"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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-[[विक्रमादित्य]] | -[[विक्रमादित्य]] | ||
+[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] | +[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] | ||
||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|right|100px|चन्द्रगुप्त मौर्य]]'चन्द्रगुप्त मौर्य' एक कुशल योद्धा, सेनानायक तथा महान विजेता ही नहीं, वरन एक योग्य शासक भी था। अपने विशाल साम्राज्य की शासन-व्यवस्था को सम्भालना कोई सरल कार्य नहीं था। अतः उसने अपने मुख्यमंत्री [[कौटिल्य]] की सहायता से एक ऐसी शासन-व्यवस्था का निर्माण किया, जो उस समय के अनुकूल थी। यह शासन-व्यवस्था एक हद तक [[मगध]] के पूर्वगामी शासकों द्वारा विकसित शासनतंत्र पर आधारित थी, किन्तु इसका अधिक श्रेय [[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]] और कौटिल्य की सृजनात्मक क्षमता को ही दिया जाना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] | |||
{'[[इण्डिका]]' पुस्तक मूलत: किसके द्वारा लिखी गई थी?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.85, प्र.52) | {'[[इण्डिका]]' पुस्तक मूलत: किसके द्वारा लिखी गई थी?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.85, प्र.52) | ||
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+[[मेगस्थनीज़]] | +[[मेगस्थनीज़]] | ||
-[[अरस्तु]] | -[[अरस्तु]] | ||
||'मैगस्थनीज़' ने अपनी पुस्तक '[[इण्डिका]]' में भारतीय जन-जीवन, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। उसको अपने समय का एक बेहतरीन विदेशी यात्री और [[यूनानी]] भूगोलविद माना जाता है। मैगस्थनीज़ ने [[भारत]] से प्राप्त होने वाली [[खनिज]] सम्पदाओं में [[सोना]], [[चांदी]], [[ताँबा]] एवं [[टिन]] की बहुत प्रशंसा की है। उसके अनुसार भारत में चीटियाँ सोने का संग्रह करती थीं। पशुओं में मैगस्थनीज़ भारतीय [[हाथी]] से काफ़ी प्रभावित था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेगस्थनीज़]] | |||
{सिंहासन पर बैठने के बाद [[अशोक]] ने कौन-सी उपाधि धारण की?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.85, प्र.62) | {सिंहासन पर बैठने के बाद [[अशोक]] ने कौन-सी उपाधि धारण की?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.85, प्र.62) | ||
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-[[साँची]] गुफ़ा [[अभिलेख]] | -[[साँची]] गुफ़ा [[अभिलेख]] | ||
-[[भरहुत]] भित्तिचित्र | -[[भरहुत]] भित्तिचित्र | ||
||[[चित्र:Sangam-Allahabad.jpg|right|120px|संगम, इलाहाबाद]]'इलाहाबाद' का प्राचीन नाम '[[प्रयाग]]' है और यह 'तीर्थराज' के नाम से भी जाना जाता है। सातवीं शताब्दी में सम्राट [[हर्षवर्धन]] ने यहाँ पाँच-पाँच वर्ष के अनन्तर पर एक सत्र का आयोजन किया करता था। ऐसे एक सत्र में चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने 643 ई. में भाग लिया था। [[इलाहाबाद]] में सबसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक सम्राट [[अशोक]] (273-232 ई. पू.) के 6 स्तम्भ-लेखों में से एक है। इस पर [[गुप्त]] सम्राट [[समुद्रगुप्त]] (330-380 ई.) के कवि '[[हरिषेण]]' रचित प्रसिद्ध प्रशस्ति है, जिसमें उसके दिग्विजय होने का वर्णन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इलाहाबाद]] | |||
{निम्न में से कौन 'भारतीय क्रांति की माँ' कहलाती हैं?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.92, प्र.190) | {निम्न में से कौन 'भारतीय क्रांति की माँ' कहलाती हैं?(अरिहंत, सा.ज्ञा. पृ.92, प्र.190) |
12:18, 15 जून 2012 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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