"साँचा:एक त्योहार": अवतरणों में अंतर

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         '''[[दीपावली]]''' अथवा 'दिवाली' [[भारत]] के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण [[धनतेरस]] से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार [[कार्तिक]] [[अमावास्या|अमावस्या]] को भगवान [[राम|श्रीराम]] चौदह वर्ष का वनवास काटकर [[अयोध्या]] लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी [[महालक्ष्मी देवी|महालक्ष्मी]], विघ्न-विनाशक [[गणेश|गणेश जी]] और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी [[सरस्वती]] की पूजा-आराधना की जाती है। [[ब्रह्म पुराण]] के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। [[दीपावली|... और पढ़ें]]</poem>
         '''[[होली]]''' [[भारत]] का प्रमुख त्योहार है। [[पुराण|पुराणों]] में वर्णित है कि [[हिरण्यकशिपु]] की बहन [[होलिका]] वरदान के प्रभाव से नित्य अग्नि स्नान करती थी। हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से [[प्रह्लाद]] को गोद में लेकर अग्निस्नान करने को कहा। उसने समझा कि ऐसा करने से प्रह्लाद अग्नि में जल जाएगा तथा होलिका बच जाएगी। होलिका ने ऐसा ही किया, किंतु होलिका जल गयी, प्रह्लाद बच गये। इस पर्व को 'नवान्नेष्टि यज्ञपर्व' भी कहा जाता है, क्योंकि खेत से आये नवीन अन्न को इस दिन [[यज्ञ]] में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा भी है। उस अन्न को 'होला' कहते है। इसी से इसका नाम 'होलिकोत्सव' पड़ा। सभी लोग आपसी भेदभाव को भुलाकर इसे हर्ष व उल्लास के साथ मनाते हैं। होली पारस्परिक सौमनस्य एकता और समानता को बल देती है। [[लिंग पुराण]] में आया है- 'फाल्गुन पूर्णिमा को 'फाल्गुनिका' कहा जाता है, यह बाल-क्रीड़ाओं से पूर्ण है और लोगों को विभूति, ऐश्वर्य देने वाली है।' [[वराह पुराण]] में आया है कि यह 'पटवास-विलासिनी' है। [[होली|... और पढ़ें]]
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12:12, 22 मार्च 2016 का अवतरण

एक त्योहार
होली के विभिन्न दृश्य
होली के विभिन्न दृश्य

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       होली भारत का प्रमुख त्योहार है। पुराणों में वर्णित है कि हिरण्यकशिपु की बहन होलिका वरदान के प्रभाव से नित्य अग्नि स्नान करती थी। हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्निस्नान करने को कहा। उसने समझा कि ऐसा करने से प्रह्लाद अग्नि में जल जाएगा तथा होलिका बच जाएगी। होलिका ने ऐसा ही किया, किंतु होलिका जल गयी, प्रह्लाद बच गये। इस पर्व को 'नवान्नेष्टि यज्ञपर्व' भी कहा जाता है, क्योंकि खेत से आये नवीन अन्न को इस दिन यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा भी है। उस अन्न को 'होला' कहते है। इसी से इसका नाम 'होलिकोत्सव' पड़ा। सभी लोग आपसी भेदभाव को भुलाकर इसे हर्ष व उल्लास के साथ मनाते हैं। होली पारस्परिक सौमनस्य एकता और समानता को बल देती है। लिंग पुराण में आया है- 'फाल्गुन पूर्णिमा को 'फाल्गुनिका' कहा जाता है, यह बाल-क्रीड़ाओं से पूर्ण है और लोगों को विभूति, ऐश्वर्य देने वाली है।' वराह पुराण में आया है कि यह 'पटवास-विलासिनी' है। ... और पढ़ें

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