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-[[औरंगज़ेब]] का एक महत्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र
-[[औरंगज़ेब]] का एक महत्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र
-[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिहासकार एवं कवि
-[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिहासकार एवं कवि
||[[चित्र:Shahjahan on The Peacock Throne.jpg|right|120px]][[नूरजहाँ]] के रुख को अपने प्रतिकूल जानकर शाहजहाँ ने 1622 ई. में विद्रोह कर दिया, जिसमें वह पूर्णतः असफल रहा। 1627 ई. में [[जहाँगीर]] की मृत्यु के उपरान्त [[शाहजहाँ]] ने अपने ससुर [[आसफ़ ख़ाँ]] को यह निर्देश दिया, कि वह शाही परिवार के उन समस्त लोगों को समाप्त कर दें, जो राज सिंहासन के दावेदार हैं। जहाँगीर की मृत्यु के बाद शाहजहाँ दक्षिण में था। अतः उसके श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने शाहजहाँ के आने तक ख़ुसरों के लड़के दाबर बख़्श को गद्दी पर बैठाया। शाहजहाँ के वापस आने पर दाबर बख़्श का क़त्ल कर दिया गया। इस प्रकार दाबर बख़्श को बलि का बकरा कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]]
||[[चित्र:Shahjahan on The Peacock Throne.jpg|right|120px]][[नूरजहाँ]] के रुख को अपने प्रतिकूल जानकर शाहजहाँ ने 1622 ई. में विद्रोह कर दिया, जिसमें वह पूर्णतः असफल रहा। 1627 ई. में [[जहाँगीर]] की मृत्यु के उपरान्त [[शाहजहाँ]] ने अपने ससुर [[आसफ़ ख़ाँ]] को यह निर्देश दिया, कि वह शाही परिवार के उन समस्त लोगों को समाप्त कर दें, जो राज सिंहासन के दावेदार हैं। जहाँगीर की मृत्यु के बाद शाहजहाँ दक्षिण में था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]]


{'धरमट का युद्ध' (अप्रैल 1658) निम्न में से किनके बीच बीच लड़ा गया था?
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+[[औरंगज़ेब]] और [[दारा शिकोह]]
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-[[अहमदशाह]] और [[मराठा]]
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||अपने साम्राज्य विस्तार के अन्तर्गत औरंगज़ेब ने सर्वप्रथम असम को अपने अधिकार में करना चाहा। उसने मीर जुमला को बंगाल  का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असम को जीतने की ज़िम्मेदारी सौंपी। 1 नवम्बर, 1661 ई. को मीर जुमला ने कूचबिहार की राजधानी को अपने अधिकार में कर लिया। असम पर उस समय अहोम जाति के लोग शासन कर रहे थे। मीर जुमला ने अहोमों को परास्त कर 1662 ई. में ‘गढ़गाँव’ पर क़ब्ज़ा कर लिया। कालान्तर में असम के आन्तरिक संघर्ष का फ़ायदा उठा कर मुग़लों ने 1670 ई. में ‘कामरूप’ के अतिरिक्त शेष असम पर पुनः अधिकार कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]]
||अपने साम्राज्य विस्तार के अन्तर्गत औरंगज़ेब ने सर्वप्रथम असम को अपने अधिकार में करना चाहा। उसने मीर जुमला को बंगाल  का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असम को जीतने की ज़िम्मेदारी सौंपी। 1 नवम्बर, 1661 ई. को मीर जुमला ने कूचबिहार की राजधानी को अपने अधिकार में कर लिया। असम पर उस समय अहोम जाति के लोग शासन कर रहे थे। मीर जुमला ने अहोमों को परास्त कर 1662 ई. में ‘गढ़गाँव’ पर क़ब्ज़ा कर लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]]
||[[चित्र:Dara-Shikoh.jpg|right|150px|]]दारा शिकोह की उम्र जिस समय 43 वर्ष की थी और वह पिता के 'तख़्त-ए-ताऊस' को उत्तराधिकार में पाने की उम्मीद रखता था। लेकिन तीनों छोटे भाइयों, ख़ासकर [[औरंगज़ेब]] ने उसके इस दावे का विरोध किया। फलस्वरूप दारा को उत्तराधिकार के लिए अपने इन भाइयों के साथ में युद्ध करना पड़ा। लेकिन [[शाहजहाँ]] के समर्थन के बावजूद दारा की फ़ौज [[15 अप्रैल]] 1658 ई. को धरमट के युद्ध में औरंगज़ेब और मुराद बख़्श की संयुक्त फ़ौज से परास्त हो गई। इसके बाद दारा अपने बाग़ी भाइयों को दबाने के लिए दुबारा खुद अपने नेतृत्व में शाही फ़ौजों के साथ निकला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दारा शिकोह]]
||[[चित्र:Dara-Shikoh.jpg|right|150px|]]दारा शिकोह की उम्र जिस समय 43 वर्ष की थी और वह पिता के 'तख़्त-ए-ताऊस' को उत्तराधिकार में पाने की उम्मीद रखता था। लेकिन तीनों छोटे भाइयों, ख़ासकर [[औरंगज़ेब]] ने उसके इस दावे का विरोध किया। फलस्वरूप दारा को उत्तराधिकार के लिए अपने इन भाइयों के साथ में युद्ध करना पड़ा। लेकिन [[शाहजहाँ]] के समर्थन के बावजूद दारा की फ़ौज [[15 अप्रैल]] 1658 ई. को धरमट के युद्ध में औरंगज़ेब और मुराद बख़्श की संयुक्त फ़ौज से परास्त हो गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दारा शिकोह]]


{[[मुग़ल काल]] में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको 'बाबूल मक्का' (मक्का द्वार) कहा जाता था?
{[[मुग़ल काल]] में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको 'बाबूल मक्का' (मक्का द्वार) कहा जाता था?
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-[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]]
-[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]]
+[[सूरत]]
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||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|120px]][[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा (1512 एवं 1530) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, किमख़्वाब (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ प्रसिद्ध हैं। सूरत के [[हीरा|हीरे]] पर पॉलिश के उद्योग ने प्रवासी मज़दूरों कों अपनी और आकर्षित किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|120px]][[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा (1512 एवं 1530) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, किमख़्वाब (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ प्रसिद्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]


{[[दिल्ली]] का [[पुराना क़िला दिल्ली|पुराना क़िला]] किसके द्वारा बनवाया गया था?
{[[दिल्ली]] का [[पुराना क़िला दिल्ली|पुराना क़िला]] किसके द्वारा बनवाया गया था?
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-[[शाहजहाँ]]
-[[शाहजहाँ]]
-[[हुमायूँ]]
-[[हुमायूँ]]
||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|right|150px|]]शेरशाह ने [[बंगाल]] के सोनागाँव से लेकर [[पंजाब]] में [[सिंधु नदी]] तक, [[आगरा]] से [[राजस्थान]] और [[मालवा]] तक पक्की सड़कें बनवाई थीं। सड़कों के किनारे छायादार एवं फल वाले वृक्ष लगाये गये थे, और जगह-जगह पर सराय, मस्जिद और कुओं का निर्माण कराया गया था। [[ब्रजमंडल]] के चौमुहाँ गाँव की सराय और छाता गाँव की सराय का भीतरी भाग उसी के द्वारा निर्मित हैं। [[दिल्ली]] में उसने 'शहर पनाह' बनवाया था, जो आज वहाँ का 'लाल दरवाज़ा' है। दिल्ली का 'पुराना क़िला' भी उसी के द्वारा बनवाया माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शेरशाह]]
||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|right|150px|]]शेरशाह ने [[बंगाल]] के सोनागाँव से लेकर [[पंजाब]] में [[सिंधु नदी]] तक, [[आगरा]] से [[राजस्थान]] और [[मालवा]] तक पक्की सड़कें बनवाई थीं। सड़कों के किनारे छायादार एवं फल वाले वृक्ष लगाये गये थे, और जगह-जगह पर सराय, मस्जिद और कुओं का निर्माण कराया गया था। [[ब्रजमंडल]] के चौमुहाँ गाँव की सराय और छाता गाँव की सराय का भीतरी भाग उसी के द्वारा निर्मित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शेरशाह]]


{[[अमरकोट]] के राजा वीरसाल के महल में किस [[मुग़ल]] बादशाह का जन्म हुआ था?
{[[अमरकोट]] के राजा वीरसाल के महल में किस [[मुग़ल]] बादशाह का जन्म हुआ था?
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+[[अकबर]]
+[[अकबर]]
-[[जहाँगीर]]
-[[जहाँगीर]]
||[[चित्र:Akbar-Receives-An-Embassy.jpg|right|120px]]अकबर का जन्म [[अमरकोट]] के राणा ‘वीरसाल’ के महल में हुआ था। आजकल कितने ही लोग अमरकोट को 'उमरकोट' समझने की ग़लती करते हैं। वस्तुत: यह इलाका [[राजस्थान]] का अभिन्न अंग था। आज भी वहाँ [[हिन्दू]] [[राजपूत]] बसते हैं। रेगिस्तान और [[सिंध]] की सीमा पर होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे सिंध के साथ जोड़ दिया और विभाजन के बाद वह [[पाकिस्तान]] का अंग बन गया। [[अकबर]] के बचपन का नाम 'बदरुद्दीन' था। 1546 ई. में अकबर के खतने के समय [[हुमायूँ]] ने उसका नाम 'जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर' रखा। अकबर के जन्म के समय की स्थिति सम्भवतः हुमायूँ के जीवन की सर्वाधिक कष्टप्रद स्थिति थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]]
||[[चित्र:Akbar-Receives-An-Embassy.jpg|right|120px]]अकबर का जन्म [[अमरकोट]] के राणा ‘वीरसाल’ के महल में हुआ था। आजकल कितने ही लोग अमरकोट को 'उमरकोट' समझने की ग़लती करते हैं। वस्तुत: यह इलाका [[राजस्थान]] का अभिन्न अंग था। आज भी वहाँ [[हिन्दू]] [[राजपूत]] बसते हैं। रेगिस्तान और [[सिंध]] की सीमा पर होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे सिंध के साथ जोड़ दिया और विभाजन के बाद वह [[पाकिस्तान]] का अंग बन गया। [[अकबर]] के बचपन का नाम 'बदरुद्दीन' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]]


{[[मुग़ल]] दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी?
{[[मुग़ल]] दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी?
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-[[औरंगज़ेब]]
-[[औरंगज़ेब]]
-[[हुमायूँ]]
-[[हुमायूँ]]
||[[चित्र:Jahangir-Mahal-Orchha.jpg|right|150px]]जहाँगीर ने अपने उत्तर जीवन में शासन का समस्त भार [[नूरजहाँ]] को सौंप दिया था। वह स्वयं शराब पीकर निश्चिंत पड़े रहने में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता था। शराब की बुरी लत और ऐश−आराम ने उसके शरीर को निकम्मा कर दिया था। वह कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं कर सकता था। सौभाग्य से [[अकबर]] के काल में [[मुग़ल]] साम्राज्य की नींव इतनी सृदृढ़ रखी गई थी, कि [[जहाँगीर]] के निकम्मेपन से उसमें कोई ख़ास कमी नहीं आई थी। अपने पिता द्वारा स्थापित नीति और परंपरा का पल्ला पकड़े रहने से जहाँगीर अपने शासन−काल के 22 वर्ष बिना ख़ास झगड़े−झंझटों के प्राय: सुख−चैन से पूरे कर गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
||[[चित्र:Jahangir-Mahal-Orchha.jpg|right|150px]]जहाँगीर ने अपने उत्तर जीवन में शासन का समस्त भार [[नूरजहाँ]] को सौंप दिया था। वह स्वयं शराब पीकर निश्चिंत पड़े रहने में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता था। शराब की बुरी लत और ऐश−आराम ने उसके शरीर को निकम्मा कर दिया था। वह कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं कर सकता था। सौभाग्य से [[अकबर]] के काल में [[मुग़ल]] साम्राज्य की नींव इतनी सृदृढ़ रखी गई थी, कि [[जहाँगीर]] के निकम्मेपन से उसमें कोई ख़ास कमी नहीं आई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]


{‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है?
{‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है?
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-चूड़ामणि
-चूड़ामणि
-[[बदनसिंह]]
-[[बदनसिंह]]
||सन् 1688, मार्च में राजाराम ने आक्रमण किया। राजाराम ने अकबर के मक़बरे को लगभग तोड़ ही दिया था। यह निश्चय मुग़लों की प्रभुता का प्रतीक था। मनूची का कथन है कि जाटों ने लूटपाट "काँसे के उन विशाल फाटकों को तोड़कर शुरू की, जो इसमें लगे थे; उन्होंने बहुमूल्य रत्नों और सोने-चाँदी के पत्थरों को उखाड़ लिया और जो कुछ वे ले जा नहीं सकते थे, उसे उन्होंने नष्ट कर दिया।" इस प्रकार राजाराम ने गोकुला का बदला लिया। राजाराम जीत तो गया, पर बहुत समय तक जाटों पर लुटेरा और बर्बर होने का कलंक लगा रहा। राजाराम का काम माफी के योग्य नहीं पर इस युद्ध के बीज औरंगज़ेब के अत्याचारों ने बोए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजाराम]]
||सन् 1688, मार्च में राजाराम ने आक्रमण किया। राजाराम ने अकबर के मक़बरे को लगभग तोड़ ही दिया था। यह निश्चय मुग़लों की प्रभुता का प्रतीक था। मनूची का कथन है कि जाटों ने लूटपाट "काँसे के उन विशाल फाटकों को तोड़कर शुरू की, जो इसमें लगे थे; उन्होंने बहुमूल्य रत्नों और सोने-चाँदी के पत्थरों को उखाड़ लिया और जो कुछ वे ले जा नहीं सकते थे, उसे उन्होंने नष्ट कर दिया।" इस प्रकार राजाराम ने गोकुला का बदला लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजाराम]]


{किस [[मुग़ल]] बादशाह को उसकी प्रजा ‘शाही वेश में एक फकीर’ कहती थी?
{किस [[मुग़ल]] बादशाह को उसकी प्रजा ‘शाही वेश में एक फकीर’ कहती थी?
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-[[शाहजहाँ]]
-[[शाहजहाँ]]
+[[औरंगज़ेब]]
+[[औरंगज़ेब]]
||डा. रामधारीसिंह का कथन है− '[[बाबर]] से लेकर [[शाहजहाँ]] तक मुग़लों ने [[भारत]] की जिस सामाजिक संस्कृति को पाल−पोस कर खड़ा किया था, उसे औरंगज़ेब ने एक ही झटके से तोड़ डाला और साथ ही साम्राज्य की कमर भी तोड़ दी। वह [[हिन्दू]] जनता का ही नहीं सूफियों का भी दुश्मन था और सरमद जैसे संत को उसने सूली पर चढ़ा दिया।' औरंगज़ेब के पुत्रों में बड़े का नाम मुअज़्ज़म और छोटे का नाम आज़म था। मुअज़्ज़म औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद [[मुग़ल]] सम्राट हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]]
||डा. रामधारीसिंह का कथन है− '[[बाबर]] से लेकर [[शाहजहाँ]] तक मुग़लों ने [[भारत]] की जिस सामाजिक संस्कृति को पाल−पोस कर खड़ा किया था, उसे औरंगज़ेब ने एक ही झटके से तोड़ डाला और साथ ही साम्राज्य की कमर भी तोड़ दी। वह [[हिन्दू]] जनता का ही नहीं सूफियों का भी दुश्मन था और सरमद जैसे संत को उसने सूली पर चढ़ा दिया।' औरंगज़ेब के पुत्रों में बड़े का नाम मुअज़्ज़म और छोटे का नाम आज़म था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]]


{[[राजपूताना]] के निम्न राज्यों में से किस एक राज्य ने [[अकबर]] की संप्रभुता स्वीकार नहीं की थी?
{[[राजपूताना]] के निम्न राज्यों में से किस एक राज्य ने [[अकबर]] की संप्रभुता स्वीकार नहीं की थी?
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-[[राजस्थान]]
-[[राजस्थान]]


||[[चित्र:Palace-Of-Rana-Of-Mewar-Udaipur.jpg|right|150px]][[अकबर]] ने सन 1624 में मेवाड़ पर आक्रमण कर [[चित्तौड़]] को घेर लिया, पर राणा उदयसिंह ने उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की थी और प्राचीन 'आधाटपुर' के पास [[उदयपुर]] नामक अपनी राजधानी बसाकर वहाँ चला गया था। उनके बाद [[महाराणा प्रताप]] ने भी युद्ध जारी रखा और अधीनता नहीं मानी थी। उनका [[हल्दीघाटी]] का युद्ध इतिहास प्रसिद्ध है। इस युद्ध के बाद प्रताप की युद्ध-नीति छापामार लड़ाई की रही थी। अकबर ने 'कुम्भलमेर दुर्ग' से भी प्रताप को खदेड़ दिया तथा [[मेवाड़]] पर अनेक आक्रमण करवाये थे, पर प्रताप ने अधीनता स्वीकार नहीं की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेवाड़]]
||[[चित्र:Palace-Of-Rana-Of-Mewar-Udaipur.jpg|right|150px]][[अकबर]] ने सन 1624 में मेवाड़ पर आक्रमण कर [[चित्तौड़]] को घेर लिया, पर राणा उदयसिंह ने उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की थी और प्राचीन 'आधाटपुर' के पास [[उदयपुर]] नामक अपनी राजधानी बसाकर वहाँ चला गया था। उनके बाद [[महाराणा प्रताप]] ने भी युद्ध जारी रखा और अधीनता नहीं मानी थी। उनका [[हल्दीघाटी]] का युद्ध इतिहास प्रसिद्ध है। इस युद्ध के बाद प्रताप की युद्ध-नीति छापामार लड़ाई की रही थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेवाड़]]


{[[शिवाजी]] के '[[अष्टप्रधान]]' का जो सदस्य विदेशी मामलों की देख-रेख करता था, वह कौन था?
{[[शिवाजी]] के '[[अष्टप्रधान]]' का जो सदस्य विदेशी मामलों की देख-रेख करता था, वह कौन था?

10:16, 20 मई 2011 का अवतरण

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 भारत के इतिहास के सन्दर्भ में 'अब्दुल हमीद लाहौरी' कौन था?

अकबर के शासन में एक महत्वपूर्ण सैन्य कमाण्डर
शाहजहाँ के शासन का एक राजकीय इतिहासकार
औरंगज़ेब का एक महत्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र
मुहम्मदशाह के शासन में एक इतिहासकार एवं कवि

2 'धरमट का युद्ध' (अप्रैल 1658) निम्न में से किनके बीच बीच लड़ा गया था?

मुहम्मद ग़ोरी और जयचन्द्र
बाबर और अफ़ग़ान
औरंगज़ेब और दारा शिकोह
अहमदशाह और मराठा

3 मुग़ल काल में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको 'बाबूल मक्का' (मक्का द्वार) कहा जाता था?

कालीकट
भड़ौच
खम्भात
सूरत

4 दिल्ली का पुराना क़िला किसके द्वारा बनवाया गया था?

शेरशाह
अकबर
शाहजहाँ
हुमायूँ

5 अमरकोट के राजा वीरसाल के महल में किस मुग़ल बादशाह का जन्म हुआ था?

बाबर
औरंगज़ेब
अकबर
जहाँगीर

6 मुग़ल दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी?

माहम अनगा
हमीदा बानू
मेहरुन्निसा
जहाँआरा बेगम

7 निम्न इतिहासकारों में से किसने अकबर को इस्लाम धर्म का शत्रु कहा है?

अब्बास ख़ाँ सरवानी
बदायूंनी
अहमद ख़ाँ
मीर अलाउद्दौला कजवीनी

8 अकबर ने किसे ‘कविराय’ या ‘कविराज’ की उपाधि प्रदान की थी?

बीरबल
अबुल फ़ज़ल
फ़ैज़ी
अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना

9 जहाँगीर के निर्देश पर किसने अबुल फ़ज़ल की हत्या की थी?

युसूफजाइयों ने
उजबेगों ने
वीरसिंह बुन्देला ने
अफ़ग़ानियों ने

10 ‘मैंने अपना राज्य अपनी प्यारी बेगम के हाथों में एक प्याला शराब और एक प्याला शोरबे के लिए बेच दिया है।’ यह कथन किस बादशाह का है?

जहाँगीर
शाहजहाँ
औरंगज़ेब
हुमायूँ

11 ‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है?

शिवाजी
राणा प्रताप
जहाँगीर
शेरशाह

12 किस जाट नेता ने बादशाह अकबर के मक़बरे (सिकन्दरा) को हानि पहुँचाई तथा अकबर की कब्र को खोदकर उसकी अस्थियों को जला दिया?

गोकुला
राजाराम
चूड़ामणि
बदनसिंह

13 किस मुग़ल बादशाह को उसकी प्रजा ‘शाही वेश में एक फकीर’ कहती थी?

दारा शिकोह
अस्करी
शाहजहाँ
औरंगज़ेब

14 राजपूताना के निम्न राज्यों में से किस एक राज्य ने अकबर की संप्रभुता स्वीकार नहीं की थी?

आमेर
मेवाड़
बीकानेर
राजस्थान

15 शिवाजी के 'अष्टप्रधान' का जो सदस्य विदेशी मामलों की देख-रेख करता था, वह कौन था?

पेशवा
सचिव
बालाजी बाजीराव
सुमन्त