"कुलोत्तुंग द्वितीय": अवतरणों में अंतर
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*उसने चिदम्बरम् मंदिर के विस्तार एवं प्रदक्षिणपथ को स्वर्णमंडित कराने के कार्य को जारी रखा। | *उसने चिदम्बरम् मंदिर के विस्तार एवं प्रदक्षिणपथ को स्वर्णमंडित कराने के कार्य को जारी रखा। | ||
*[[चोल राजवंश]] के इस शासक ने चिदम्बरम् मंदिर में स्थित गोविन्दराज की मूर्ति को समुद्र में फिंकवा दिया था। | *[[चोल राजवंश]] के इस शासक ने चिदम्बरम् मंदिर में स्थित गोविन्दराज की मूर्ति को समुद्र में फिंकवा दिया था। | ||
*इस शासक की कोई भी | *इस शासक की कोई भी राजनीतिक उपलब्धि नहीं थी। | ||
*कुलोत्तंग द्वितीय और उसके सामन्तों ने 'ओट्टाकुट्टन', 'शेक्किलर' और 'कंबल' को संरक्षण दिया था। | *कुलोत्तंग द्वितीय और उसके सामन्तों ने 'ओट्टाकुट्टन', 'शेक्किलर' और 'कंबल' को संरक्षण दिया था। | ||
*कुलोत्तंग ने कुंभकोणम के निकट 'तिरुभुवन' में 'कम्पोरेश्वर मंदिर' का निर्माण करवाया था। | *कुलोत्तंग ने कुंभकोणम के निकट 'तिरुभुवन' में 'कम्पोरेश्वर मंदिर' का निर्माण करवाया था। |
11:30, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण
- विक्रम चोल के बाद उसका पुत्र कुलोत्तुंग द्वितीय (1133-1150 ई.) चोल राजवंश का अगला राजा था।
- उसने चिदम्बरम् मंदिर के विस्तार एवं प्रदक्षिणपथ को स्वर्णमंडित कराने के कार्य को जारी रखा।
- चोल राजवंश के इस शासक ने चिदम्बरम् मंदिर में स्थित गोविन्दराज की मूर्ति को समुद्र में फिंकवा दिया था।
- इस शासक की कोई भी राजनीतिक उपलब्धि नहीं थी।
- कुलोत्तंग द्वितीय और उसके सामन्तों ने 'ओट्टाकुट्टन', 'शेक्किलर' और 'कंबल' को संरक्षण दिया था।
- कुलोत्तंग ने कुंभकोणम के निकट 'तिरुभुवन' में 'कम्पोरेश्वर मंदिर' का निर्माण करवाया था।
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