लोग बहुत पसंद करते है। | |||
==कैरियर== | ==कैरियर== | ||
{{main|युवराज सिंह का कैरियर}} | {{main|युवराज सिंह का कैरियर}} | ||
;अन्तर्राष्ट्रीय मैच | |||
युवराज सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर– 12 से [[नवंबर]] सन [[1995]]-[[1996]] में [[जम्मू]] और [[कश्मीर]]– 16 के खिलाफ की। इसके बाद सन [[1996]]-[[1997]] में इन्होंने पंजाब अंडर– 19 से [[हिमाचल प्रदेश]] के खिलाफ मैच खेला। इसी तरह इन्होंने सन [[2000]] तक [[भारत]] में राष्ट्रीय लेवल में मैच खेले। इसके बाद इन्होंने सन 2000 में ही अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्डकप, जिसमें मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में [[भारत]] ने जीत हासिल की थी, युवराज ने अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से ‘प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट अवार्ड’ हासिल किया। युवराज के अंडर-19 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें आई सी सी (ICC) नॉकआउट ट्राफी के लिए भारतीय टीम में चयनित किया | युवराज सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर– 12 से [[नवंबर]] सन [[1995]]-[[1996]] में [[जम्मू]] और [[कश्मीर]]– 16 के खिलाफ की। इसके बाद सन [[1996]]-[[1997]] में इन्होंने पंजाब अंडर– 19 से [[हिमाचल प्रदेश]] के खिलाफ मैच खेला। इसी तरह इन्होंने सन [[2000]] तक [[भारत]] में राष्ट्रीय लेवल में मैच खेले। इसके बाद इन्होंने सन 2000 में ही अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्डकप, जिसमें मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में [[भारत]] ने जीत हासिल की थी, युवराज ने अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से ‘प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट अवार्ड’ हासिल किया। युवराज के अंडर-19 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें आई सी सी (ICC) नॉकआउट ट्राफी के लिए भारतीय टीम में चयनित किया | ||
गया। यहाँ से उन्होंने अपना पहला वन डे अन्तर्राष्ट्रीय मैच के खिलाफ खेला। लेकिन यह टूर्नामेंट में [[भारत]] की जीत नहीं हुई किन्तु युवराज का इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन रहा। | गया। यहाँ से उन्होंने अपना पहला वन डे अन्तर्राष्ट्रीय मैच के खिलाफ खेला। लेकिन यह टूर्नामेंट में [[भारत]] की जीत नहीं हुई किन्तु युवराज का इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन रहा। | ||
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युवराज के लाइफ की सबसे बड़ी इनिंग जो कि वे कभी नहीं भूल सकते, जब वे [[जुलाई]] सन [[2002]] में [[इंग्लैंड]] के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज में खेले थे। इंग्लैंड ने [[भारत]] के खिलाफ फाइनल्स में 324 रन का लक्ष्य बनाया, उस समय भारत ने बहुत अच्छी शुरुआत की किन्तु एक के बाद एक विकेट गिनने के कारण भारत का स्कोर बहुत कम हुआ, भारत का स्कोर 135/5 था जब [[सचिन तेंदुलकर]] आउट हो गए। | युवराज के लाइफ की सबसे बड़ी इनिंग जो कि वे कभी नहीं भूल सकते, जब वे [[जुलाई]] सन [[2002]] में [[इंग्लैंड]] के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज में खेले थे। इंग्लैंड ने [[भारत]] के खिलाफ फाइनल्स में 324 रन का लक्ष्य बनाया, उस समय भारत ने बहुत अच्छी शुरुआत की किन्तु एक के बाद एक विकेट गिनने के कारण भारत का स्कोर बहुत कम हुआ, भारत का स्कोर 135/5 था जब [[सचिन तेंदुलकर]] आउट हो गए। | ||
;टैस्ट मैच | |||
तब युवराज ने इस मैच में कप्तान मोहम्मद कैफ़ के साथ पार्टनरशिप कर बेहतरीन प्रदर्शन दिया। उनकी बेहतरीन बैटिंग से इस मैच को जगा दिया, और [[भारत]] की जीत हुई। युवराज ने सन [[2003]] में [[बांग्लादेश]] के खिलाफ अपना पहला शतक बनाया। लेकिन उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन [[ऑस्ट्रेलिया]] के खिलाफ रहा, जब ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ मैच था। युवराज ने 119 बॉल्स में 139 रन का स्कोर किया। युवराज का अगला शतक (110बॉल्स में 114 रन्स) वेस्टइंडीज के खिलाफ रहा, जहाँ भारत राउंड रोबिन लीग के अंतिम मैच में भारी दबाव था। | तब युवराज ने इस मैच में कप्तान मोहम्मद कैफ़ के साथ पार्टनरशिप कर बेहतरीन प्रदर्शन दिया। उनकी बेहतरीन बैटिंग से इस मैच को जगा दिया, और [[भारत]] की जीत हुई। युवराज ने सन [[2003]] में [[बांग्लादेश]] के खिलाफ अपना पहला शतक बनाया। लेकिन उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन [[ऑस्ट्रेलिया]] के खिलाफ रहा, जब ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ मैच था। युवराज ने 119 बॉल्स में 139 रन का स्कोर किया। युवराज का अगला शतक (110बॉल्स में 114 रन्स) वेस्टइंडीज के खिलाफ रहा, जहाँ भारत राउंड रोबिन लीग के अंतिम मैच में भारी दबाव था। | ||
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जिन्दगी के सबसे कठिन पड़ाव से गुजर रहे थे, जब उन्हें यह पता चला कि उन्हें बाएँ लंग में कैंसर हुआ है जोकि स्टेज– 1 में था। वे कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के लिए US के बोस्टन में कैंसर रिसर्च सेंटर में गए। लगभग 1 साल के अंदर ही इनका इलाज पूरा हो गया, और वे [[अप्रैल]] सन [[2012]] में [[भारत]] वापस आ गए। ठीक होने के बाद युवराज ने T– 20 मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला। इस तरह इनका वर्ल्ड कप्स और T – 20 वर्ल्ड कप्स में प्रदर्शन रहा। | जिन्दगी के सबसे कठिन पड़ाव से गुजर रहे थे, जब उन्हें यह पता चला कि उन्हें बाएँ लंग में कैंसर हुआ है जोकि स्टेज– 1 में था। वे कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के लिए US के बोस्टन में कैंसर रिसर्च सेंटर में गए। लगभग 1 साल के अंदर ही इनका इलाज पूरा हो गया, और वे [[अप्रैल]] सन [[2012]] में [[भारत]] वापस आ गए। ठीक होने के बाद युवराज ने T– 20 मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला। इस तरह इनका वर्ल्ड कप्स और T – 20 वर्ल्ड कप्स में प्रदर्शन रहा। | ||
== आईपीएल का | == आईपीएल का सफ़र == | ||
{{main|युवराज सिंह का आईपीएल का सफ़र}} | |||
युवराज सिंह आईपीएल के शरुआती 2 सीजन में किंग्स 11 पंजाब टीम के कप्तान बने। यह टीम भारतीय सिनेमा की अभिनेत्री प्रीति जिंटा और बिज़नेस मैगनेट नेस वाडिया की थी। उस वक्त ये आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी थे। इन्होंने बहुत से ODI’s मैच खेले जिसमे उन्होंने भारतीय टीम को जीत दिलाई। [[क्रिकेट]] के इतिहास में ये सबसे बेहतरीन फील्डर में से एक माने जाते हैं। युवराज, जो कि मूल रूप से बॉल के बड़े हिट्टर के रूप में जाने जाते है, आईपीएल में उनका यह अंदाज देखने को नहीं मिला। लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें थी किन्तु वे उनकी उम्मीदों में खड़े नहीं उतर पाए। इस कारण अगले सीजन में इस टीम की कप्तानी कुमार संगकारा को दे दी गई। सन [[2011]] के आईपीएल में एक न्यू टीम [[पुणे]] वारियर्स आई. इस टीम में युवराज को खरीदा गया और वे इस टीम के कप्तान चुने गए। इसमें युवराज ने 14 मैच में 343 रन्स का स्कोर किया। किन्तु कुछ controvarsy के चलते सन [[2012]] में यह टीम आईपीएल में नहीं दिखी। इसके बाद सन [[2014]] में युवराज को 14 करोड़ में रोयल चंल्लेंजर्स बैंगलोर टीम ने खरीदा, किन्तु किंगफ़िशर के एक एम्प्लोयी ने युवराज को लैटर लिखा कि वे इस टीम के लिए न खेले। इसके बाद सन [[2015]] में युवराज को दिल्ली डेरडेविल्स टीम ने 16 करोड़ में खरीदा। सन [[2016]] में युवराज को सनरैसर [[हैदराबाद]] ने 7 करोड़ में खरीदा। इस टीम में युवराज का काफ़ी अच्छा प्रदर्शन रहा। इन्होंने 23 बॉल्स में 38 रन्स बनाये। इस तरह इनका आईपीएल में अब तक का सफर रहा। | युवराज सिंह आईपीएल के शरुआती 2 सीजन में किंग्स 11 पंजाब टीम के कप्तान बने। यह टीम भारतीय सिनेमा की अभिनेत्री प्रीति जिंटा और बिज़नेस मैगनेट नेस वाडिया की थी। उस वक्त ये आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी थे। इन्होंने बहुत से ODI’s मैच खेले जिसमे उन्होंने भारतीय टीम को जीत दिलाई। [[क्रिकेट]] के इतिहास में ये सबसे बेहतरीन फील्डर में से एक माने जाते हैं। युवराज, जो कि मूल रूप से बॉल के बड़े हिट्टर के रूप में जाने जाते है, आईपीएल में उनका यह अंदाज देखने को नहीं मिला। लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें थी किन्तु वे उनकी उम्मीदों में खड़े नहीं उतर पाए। इस कारण अगले सीजन में इस टीम की कप्तानी कुमार संगकारा को दे दी गई। सन [[2011]] के आईपीएल में एक न्यू टीम [[पुणे]] वारियर्स आई. इस टीम में युवराज को खरीदा गया और वे इस टीम के कप्तान चुने गए। इसमें युवराज ने 14 मैच में 343 रन्स का स्कोर किया। किन्तु कुछ controvarsy के चलते सन [[2012]] में यह टीम आईपीएल में नहीं दिखी। इसके बाद सन [[2014]] में युवराज को 14 करोड़ में रोयल चंल्लेंजर्स बैंगलोर टीम ने खरीदा, किन्तु किंगफ़िशर के एक एम्प्लोयी ने युवराज को लैटर लिखा कि वे इस टीम के लिए न खेले। इसके बाद सन [[2015]] में युवराज को दिल्ली डेरडेविल्स टीम ने 16 करोड़ में खरीदा। सन [[2016]] में युवराज को सनरैसर [[हैदराबाद]] ने 7 करोड़ में खरीदा। इस टीम में युवराज का काफ़ी अच्छा प्रदर्शन रहा। इन्होंने 23 बॉल्स में 38 रन्स बनाये। इस तरह इनका आईपीएल में अब तक का सफर रहा। | ||
== सम्मान और पुरस्कार == | |||
*सन [[2011]] के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला। | |||
*इन्हें सन [[2012]] में [[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] “[[प्रणव मुखर्जी|श्री प्रणव मुखर्जी]]” द्वारा [[भारत]] का दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न अवार्ड “[[अर्जुन पुरस्कार]]” से नवाजा गया। | |||
*इन्हें सन [[2014]] में “[[पद्मश्री]]” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। | |||
*[[फरवरी]] सन [[2014]] में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया। | |||
==उपलब्धियाँ== | ==उपलब्धियाँ== | ||
{{main|युवराज सिंह की उपलब्धियाँ}} | |||
युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत ही शानदार खिलाड़ी है जिस वजह से इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- | युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत ही शानदार खिलाड़ी है जिस वजह से इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- | ||
*सन [[2007]] के ICC वर्ल्डकप T -20 मैच में इन्होंने 6 बॉल में 6 सिक्सेस लगाये। | *सन [[2007]] के ICC वर्ल्डकप T -20 मैच में इन्होंने 6 बॉल में 6 सिक्सेस लगाये। | ||
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*इन्हें सन [[2014]] में “[[पद्मश्री]]” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। | *इन्हें सन [[2014]] में “[[पद्मश्री]]” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। | ||
*[[फरवरी]] सन [[2014]] में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया। | *[[फरवरी]] सन [[2014]] में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया। | ||
;मैन ऑफ़ दा मैच’ का खिताब | |||
युवराज सिंह क्रिकेटर होने के साथ– साथ असल जिन्दगी में भी बहुत जाने माने व्यक्ति हैं। इन्होंने बहुत से टी.वी. एड्स में भी काम किया। जिसमें ये ब्रांडस एम्बेसडर भी रहे। युवराज ने बहुत से मैच में ‘मैन ऑफ़ दा मैच’ का खिताब जीता, जिसके चलते इनकी फीमेल फेन फोल्लोविंग ज्यादा थी। | |||
== रोचक तथ्य == | |||
{{main|युवराज सिंह के बारे में रोचक तथ्य}} | |||
*युवराज सिंह बचपन में रोलर स्केटिंग और टेनिस में बहुत ही अच्छे थे, इन्होंने रोलर स्केटिंग में नेशनल U–11 चैंपियनशिप भी जीती। | |||
*युवराज के पिता फॉर्मर भारतीय क्रिकेटर और पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता हैं। | |||
*युवराज ने बचपन में बाल कलाकार के रूप में 2 पंजाबी फिल्म्स ‘पट सरदार’ और ‘मेहेन्दी सगण दी’ में काम किया। | |||
*युवराज सिंह को बचपन से ही दूसरे खेलों में रुचि थी किन्तु इनके पिता ने इन्हें क्रिकेट के लिए ही जोर दिया। नवजोत सिंह सिन्धु युवराज के कोच बने, किन्तु उनकी बैटिंग में कोई भी इम्प्रूवमेंट नहीं हुई तब इनके [[पिता]] ने कोच के रूप में इन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ाया। | |||
*शुरुआत में इनके पिता ने इन्हें ट्रेन किया इसके बाद इन्हें [[मुंबई]] के एल्फ– वेंगसरकर क्रिकेट एकेडमी में भेज दिया गया। | |||
*[[दिसम्बर]] सन [[1999]] में युवराज ने बिहार के खिलाफ मैच खेल कर U-19 कूच बिहार ट्राफी में 3 शतक लगाकर 404 बॉल्स में 358 रन्स बनाये। सबसे दिलचस्प बात यह है कि उस समय महेंद्र सिंह धोनी [[बिहार]] की टीम से थे। | |||
*जब युवराज बहुत ही कम उम्र के थे तक उनके पिता का तलाक़ हो गया और युवराज अपनी माँ के साथ रहने लगे। | |||
*उनका मानना है कि 12 उनका लकी नंबर है। | |||
*सबसे पहले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में युवराज को 21 लाख रूपये का चेक मिला जिसे उन्होंने अपनी माँ को घर खरीदने के लिए दिया। | |||
*सन [[2007]] ICC T -20 वर्ल्डकप में इन्होंने [[इंग्लैंड]] के खिलाफ 6 बॉल्स में 6 छक्के मार कर एक इतिहास कायम कर दिया। | |||
*[[सचिन तेंदुलकर]] के बाद, युवराज ही एक मात्र खिलाड़ी हैं जिन्हें इंग्लिश काउंटी टीम यॉर्कशायर द्वारा साइंड किया गया। | |||
*सन [[2011]] के वर्ल्डकप के बाद इन्हें पता चला कि इन्हें लंग कैंसर है किन्तु वे कमजोर नहीं पड़े और कीमोथेरेपी के जरिये वे ठीक हो कर वापस भी लौट आये। | |||
*युवराज ने वौइस आर्टिस्ट के रूप में बॉलीवुड एनिमेटेड फ़िल्म ‘जम्बो’ में काम किया। | |||
*युवराज सिंह, सचिन तेंदुलकर को अपना प्रेरणास्त्रोत समझते हैं। | |||
*इन्होंने ने [[कैंसर]] से पीढित रोगियों के लिए youwecan की स्थापना की। | |||
*सन [[2013]] में युवराज ने अपनी ऑटोबायोग्राफी “दा टेस्ट ऑफ़ माय लाइफ : क्रिकेट से लेकर कैंसर तक और उससे वापस” रिलीज़ की। | |||
युवराज सिंह के | '''युवराज सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]- ''Yuvraj Singh'' जन्म- [[12 दिसम्बर]], [[1981]], [[चंडीगढ़]]) [[भारत]] के महान [[क्रिकेट]] खिलाड़ी हैं। इन्होंने 20-20 विश्व कप [[2007]] में [[इंग्लैंड]] के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के मारे थे, और 20-20 में 12 गेंदों में अर्धशतक बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है। युवराज सिंह को विश्व कप [[2011]] में अहम भूमिका निभाने में मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया। इन्हें सन [[2014]] में “[[पद्मश्री]]” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। | ||
== परिचय == | |||
{{main|युवराज सिंह का जीवन परिचय}} | |||
युवराज सिंह का जन्म [[12 दिसम्बर]], [[1981]] को [[चंडीगढ़]] में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके पिता योगराज सिंह है जो कि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है साथ ही ये पंजाबी फ़िल्म के [[अभिनेता]] भी हैं। युवराज सिंह की माता शबनम सिंह है। इनके भाई जोरावर सिंह है। युवराज सिंह को बचपन में [[टेनिस]] और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में रुचि थी और वे इसमें काफी अच्छे भी थे। | |||
==कैरियर== | |||
{{main|युवराज सिंह का कैरियर}} | |||
युवराज सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर– 12 से [[नवंबर]] सन [[1995]]-[[1996]] में [[जम्मू]] और [[कश्मीर]]– 16 के खिलाफ की। इसके बाद सन [[1996]]-[[1997]] में इन्होंने पंजाब अंडर– 19 से [[हिमाचल प्रदेश]] के खिलाफ मैच खेला। इसी तरह इन्होंने सन [[2000]] तक [[भारत]] में राष्ट्रीय लेवल में मैच खेले। इसके बाद इन्होंने सन 2000 में ही अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्डकप, जिसमें मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में [[भारत]] ने जीत हासिल की थी, युवराज ने अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से ‘प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट अवार्ड’ हासिल किया। | |||
== सम्मान और पुरस्कार == | |||
*सन [[2011]] के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला। | |||
*इन्हें सन [[2012]] में [[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] “[[प्रणव मुखर्जी|श्री प्रणव मुखर्जी]]” द्वारा [[भारत]] का दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न अवार्ड “[[अर्जुन पुरस्कार]]” से नवाजा गया। | |||
*इन्हें सन [[2014]] में “[[पद्मश्री]]” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। | |||
*[[फरवरी]] सन [[2014]] में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया। | |||
==उपलब्धियाँ== | |||
{{main|युवराज सिंह की उपलब्धियाँ}} | |||
युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत ही शानदार खिलाड़ी है जिस वजह से इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- | |||
*सन [[2007]] के ICC वर्ल्डकप T -20 मैच में इन्होंने 6 बॉल में 6 सिक्सेस लगाये। | |||
*ये पहले आल राउंडर बने जिन्होंने सिंगल वर्ल्डकप में 300 से ज्यादा रन्स और 15 से ज्यादा विकेट्स लिए। | |||
*सन [[2011]] के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला। | |||
== रोचक तथ्य == | |||
{{main|युवराज सिंह के बारे में रोचक तथ्य}} | |||
*युवराज सिंह बचपन में रोलर स्केटिंग और टेनिस में बहुत ही अच्छे थे, इन्होंने रोलर स्केटिंग में नेशनल U–11 चैंपियनशिप भी जीती। | |||
*युवराज के पिता फॉर्मर भारतीय क्रिकेटर और पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता हैं। | |||
*युवराज ने बचपन में बाल कलाकार के रूप में 2 पंजाबी फिल्म्स ‘पट सरदार’ और ‘मेहेन्दी सगण दी’ में काम किया। | |||
*युवराज सिंह को बचपन से ही दूसरे खेलों में रुचि थी किन्तु इनके पिता ने इन्हें क्रिकेट के लिए ही जोर दिया। नवजोत सिंह सिन्धु युवराज के कोच बने, किन्तु उनकी बैटिंग में कोई भी इम्प्रूवमेंट नहीं हुई तब इनके [[पिता]] ने कोच के रूप में इन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ाया। | |||
12:43, 6 अगस्त 2017 का अवतरण
युवराज सिंह (अंग्रेज़ी- Yuvraj Singh जन्म- 12 दिसम्बर, 1981, चंडीगढ़) भारत के महान क्रिकेट खिलाड़ी हैं। इन्होंने 20-20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के मारे थे, और 20-20 में 12 गेंदों में अर्धशतक बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है। युवराज सिंह को विश्व कप 2011 में अहम भूमिका निभाने में मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया।
परिचय
युवराज सिंह का जन्म 12 दिसम्बर, 1981 को चंडीगढ़ में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके पिता योगराज सिंह है जो कि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है साथ ही ये पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता भी हैं। युवराज सिंह की माता शबनम सिंह है। इनके भाई जोरावर सिंह है। युवराज सिंह को बचपन में टेनिस और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में रुचि थी और वे इसमें काफी अच्छे भी थे। इन्होंने नेशनल अंडर 14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप भी जीती थी। इन्हें इन खेलों में ज्यादा रूचि थी किन्तु इनके पिता यह नहीं चाहते थे। युवराज को क्रिकेट खेलने के लिए कहा करते थे। वे युवराज को इसके लिए रोज ट्रेनिंग भी देते थे। इनके पिता चाहते थे कि युवराज उनकी ही तरह एक फ़ास्ट गेंदबाज बने किन्तु युवराज स्केटर बनना चाहते थे। युवराज सिंह ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ के ही देव पब्लिक स्कूल से की। इन्होंने चाइल्ड स्टार के रूप में दो फ़िल्मों ‘मेहंदी सगण दी’ एवं ‘पट सरदार’ में भी काम किया। कुछ सालों बाद माता–पिता का तलाक़ हो गया और युवराज सिंह अपनी माता शबनम सिंह के साथ रहने लगे। इस तरह इनका शुरूआती जीवन बीता।
बाएँ हाथ बल्लेबाजी
युवराज सिंह बाएँ हाथ से खेलने वाले बल्लेबाज हैं, और स्लो लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स बोलिंग करते हैं। इसके जरिये वे अपने कैरियर में आगे बढ़े। स्पिन बोलर की तुलना में वे तेज बोलर द्वारा की बॉल्स को अच्छे से खेलते हैं, सन 2005 के इंडियन ऑइल कप युवराज के कैरियर का टर्निंग पॉइंट था। युवराज बहुत ही अच्छे फील्डर हैं और इनका फील्डिंग के दौरान स्टंप पर लक्ष्य बहुत अच्छा है। युवराज एक आक्रामक तेज बल्लेबाज हैं जिनका स्ट्राइक रेट T– 20 में 150 से ज्यादा का और 90 के आस – पास का ODI’s में है. इन्हें विस्फोटक बल्लेबाज भी कहा जाता है। जब युवराज सिंह फॉर्म में आते है तब उनका मैच देखते ही बनता है क्योंकि उस वक्त वे बहुत ही आसानी से चौकें और छक्के लगा देते है। कहा जाता है कि युवराज ने सन 1999 के बाद से सबसे ज्यादा रन आउट किये हैं। इस तरह युवराज के खेलने का तरीका है जिसे लोग बहुत पसंद करते है।
कैरियर
- अन्तर्राष्ट्रीय मैच
युवराज सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर– 12 से नवंबर सन 1995-1996 में जम्मू और कश्मीर– 16 के खिलाफ की। इसके बाद सन 1996-1997 में इन्होंने पंजाब अंडर– 19 से हिमाचल प्रदेश के खिलाफ मैच खेला। इसी तरह इन्होंने सन 2000 तक भारत में राष्ट्रीय लेवल में मैच खेले। इसके बाद इन्होंने सन 2000 में ही अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्डकप, जिसमें मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में भारत ने जीत हासिल की थी, युवराज ने अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से ‘प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट अवार्ड’ हासिल किया। युवराज के अंडर-19 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें आई सी सी (ICC) नॉकआउट ट्राफी के लिए भारतीय टीम में चयनित किया गया। यहाँ से उन्होंने अपना पहला वन डे अन्तर्राष्ट्रीय मैच के खिलाफ खेला। लेकिन यह टूर्नामेंट में भारत की जीत नहीं हुई किन्तु युवराज का इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन रहा। इसी टूर्नामेंट में युवराज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 82 बॉल्स में 84 रन बनाये। इसके अलावा इसी टूर्नामेंट में श्रीलंका के खिलाफ भी इनका बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा।
युवराज के लाइफ की सबसे बड़ी इनिंग जो कि वे कभी नहीं भूल सकते, जब वे जुलाई सन 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज में खेले थे। इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ फाइनल्स में 324 रन का लक्ष्य बनाया, उस समय भारत ने बहुत अच्छी शुरुआत की किन्तु एक के बाद एक विकेट गिनने के कारण भारत का स्कोर बहुत कम हुआ, भारत का स्कोर 135/5 था जब सचिन तेंदुलकर आउट हो गए।
- टैस्ट मैच
तब युवराज ने इस मैच में कप्तान मोहम्मद कैफ़ के साथ पार्टनरशिप कर बेहतरीन प्रदर्शन दिया। उनकी बेहतरीन बैटिंग से इस मैच को जगा दिया, और भारत की जीत हुई। युवराज ने सन 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला शतक बनाया। लेकिन उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रहा, जब ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ मैच था। युवराज ने 119 बॉल्स में 139 रन का स्कोर किया। युवराज का अगला शतक (110बॉल्स में 114 रन्स) वेस्टइंडीज के खिलाफ रहा, जहाँ भारत राउंड रोबिन लीग के अंतिम मैच में भारी दबाव था।
सन 2005 – 2006 में दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान एवं इंग्लैंड के खिलाफ हुई लगातार 3 सीरीज में युवराज को “मैन ऑफ़ दा सीरीज” का ख़िताब दिया गया। इसमें युवराज में 15 मैच में 3 शतक और 4 अर्द्धशतक लगाये। सितम्बर सन 2007 में राहुल द्रविण के इस्तीफे के बाद महेंद्र सिंह धोनी कप्तान के रूप में चुने गए, उसी समय युवराज को भारतीय क्रिकेट में उप कप्तान के रूप में चुना गया। नवंबर सन 2007 में युवराज ने पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन दिया। पाकिस्तान के खिलाफ़ हुई सीरीज में युवराज ने 5 मैच में 4 अर्द्धशतक लगाकर “मैन ऑफ़ दा सीरीज” की ट्राफी हासिल की। वन डे में इनका बहुत ही अच्छा प्रदर्शन रहा, ये टेस्ट मैच में नियमित रूप से खिलाड़ी नहीं थे किन्तु किसी खिलाड़ी के घायल होने की जगह पर उन्हें रखा गया था। इन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच सन 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सौरव गांगुली की जगह पर खेला, किन्तु टेस्ट टीम में अपनी जगह नहीं बना सके। युवराज ने अपने टेस्ट खाते में 3 शतक और 3 अर्द्धशतक बनाये और उनके तीनों शतक पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में थे। इस तरह इनका कैरियर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चलता जा रहा है।
राहुल द्रविण के इस्तीफे के बाद युवराज का नाम भारतीय क्रिकेट टीम के उप कप्तान के रूप में सामने आया। T -20 वर्ल्ड कप 2007 में इन्हें एक हार्ड हिट्टर बल्लेबाज के रूप में टीम में शामिल किया गया। इस वर्ल्ड कप के शुरू होने से पहले भारत की इंग्लैंड के साथ 7 मैच सीरीज हुई, जिसमें इंग्लैंड के मस्कारंयूस ने युवराज के एक ओवर पर 5 छक्के लगाये थे। यह युवराज से सहन नहीं हुआ। 12 सितम्बर सन 2007 को T – 20 वर्ल्डकप की शुरुआत हुई। 19 सितम्बर को भारत का इंग्लैंड के खिलाफ मैच था, जिसमें भारत की करो या मरो जैसी स्थिति हो गई थी। मैच सिर्फ 17 ओवर का था, तब युवराज स्ट्राइक पर थे और बोलिंग स्टुअर्ट ब्रॉड कर रहे थे। युवराज ने 6 बॉल्स में 6 छक्के लगाये एवं मात्र 12 बॉल्स में अपना अर्द्धशतक पूरा किया। उस समय का T -20 वर्ल्ड कप भारत के नाम हुआ। वे इस टूर्नामेंट के टॉप परफोर्मर भी रहे। इसके बाद बहुत सी सीरीज हुई, जिसमें इनका प्रदर्शन अच्छा रहा बहुत से कप्स इन्होंने जीते तथा बहुत से मैच में युवराज कुछ खास प्रदर्शन न दिखा सके। इसके बाद ICC वर्ल्ड कप सन 2011 में युवराज ने 4 बार ‘मैन ऑफ़ दा मैच अवार्ड’ जीता। जिसके चलते इन्हें ‘मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट’ का भी अवार्ड मिला। सन 2011 में ही युवराज अपनी अब तक की
कैंसर से जीती जंग
जिन्दगी के सबसे कठिन पड़ाव से गुजर रहे थे, जब उन्हें यह पता चला कि उन्हें बाएँ लंग में कैंसर हुआ है जोकि स्टेज– 1 में था। वे कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के लिए US के बोस्टन में कैंसर रिसर्च सेंटर में गए। लगभग 1 साल के अंदर ही इनका इलाज पूरा हो गया, और वे अप्रैल सन 2012 में भारत वापस आ गए। ठीक होने के बाद युवराज ने T– 20 मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला। इस तरह इनका वर्ल्ड कप्स और T – 20 वर्ल्ड कप्स में प्रदर्शन रहा।
आईपीएल का सफ़र
युवराज सिंह आईपीएल के शरुआती 2 सीजन में किंग्स 11 पंजाब टीम के कप्तान बने। यह टीम भारतीय सिनेमा की अभिनेत्री प्रीति जिंटा और बिज़नेस मैगनेट नेस वाडिया की थी। उस वक्त ये आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी थे। इन्होंने बहुत से ODI’s मैच खेले जिसमे उन्होंने भारतीय टीम को जीत दिलाई। क्रिकेट के इतिहास में ये सबसे बेहतरीन फील्डर में से एक माने जाते हैं। युवराज, जो कि मूल रूप से बॉल के बड़े हिट्टर के रूप में जाने जाते है, आईपीएल में उनका यह अंदाज देखने को नहीं मिला। लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें थी किन्तु वे उनकी उम्मीदों में खड़े नहीं उतर पाए। इस कारण अगले सीजन में इस टीम की कप्तानी कुमार संगकारा को दे दी गई। सन 2011 के आईपीएल में एक न्यू टीम पुणे वारियर्स आई. इस टीम में युवराज को खरीदा गया और वे इस टीम के कप्तान चुने गए। इसमें युवराज ने 14 मैच में 343 रन्स का स्कोर किया। किन्तु कुछ controvarsy के चलते सन 2012 में यह टीम आईपीएल में नहीं दिखी। इसके बाद सन 2014 में युवराज को 14 करोड़ में रोयल चंल्लेंजर्स बैंगलोर टीम ने खरीदा, किन्तु किंगफ़िशर के एक एम्प्लोयी ने युवराज को लैटर लिखा कि वे इस टीम के लिए न खेले। इसके बाद सन 2015 में युवराज को दिल्ली डेरडेविल्स टीम ने 16 करोड़ में खरीदा। सन 2016 में युवराज को सनरैसर हैदराबाद ने 7 करोड़ में खरीदा। इस टीम में युवराज का काफ़ी अच्छा प्रदर्शन रहा। इन्होंने 23 बॉल्स में 38 रन्स बनाये। इस तरह इनका आईपीएल में अब तक का सफर रहा।
सम्मान और पुरस्कार
- सन 2011 के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला।
- इन्हें सन 2012 में भारत के राष्ट्रपति “श्री प्रणव मुखर्जी” द्वारा भारत का दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न अवार्ड “अर्जुन पुरस्कार” से नवाजा गया।
- इन्हें सन 2014 में “पद्मश्री” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- फरवरी सन 2014 में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया।
उपलब्धियाँ
युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत ही शानदार खिलाड़ी है जिस वजह से इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
- सन 2007 के ICC वर्ल्डकप T -20 मैच में इन्होंने 6 बॉल में 6 सिक्सेस लगाये।
- ये पहले आल राउंडर बने जिन्होंने सिंगल वर्ल्डकप में 300 से ज्यादा रन्स और 15 से ज्यादा विकेट्स लिए।
- सन 2011 के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला।
- इन्हें सन 2012 में भारत के राष्ट्रपति “श्री प्रणव मुखर्जी” द्वारा भारत का दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न अवार्ड “अर्जुन पुरस्कार” से नवाजा गया।
- इन्हें सन 2014 में “पद्मश्री” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- फरवरी सन 2014 में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया।
- मैन ऑफ़ दा मैच’ का खिताब
युवराज सिंह क्रिकेटर होने के साथ– साथ असल जिन्दगी में भी बहुत जाने माने व्यक्ति हैं। इन्होंने बहुत से टी.वी. एड्स में भी काम किया। जिसमें ये ब्रांडस एम्बेसडर भी रहे। युवराज ने बहुत से मैच में ‘मैन ऑफ़ दा मैच’ का खिताब जीता, जिसके चलते इनकी फीमेल फेन फोल्लोविंग ज्यादा थी।
रोचक तथ्य
- युवराज सिंह बचपन में रोलर स्केटिंग और टेनिस में बहुत ही अच्छे थे, इन्होंने रोलर स्केटिंग में नेशनल U–11 चैंपियनशिप भी जीती।
- युवराज के पिता फॉर्मर भारतीय क्रिकेटर और पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता हैं।
- युवराज ने बचपन में बाल कलाकार के रूप में 2 पंजाबी फिल्म्स ‘पट सरदार’ और ‘मेहेन्दी सगण दी’ में काम किया।
- युवराज सिंह को बचपन से ही दूसरे खेलों में रुचि थी किन्तु इनके पिता ने इन्हें क्रिकेट के लिए ही जोर दिया। नवजोत सिंह सिन्धु युवराज के कोच बने, किन्तु उनकी बैटिंग में कोई भी इम्प्रूवमेंट नहीं हुई तब इनके पिता ने कोच के रूप में इन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ाया।
- शुरुआत में इनके पिता ने इन्हें ट्रेन किया इसके बाद इन्हें मुंबई के एल्फ– वेंगसरकर क्रिकेट एकेडमी में भेज दिया गया।
- दिसम्बर सन 1999 में युवराज ने बिहार के खिलाफ मैच खेल कर U-19 कूच बिहार ट्राफी में 3 शतक लगाकर 404 बॉल्स में 358 रन्स बनाये। सबसे दिलचस्प बात यह है कि उस समय महेंद्र सिंह धोनी बिहार की टीम से थे।
- जब युवराज बहुत ही कम उम्र के थे तक उनके पिता का तलाक़ हो गया और युवराज अपनी माँ के साथ रहने लगे।
- उनका मानना है कि 12 उनका लकी नंबर है।
- सबसे पहले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में युवराज को 21 लाख रूपये का चेक मिला जिसे उन्होंने अपनी माँ को घर खरीदने के लिए दिया।
- सन 2007 ICC T -20 वर्ल्डकप में इन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 6 बॉल्स में 6 छक्के मार कर एक इतिहास कायम कर दिया।
- सचिन तेंदुलकर के बाद, युवराज ही एक मात्र खिलाड़ी हैं जिन्हें इंग्लिश काउंटी टीम यॉर्कशायर द्वारा साइंड किया गया।
- सन 2011 के वर्ल्डकप के बाद इन्हें पता चला कि इन्हें लंग कैंसर है किन्तु वे कमजोर नहीं पड़े और कीमोथेरेपी के जरिये वे ठीक हो कर वापस भी लौट आये।
- युवराज ने वौइस आर्टिस्ट के रूप में बॉलीवुड एनिमेटेड फ़िल्म ‘जम्बो’ में काम किया।
- युवराज सिंह, सचिन तेंदुलकर को अपना प्रेरणास्त्रोत समझते हैं।
- इन्होंने ने कैंसर से पीढित रोगियों के लिए youwecan की स्थापना की।
- सन 2013 में युवराज ने अपनी ऑटोबायोग्राफी “दा टेस्ट ऑफ़ माय लाइफ : क्रिकेट से लेकर कैंसर तक और उससे वापस” रिलीज़ की।
युवराज सिंह (अंग्रेज़ी- Yuvraj Singh जन्म- 12 दिसम्बर, 1981, चंडीगढ़) भारत के महान क्रिकेट खिलाड़ी हैं। इन्होंने 20-20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के मारे थे, और 20-20 में 12 गेंदों में अर्धशतक बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है। युवराज सिंह को विश्व कप 2011 में अहम भूमिका निभाने में मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया। इन्हें सन 2014 में “पद्मश्री” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
परिचय
युवराज सिंह का जन्म 12 दिसम्बर, 1981 को चंडीगढ़ में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके पिता योगराज सिंह है जो कि एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर रह चुके है साथ ही ये पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता भी हैं। युवराज सिंह की माता शबनम सिंह है। इनके भाई जोरावर सिंह है। युवराज सिंह को बचपन में टेनिस और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में रुचि थी और वे इसमें काफी अच्छे भी थे।
कैरियर
युवराज सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर– 12 से नवंबर सन 1995-1996 में जम्मू और कश्मीर– 16 के खिलाफ की। इसके बाद सन 1996-1997 में इन्होंने पंजाब अंडर– 19 से हिमाचल प्रदेश के खिलाफ मैच खेला। इसी तरह इन्होंने सन 2000 तक भारत में राष्ट्रीय लेवल में मैच खेले। इसके बाद इन्होंने सन 2000 में ही अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्डकप, जिसमें मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी में भारत ने जीत हासिल की थी, युवराज ने अपने ऑल राउंड प्रदर्शन से ‘प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट अवार्ड’ हासिल किया।
सम्मान और पुरस्कार
- सन 2011 के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला।
- इन्हें सन 2012 में भारत के राष्ट्रपति “श्री प्रणव मुखर्जी” द्वारा भारत का दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न अवार्ड “अर्जुन पुरस्कार” से नवाजा गया।
- इन्हें सन 2014 में “पद्मश्री” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- फरवरी सन 2014 में इन्हें साल के सबसे प्रेरनादायी खिलाड़ी के रूप में FICCI अवार्ड के साथ सम्मानित किया गया।
उपलब्धियाँ
युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत ही शानदार खिलाड़ी है जिस वजह से इन्होंने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
- सन 2007 के ICC वर्ल्डकप T -20 मैच में इन्होंने 6 बॉल में 6 सिक्सेस लगाये।
- ये पहले आल राउंडर बने जिन्होंने सिंगल वर्ल्डकप में 300 से ज्यादा रन्स और 15 से ज्यादा विकेट्स लिए।
- सन 2011 के ICC वर्ल्डकप में इन्हें “मैन ऑफ़ दा टूर्नामेंट का अवार्ड” मिला।
रोचक तथ्य
- युवराज सिंह बचपन में रोलर स्केटिंग और टेनिस में बहुत ही अच्छे थे, इन्होंने रोलर स्केटिंग में नेशनल U–11 चैंपियनशिप भी जीती।
- युवराज के पिता फॉर्मर भारतीय क्रिकेटर और पंजाबी फ़िल्म के अभिनेता हैं।
- युवराज ने बचपन में बाल कलाकार के रूप में 2 पंजाबी फिल्म्स ‘पट सरदार’ और ‘मेहेन्दी सगण दी’ में काम किया।
- युवराज सिंह को बचपन से ही दूसरे खेलों में रुचि थी किन्तु इनके पिता ने इन्हें क्रिकेट के लिए ही जोर दिया। नवजोत सिंह सिन्धु युवराज के कोच बने, किन्तु उनकी बैटिंग में कोई भी इम्प्रूवमेंट नहीं हुई तब इनके पिता ने कोच के रूप में इन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ाया।