"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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{सिंहासन पर बैठने के बाद [[अशोक]] ने कौन-सी उपाधि धारण की?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.85, प्र.62) | |||
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-जनानामप्रिय | |||
-विगतशोक | |||
+देवानाम्प्रिय | |||
-धर्मनामप्रिय | |||
||'[[अशोक]]' अथवा 'असोक' प्राचीन [[भारत]] में [[मौर्य राजवंश]] का राजा था। अशोक का 'देवानाम्प्रिय' एवं 'प्रियदर्शी' आदि नामों से भी उल्लेख किया जाता है। 'देवानाम्प्रिय प्रियदर्शी', इस वाक्यांश में बी.ए. स्मिथ के मतानुसार 'देवानाम्प्रिय' आदरसूचक पद है और इसी अर्थ में हमने भी इसको लिया है, किंतु 'देवानाम्प्रिय' शब्द (देव-प्रिय नहीं) [[पाणिनी]] के एक सूत्र के अनुसार अनादर का सूचक है। इन सबके उत्तरकालीन वैयाकरण भट्टोजिदीक्षित इसे अपवाद में नहीं रखते। वे इसका अनादरवाची अर्थ 'मूर्ख' ही करते हैं। उनके मत से 'देवानाम्प्रिय ब्रह्मज्ञान से रहित उस पुरुष को कहते हैं जो यज्ञ और पूजा से भगवान को प्रसन्न करने का यत्न करता है। | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सा [[विवाह]] ग़ैर-मान्यता प्राप्त है?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.84, प्र.30) | {निम्नलिखित में से कौन-सा [[विवाह]] ग़ैर-मान्यता प्राप्त है?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.84, प्र.30) | ||
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-[[अरस्तु]] | -[[अरस्तु]] | ||
||'मैगस्थनीज़' ने अपनी पुस्तक '[[इण्डिका]]' में भारतीय जन-जीवन, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। उसको अपने समय का एक बेहतरीन विदेशी यात्री और [[यूनानी]] भूगोलविद माना जाता है। मैगस्थनीज़ ने [[भारत]] से प्राप्त होने वाली [[खनिज]] सम्पदाओं में [[सोना]], [[चांदी]], [[ताँबा]] एवं [[टिन]] की बहुत प्रशंसा की है। उसके अनुसार भारत में चीटियाँ सोने का संग्रह करती थीं। पशुओं में मैगस्थनीज़ भारतीय [[हाथी]] से काफ़ी प्रभावित था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेगस्थनीज़]] | ||'मैगस्थनीज़' ने अपनी पुस्तक '[[इण्डिका]]' में भारतीय जन-जीवन, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। उसको अपने समय का एक बेहतरीन विदेशी यात्री और [[यूनानी]] भूगोलविद माना जाता है। मैगस्थनीज़ ने [[भारत]] से प्राप्त होने वाली [[खनिज]] सम्पदाओं में [[सोना]], [[चांदी]], [[ताँबा]] एवं [[टिन]] की बहुत प्रशंसा की है। उसके अनुसार भारत में चीटियाँ सोने का संग्रह करती थीं। पशुओं में मैगस्थनीज़ भारतीय [[हाथी]] से काफ़ी प्रभावित था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेगस्थनीज़]] | ||
{[[समुद्रगुप्त]] के काल का [[इतिहास]] जानने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन क्या है?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.86, प्र.70) | {[[समुद्रगुप्त]] के काल का [[इतिहास]] जानने का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन क्या है?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.86, प्र.70) | ||
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||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|महात्मा गाँधी]][[असहयोग आन्दोलन]] [[गांधी जी]] ने [[1 अगस्त]], [[1920]] को आरम्भ किया था। किंतु [[5 फ़रवरी]], [[1922]] को [[देवरिया ज़िला|देवरिया]] ज़िले के [[चौरी चौरा]] नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकना चाहा, इसके फलस्वरूप जनता ने क्रोध में आकर थाने में [[आग]] लगा दी, जिसमें एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। इस घटना से गांधी जी स्तब्ध रह गए। [[12 फ़रवरी]], [[1922]] को बारदोली में हुई [[कांग्रेस]] की बैठक में 'असहयोग आन्दोलन' को समाप्त करने का निर्णय ले लिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[असहयोग आन्दोलन]] | ||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|महात्मा गाँधी]][[असहयोग आन्दोलन]] [[गांधी जी]] ने [[1 अगस्त]], [[1920]] को आरम्भ किया था। किंतु [[5 फ़रवरी]], [[1922]] को [[देवरिया ज़िला|देवरिया]] ज़िले के [[चौरी चौरा]] नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकना चाहा, इसके फलस्वरूप जनता ने क्रोध में आकर थाने में [[आग]] लगा दी, जिसमें एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। इस घटना से गांधी जी स्तब्ध रह गए। [[12 फ़रवरी]], [[1922]] को बारदोली में हुई [[कांग्रेस]] की बैठक में 'असहयोग आन्दोलन' को समाप्त करने का निर्णय ले लिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[असहयोग आन्दोलन]] | ||
{[[भारत]] के विभाजन की [[माउण्टबेटन योजना]] योजना कब घोषित की गई थी?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.90, प्र.186) | {[[भारत]] के विभाजन की [[माउण्टबेटन योजना]] योजना कब घोषित की गई थी?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.90, प्र.186) | ||
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-[[औरंगज़ेब]] | -[[औरंगज़ेब]] | ||
||अब्दुल्ला ख़ाँ ने 1611 ई. में रणपुर के दर्रे में राजकुमार कर्ण को परास्त किया था, परन्तु एक अन्य रणपुर के संघर्ष में अब्दुल्ला ख़ाँ को पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद मिर्ज़ा अजीज कोका को भेजा गया, खुद [[जहाँगीर]] अपने प्रभाव से शत्रु को आतंकित करने के लिए 1613 ई. में [[अजमेर]] गया। इस समय जहाँगीर ने [[मेवाड़]] के आक्रमण का भार शाहज़ादा 'ख़ुर्रम' ([[शाहजहाँ]]) को दिया। शाहज़ादा के नेतृत्व मे [[मुग़ल]] सेना के दबाब के सामने मेवाड़ की सेना को समझौते के लिए बाध्य होना पड़ा। [[राणा अमरसिंह]] की शर्तों पर जहाँगीर सन्धि के लिए तेयार हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||अब्दुल्ला ख़ाँ ने 1611 ई. में रणपुर के दर्रे में राजकुमार कर्ण को परास्त किया था, परन्तु एक अन्य रणपुर के संघर्ष में अब्दुल्ला ख़ाँ को पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद मिर्ज़ा अजीज कोका को भेजा गया, खुद [[जहाँगीर]] अपने प्रभाव से शत्रु को आतंकित करने के लिए 1613 ई. में [[अजमेर]] गया। इस समय जहाँगीर ने [[मेवाड़]] के आक्रमण का भार शाहज़ादा 'ख़ुर्रम' ([[शाहजहाँ]]) को दिया। शाहज़ादा के नेतृत्व मे [[मुग़ल]] सेना के दबाब के सामने मेवाड़ की सेना को समझौते के लिए बाध्य होना पड़ा। [[राणा अमरसिंह]] की शर्तों पर जहाँगीर सन्धि के लिए तेयार हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||
{"यदि हम मेंढक की तरह वर्ष में केवल एक बार टर्रायेंगे तो भारतीयों को कोई सफलता नहीं मिल सकती।" [[कांग्रेस]] के बारे में उपरोक्त कथन किसका है?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.92, प्र.200) | |||
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-[[लाला लाजपत राय]] | |||
+[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
-[[अरविन्द घोष]] | |||
-[[गोपाल कृष्ण गोखले]] | |||
||[[चित्र:Lokmanya-Bal-Gangadhar-Tilak-2.gif|right|100px|बाल गंगाधर तिलक]][[भारत]] के [[वाइसरॉय]] [[लॉर्ड कर्ज़न]] ने जब सन [[1905]] ई. में [[बंगाल का विभाजन]] किया, तो [[बाल गंगाधर तिलक]] ने बंगालियों द्वारा इस विभाजन को रद्द करने की मांग का ज़ोरदार समर्थन किया और ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार की वक़ालत की, जो जल्दी ही एक देशव्यापी आंदोलन बन गया। अगले वर्ष उन्होंने [[सत्याग्रह]] के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई, जिसे 'नए दल का सिद्धांत' कहा जाता था। उन्हें उम्मीद थी कि इससे ब्रिटिश शासन का सम्मोहनकारी प्रभाव ख़त्म होगा और लोग स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु बलिदान के लिए तैयार होंगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
{[[भारत]] में चारबाग़ शैली का प्रथम मक़बरा कौन-सा है?(ल्युसेंट, पृ.61, प्र.196) | {[[भारत]] में चारबाग़ शैली का प्रथम मक़बरा कौन-सा है?(ल्युसेंट, पृ.61, प्र.196) | ||
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-[[जहाँगीर]] का मक़बरा | -[[जहाँगीर]] का मक़बरा | ||
-[[औरंगज़ेब]] का मक़बरा | -[[औरंगज़ेब]] का मक़बरा | ||
||'हुमायूँ का मक़बरा' [[नई दिल्ली]] के 'दीनापनाह' अर्थात पुराने क़िले के निकट संत [[निज़ामुद्दीन दरगाह|निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह]] के पास [[यमुना नदी]] के किनारे स्थित है। [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] में [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] में चारबाग़ शैली के उद्यान प्रमुख अंग थे। इससे पूर्व ऐसे उद्यान [[भारत]] में कभी भी नहीं दिखे थे और इसके बाद ये अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। [[हुमायूँ]] का मक़बरा इसके [[पिता]] [[बाबर]] के [[क़ाबुल]] स्थित मक़बरे 'बाग़-ए-बाबर' से बिल्कुल अलग था। [[मुग़ल]] सम्राटों को बाग़ में बने मक़बरों में दफ़न करने की परंपरा बाबर के साथ ही आरंभ हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हुमायूँ का मक़बरा]] | ||[[चित्र:Humayun-Tomb-Delhi-23.jpg|right|140px|हुमायूँ का मक़बरा]]'हुमायूँ का मक़बरा' [[नई दिल्ली]] के 'दीनापनाह' अर्थात पुराने क़िले के निकट संत [[निज़ामुद्दीन दरगाह|निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह]] के पास [[यमुना नदी]] के किनारे स्थित है। [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] में [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] में चारबाग़ शैली के उद्यान प्रमुख अंग थे। इससे पूर्व ऐसे उद्यान [[भारत]] में कभी भी नहीं दिखे थे और इसके बाद ये अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। [[हुमायूँ]] का मक़बरा इसके [[पिता]] [[बाबर]] के [[क़ाबुल]] स्थित मक़बरे 'बाग़-ए-बाबर' से बिल्कुल अलग था। [[मुग़ल]] सम्राटों को बाग़ में बने मक़बरों में दफ़न करने की परंपरा बाबर के साथ ही आरंभ हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हुमायूँ का मक़बरा]] | ||
{वर्ष 1486 ई. में [[वास्को द गामा]] [[भारत]] में कहाँ उतरा था?(ल्युसेंट, पृ.66, प्र.07) | {वर्ष 1486 ई. में [[वास्को द गामा]] [[भारत]] में कहाँ उतरा था?(ल्युसेंट, पृ.66, प्र.07) |
05:54, 17 जून 2012 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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