"प्रयोग:कविता बघेल 4": अवतरणों में अंतर

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{राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के अध्यक्ष कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-90
{[[ललित कला अकादमी|राष्ट्रीय ललित कला अकादमी]] के अध्यक्ष कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-90
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+डॉ. अशोक वाजपेयी
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-आनंद देव
-आनंद देव
-राम निवास मिर्धा
-राम निवास मिर्धा
||ललित कला अकादमी स्वतंत्र [[भारत]] में गठित एक स्वायत्त संस्था है जो [[5 अगस्त]], [[1954]] को [[भारत सरकार]] द्वारा स्थापित की गई। यह एक केंद्रीय संगठन है जो भारत सरकार द्वारा ललित कलाओं के क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय [[नई दिल्ली]] के रबीन्द्र भवन में है। इसके अतिरिक्त [[भुवनेश्वर]], [[चेन्नई]], गढ़ी (दिल्ली), [[कलकत्ता|कोलकत्ता]], [[लखनऊ]] एवं [[शिमला]] में क्षेत्रीय कार्यालय है। वर्तमान में डॉ. अशोक वाजपेयी ([[अप्रैल]], [[2008]]-[[दिसंबर]], [[2011]]) इसके अध्यक्ष थे। वर्तमान में कल्याण कुमार चक्रवर्ती ([[12 फरवरी]], [[2012]] से) इसके अध्यक्ष हैं।
||[[ललित कला अकादमी]] स्वतंत्र [[भारत]] में गठित एक स्वायत्त संस्था है जो [[5 अगस्त]], [[1954]] को [[भारत सरकार]] द्वारा स्थापित की गई। यह एक केंद्रीय संगठन है जो भारत सरकार द्वारा ललित कलाओं के क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय [[नई दिल्ली]] के रबीन्द्र भवन में है। इसके अतिरिक्त [[भुवनेश्वर]], [[चेन्नई]], गढ़ी ([[दिल्ली]]), [[कलकत्ता|कोलकत्ता]], [[लखनऊ]] एवं [[शिमला]] में क्षेत्रीय कार्यालय है। वर्तमान में डॉ. अशोक वाजपेयी ([[अप्रैल]], [[2008]]-[[दिसंबर]], [[2011]]) इसके अध्यक्ष थे। वर्तमान में कल्याण कुमार चक्रवर्ती ([[12 फरवरी]], [[2012]] से) इसके अध्यक्ष हैं।


{किस [[वेद]] में [[चमड़ा उद्योग|चमड़े]] पर '[[अग्नि देवता]]' के चित्र का उल्लेख है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-364
{किस [[वेद]] में [[चमड़ा उद्योग|चमड़े]] पर '[[अग्नि देवता]]' के चित्र का उल्लेख है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-364
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-[[सामवेद]]
-[[सामवेद]]
+[[ऋग्वेद]]
+[[ऋग्वेद]]
||[[ऋग्वेद]] में [[चमड़ा उद्योग|चमड़े]] पर बने [[अग्नि देवता]] के चित्र का उल्लेख है। इस चित्र को [[यज्ञ]] के समय लटकाया जाता था और यज्ञ की समाप्ति पर लपेट लिया जाता था। इसमें [[भृगु|भृगु ऋषि]] के वंशजों को लकड़ी के काम में दक्ष बताया गया है। ऋग्वेद में यज्ञ शालाओं के चारों ओर की चौखटों पर बनी स्त्री देवियों की आकृतियों का भी उल्लेख आया है। ये देवियां ऊषा तथा रात्रि की प्रतीक थीं।
||[[ऋग्वेद]] में [[चमड़ा उद्योग|चमड़े]] पर बने [[अग्नि देवता]] के चित्र का उल्लेख है। इस चित्र को [[यज्ञ]] के समय लटकाया जाता था और यज्ञ की समाप्ति पर लपेट लिया जाता था। इसमें [[भृगु|भृगु ऋषि]] के वंशजों को लकड़ी के काम में दक्ष बताया गया है। ऋग्वेद में यज्ञ शालाओं के चारों ओर की चौखटों पर बनी स्त्री देवियों की आकृतियों का भी उल्लेख आया है। ये देवियां ऊषा तथा रात्रि की प्रतीक थीं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[ऋग्वेद]]
 


{सिलिंडर सील का संबंध निम्न में से किस [[कला]] से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-17
{सिलिंडर सील का संबंध निम्न में से किस [[कला]] से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-17
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{किस स्थान पर भारतीय पूर्व ऐतिहासिक चित्रकारी के नमूने मिलते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-1
{किस स्थान पर भारतीय पूर्व ऐतिहासिक चित्रकारी के नमूने मिलते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-1
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-होशंगावाद
-[[होशंगाबाद]]
-[[अयोध्या]]
-[[अयोध्या]]
+भीमबेटका
+[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]]
-[[औरंगाबाद]]
-[[औरंगाबाद]]
||[[प्रकृति]] के विशाल प्रांगण में प्राकृतिक गुफ़ाओं का अद्भुत संसार भीमबेटका के दोनों ओर बसा हुआ है जिसमें कभी प्रागैतिहासिक मानवों ने प्राकृतिक आपदाओं के समय शरण लिया होगा और बाद में उसमें निवास करने लगा होगा। यहां लगभग 700 गुफ़ाएं हैं। जिनमें से 400 में न जाने कितने प्रागैतिहासिक चित्र बने हुए हैं जो आदि मानव के कलात्मक धरोहर है।
||[[प्रकृति]] के विशाल प्रांगण में प्राकृतिक गुफ़ाओं का अद्भुत संसार [[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] के दोनों ओर बसा हुआ है जिसमें कभी प्रागैतिहासिक मानवों ने प्राकृतिक आपदाओं के समय शरण लिया होगा और बाद में उसमें निवास करने लगा होगा। यहां लगभग 700 गुफ़ाएं हैं। जिनमें से 400 में न जाने कितने प्रागैतिहासिक चित्र बने हुए हैं जो आदि मानव के कलात्मक धरोहर है।


{पोथी चित्रण का प्रारंभ किस शैली से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-4
{पोथी चित्रण का प्रारंभ किस शैली से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-4
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+पाल शैली
+[[पाल चित्रकला|पाल शैली]]
-जैन शैली
-जैन शैली
-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
-[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]]
-[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]]
||पाल शैली एक प्रमुख [[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] शैली है। 9वीं से 12वीं शताब्दी तक [[बंगाल]] में [[पाल वंश]] के शासकों [[धर्मपाल]] और [[देवपाल]] के शासनकाल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला 'पाल शैली' थी। पाल शैली की विषय-वस्तु [[बौद्ध धर्म]] से प्रभावित रही है। इस शैली में बौद्ध ग्रंथों के अनेक दृष्टांत चित्र बनाए गए। पोथी चित्रण का प्रारंभ इसी शैली से हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्रमुख सचित्र पाल पोथियों में प्रज्ञापारमिला, साधना माला, पंचशिखा तथा करन देव गुहा महायान बौद्ध पोथियां प्राप्त होती हैं। (2) पाल शैली के समस्त चित्र बौद्ध धर्म एवं दर्शन तथा [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में बनाए गए चित्र महायान के बौद्ध देवी-देवताओं, [[महात्मा बुद्ध]] के जीवन, बौद्ध तीर्थों तथा [[जातक कथा|जातक कथाओं]] से संबंधित हैं। (3) धर्मपाल ने [[गंगा]] के किनारे 'भागकपुर' में विश्वविद्यालय बनवाया। (4) महीपाल, पाल वंश का प्रतिभाशाली सम्राट हुआ। उसके समय अनेक पाल पोथियों का चित्रण हुआ। (5) इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त हैं। (6) स्फुट चित्र बंगाल के पट चित्र हैं। इन चित्रों की शैली में [[अजंता]] की परंपरा विद्यमान है। (7) इस शैली के चित्र का सबसे उत्तम उदाहरण महात्मा बुद्ध योग मुद्रा में कमल पर आसीन' (1807 ई.) है। (8) पाल पोथियों में सचित्र उपलब्ध पोथियां हैं- 'साधनमाला' 'गंधव्यूह', 'करन देवगुहा', 'पंचशिखा', 'महायान बौद्ध पोथियां'।
||पाल शैली एक प्रमुख [[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] शैली है। 9वीं से 12वीं शताब्दी तक [[बंगाल]] में [[पाल वंश]] के शासकों [[धर्मपाल]] और [[देवपाल]] के शासनकाल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला 'पाल शैली' थी। पाल शैली की विषय-वस्तु [[बौद्ध धर्म]] से प्रभावित रही है। इस शैली में बौद्ध ग्रंथों के अनेक दृष्टांत चित्र बनाए गए। पोथी चित्रण का प्रारंभ इसी शैली से हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्रमुख सचित्र पाल पोथियों में प्रज्ञापारमिला, साधना माला, पंचशिखा तथा करन देव गुहा महायान बौद्ध पोथियां प्राप्त होती हैं। (2) पाल शैली के समस्त चित्र [[बौद्ध धर्म]] एवं दर्शन तथा [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में बनाए गए चित्र महायान के बौद्ध [[देवी]]-[[देवता|देवताओं]], [[महात्मा बुद्ध]] के जीवन, बौद्ध तीर्थों तथा [[जातक कथा|जातक कथाओं]] से संबंधित हैं। (3) धर्मपाल ने [[गंगा]] के किनारे 'भागकपुर' में विश्वविद्यालय बनवाया। (4) महीपाल, पाल वंश का प्रतिभाशाली सम्राट हुआ। उसके समय अनेक पाल पोथियों का चित्रण हुआ। (5) इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त हैं। (6) स्फुट चित्र बंगाल के पट चित्र हैं। इन चित्रों की शैली में [[अजंता]] की परंपरा विद्यमान है। (7) इस शैली के चित्र का सबसे उत्तम उदाहरण महात्मा बुद्ध योग मुद्रा में कमल पर आसीन' (1807 ई.) है। (8) पाल पोथियों में सचित्र उपलब्ध पोथियां हैं- 'साधनमाला' 'गंधव्यूह', 'करन देवगुहा', 'पंचशिखा', 'महायान बौद्ध पोथियां'।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:'''[[पाल चित्रकला|पाल शैली]]


{[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] के चित्रों को इस नाम से भी जाना जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-16
{[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] के चित्रों को इस नाम से भी जाना जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-16
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-गुजराती शैली
-गुजराती शैली
-मारवाड़ शैली
-मारवाड़ शैली
||[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] को '[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]] और हिंदू शैली' के नाम से भी जाना जाता है। 16वीं शताब्दी की [[चित्रकला]] और साहित्य पर [[वैष्णव संप्रदाय]] का गहरा प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन के कारण राजस्थानी कला में काव्य की अत्यधिक नवीन सुमधुर कल्पना, भावुकता और रहस्यात्मकता का समावेश हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) कार्ल खंडालवाला ने 17वीं और 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक काल को राजस्थानी चित्रकला का स्वर्णयुग माना है। (2) 17वीं शताब्दी में राजपूत चित्रकला (राजस्थानी चित्रकला) नवीन दिशा में अग्रसर हुई। (3) 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में इस शैली के चित्रों में भाव-चित्रण की निर्जीविता आने लगी।
||[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] को '[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]] और हिंदू शैली' के नाम से भी जाना जाता है। 16वीं शताब्दी की [[चित्रकला]] और साहित्य पर [[वैष्णव संप्रदाय]] का गहरा प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन के कारण राजस्थानी कला में काव्य की अत्यधिक नवीन सुमधुर कल्पना, भावुकता और रहस्यात्मकता का समावेश हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) कार्ल खंडालवाला ने 17वीं और 18वीं शताब्दी के प्रारंभिक काल को [[राजस्थानी चित्रकला]] का स्वर्णयुग माना है। (2) 17वीं शताब्दी में [[राजपूत चित्रकला]] (राजस्थानी चित्रकला) नवीन दिशा में अग्रसर हुई। (3) 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में इस शैली के चित्रों में भाव-चित्रण की निर्जीविता आने लगी।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:'''[[राजस्थानी चित्रकला]]
 


{निम्न में से किसने [[मुग़ल चित्रकला|चित्रकला]] को प्रोत्साहित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-16
{निम्न में से किसने [[मुग़ल चित्रकला|चित्रकला]] को प्रोत्साहित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-16
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-[[शाहजहाँ]]
-[[शाहजहाँ]]
-[[दारा शिकोह]]  
-[[दारा शिकोह]]  
||[[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल सल्तनत]] का संस्थापक [[बाबर]] [[कला]] प्रेमी था। कला की अभिरुचि [[हुमायूं]] को पुश्तैनी रूप में मिली। वह स्वयं उच्चकोटि का कलाकार था और अपने दरबार में अनेक कलाकारों को आश्रय देकर कला की निरंतर सेवा करता आ रहा था। [[अकबर]] ने अपने पिता से पाया कला प्रेम और कलाकारों को और भी प्रोत्साहित किया। उसने बड़े-बड़े कलाकारों को दरबार में आश्रय दिया और उचित अर्थ एवं सम्मान प्रदान करके चित्रकला की उन्नति के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रकार लगभग सौ उच्चकोटि के चित्रकार अकबर के दरबार की शोभा बढ़ाते थे। अकबर के इन चित्रकारों की प्रसिद्धि [[ईरान]] तथा [[यूरोप]] तक फैली हुई थी। उनमें हिन्दू चित्रकार अधिक थे। कला के समुचित मूल्यांकन और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए अकबर के दरबार में प्रति सप्ताह चित्रों की प्रदर्शनी लगा करती थी। अकबर के पुत्र [[जहांगीर]] ने वंश-परंपरा से प्राप्त कला की विरासत को बड़ी योग्यता के साथ संभाला तथा उसको समृद्ध भी किया किंतु उसके पुत्र [[शाहजहां]] ने अपने पूर्वजों की भांति उत्कट कलाप्रियता नहीं दिखाई। यद्यपि उसके दरबार में भी चित्रकारों का जमघट लगा रहता था, फिर भी उनमें न तो वैसा उत्साह था और न कला के प्रति वैसी स्वाभाविक अभिरुचि ही।
||[[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल सल्तनत]] का संस्थापक [[बाबर]] [[कला]] प्रेमी था। कला की अभिरुचि [[हुमायूं]] को पुश्तैनी रूप में मिली। वह स्वयं उच्चकोटि का कलाकार था और अपने दरबार में अनेक कलाकारों को आश्रय देकर कला की निरंतर सेवा करता आ रहा था। [[अकबर]] ने अपने पिता से कला प्रेम पाया और कलाकारों को और भी प्रोत्साहित किया। उसने बड़े-बड़े कलाकारों को दरबार में आश्रय दिया और उचित अर्थ एवं सम्मान प्रदान करके चित्रकला की उन्नति के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रकार लगभग सौ उच्चकोटि के चित्रकार अकबर के दरबार की शोभा बढ़ाते थे। अकबर के इन चित्रकारों की प्रसिद्धि [[ईरान]] तथा [[यूरोप]] तक फैली हुई थी। उनमें हिन्दू चित्रकार अधिक थे। कला के समुचित मूल्यांकन और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए अकबर के दरबार में प्रति सप्ताह चित्रों की प्रदर्शनी लगा करती थी। अकबर के पुत्र [[जहांगीर]] ने वंश-परंपरा से प्राप्त कला की विरासत को बड़ी योग्यता के साथ संभाला तथा उसको समृद्ध भी किया किंतु उसके पुत्र [[शाहजहां]] ने अपने पूर्वजों की भांति उत्कृष्ट कलाप्रियता नहीं दिखाई। यद्यपि उसके दरबार में भी चित्रकारों का जमघट लगा रहता था, फिर भी उनमें न तो वैसा उत्साह था और न कला के प्रति वैसी स्वाभाविक अभिरुचि ही।


{महाराजा संसारचंद ने निम्न में से किस शैली को संरक्षण दिया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-5
{महाराजा संसारचंद ने निम्न में से किस शैली को संरक्षण दिया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-5
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-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
-[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]]
-[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]]
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने [[पहाड़ी चित्रकला |पहाड़ी चित्रकला शैली]] को संरक्षण प्रदान किया। [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] (पहाड़ी शैली) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय कांगड़ा चित्रकला उन्नति के शिखर पर थे। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौन थे।
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने [[पहाड़ी चित्रकला |पहाड़ी चित्रकला शैली]] को संरक्षण प्रदान किया। [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] (पहाड़ी शैली) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय कांगड़ा चित्रकला उन्नति के शिखर पर थे। [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौन थे।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:'''[[पहाड़ी चित्रकला]]
 


{'भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास' कहाँ से आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-6
{'भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास' कहाँ से आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-6
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-मद्रास स्कूल
-मद्रास स्कूल
-इनमें से कोई नहीं
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और [[भारतीय चित्रकला]] ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अवनींद्रनाथ टैगोर |अवनींद्रनाथ टैगोर]] थे।


{कलकत्ता आर्ट विद्यालय के प्राचार्य कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-88
{कलकत्ता आर्ट विद्यालय के प्राचार्य कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-88
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-के. एन. मज़ूमदार
-के. एन. मज़ूमदार
-असित कुमार हल्दर
-असित कुमार हल्दर
||ई.बी. हैवेल कलकत्ता आर्ट विद्यालय के प्राचार्य थे। उन्होंने वर्ष [[1906]] में अबनींद्रनाथ टैगोर के साथ बंगाल स्कूल की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ई. बी. हैवेल ने अबनीन्द्रनाथ टैगोर के साथ मिलकर आधुनिक भारतीय कला की प्रारंभिक विचारधारा को जन्म दिया। (2) ई. बी. हैवेल की प्रमुख कृतियां हैं- इंडियन, स्कल्पचर एंड पेंटिंग, द आर्ट ऑफ़ हेरिटेज ऑफ़ इंडिया, भारतीय कला में हिमालय, ए हैंडबुक ऑफ़ इंडियन आर्ट।
||ई.बी. हैवेल कलकत्ता आर्ट विद्यालय के प्राचार्य थे। उन्होंने वर्ष [[1906]] में अबनींद्रनाथ टैगोर के साथ बंगाल स्कूल की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ई. बी. हैवेल ने [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] के साथ मिलकर आधुनिक भारतीय कला की प्रारंभिक विचारधारा को जन्म दिया। (2) ई. बी. हैवेल की प्रमुख कृतियां हैं- इंडियन, स्कल्पचर एंड पेंटिंग, द आर्ट ऑफ़ हेरिटेज ऑफ़ इंडिया, [[भारतीय कला]] में हिमालय, ए हैंडबुक ऑफ़ इंडियन आर्ट।





11:29, 14 जनवरी 2018 का अवतरण

1 राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के अध्यक्ष कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-90

डॉ. अशोक वाजपेयी
प्रो. शंखो चौधरी
आनंद देव
राम निवास मिर्धा

2 किस वेद में चमड़े पर 'अग्नि देवता' के चित्र का उल्लेख है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-364

अथर्ववेद
यजुर्वेद
सामवेद
ऋग्वेद

3 सिलिंडर सील का संबंध निम्न में से किस कला से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-17

मिस्त्र की कला
मेसोपोटामिया की कला
भारतीय कला
ईरान की कला

4 किस स्थान पर भारतीय पूर्व ऐतिहासिक चित्रकारी के नमूने मिलते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-1

होशंगाबाद
अयोध्या
भीमबेटका
औरंगाबाद

5 पोथी चित्रण का प्रारंभ किस शैली से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-4

पाल शैली
जैन शैली
मुग़ल शैली
राजपूत शैली

6 राजपूत शैली के चित्रों को इस नाम से भी जाना जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-16

मुग़ल शैली
राजस्थानी और हिंदू शैली
गुजराती शैली
मारवाड़ शैली

7 निम्न में से किसने चित्रकला को प्रोत्साहित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-16

जहांगीर
औरंगजेब
शाहजहाँ
दारा शिकोह

8 महाराजा संसारचंद ने निम्न में से किस शैली को संरक्षण दिया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-5

किशनगढ़ शैली
पहाड़ी शैली
मुग़ल शैली
राजपूत शैली

9 'भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास' कहाँ से आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-6

बंगाल स्कूल
कलकता स्कूल
मद्रास स्कूल
इनमें से कोई नहीं

10 कलकत्ता आर्ट विद्यालय के प्राचार्य कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-88

ई.बी.हैवेल
नंदलाल बोस
के. एन. मज़ूमदार
असित कुमार हल्दर

11 राष्ट्रीय ललित कला अकादमी 'रबीन्द्र भवन' किस शहर में स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-91

मुंबई
दिल्ली
लखनऊ
कोलकाता

12 अजंता की चैत्य गुफ़ा क्या थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-365

पूजा-उपासना का स्थान
बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान
स्नान स्थल
आमोद-प्रमोद का स्थान

13 नील नदी की घाटी में कौन-सी सभ्यता पनपी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-18

सिंधु सभ्यता
चीनी सभ्यता
मिस्त्र की सभ्यता
मेसोपोटामिया की सभ्यता

14 'भीमबेटका' नामक पहाड़ी में कितनी गुफ़ाएं प्राप्त हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-2

30
600
285
135

15 पाल पोथी चित्रों का विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-5

पाल राजाओं का जीवन चरित
नवाबों का दरबार
बुद्ध का जीवन चरित
चैतन्य महाप्रभु का जीवन चरित

16 राजस्थानी चित्रकला किस अवधि में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-17

19वीं-20वीं शताब्दी
16वीं-17वीं शताब्दी
11वीं-12वीं शताब्दी
16वीं शताब्दी

17 मुग़ल चित्रकला किस मुग़ल के समय में विकसित हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-17

बाबर
अकबर
औरंगजेब
हुमायूं

18 महाराजा संसारचंद किस शैली की चित्रकला के महान संरक्षक थे?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-6

कांगड़ा शैली
गढ़वाल शैली
बसौली शैली
गुलेर शैली

19 बंगाल शैली के शीर्षस्थ कलाकार कौन हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-7

यामिनी राय
अमृता शेरगिल
अबनीन्द्रनाथ ठाकुर
एन.एस.बेंद्रे

20 निम्न में से कौन बंगाल शैली का कलाकार नहीं हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-89

सुरेन्द्र कर
शैलेंद्र
रथिन मित्रा
मुकुल डे

21 ललित कला अकादमी की स्थापना कब हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-92

1955
1954
1970
1972

22 बौद्ध भिक्षु किसमें रहते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-366

विहार
स्तूप
मंडप
बस्तियों

23 तुलनखामेन का संबंध निम्न में से किस देश से रहा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-19

मेसोपोटामिया
बगदाद
इटली
मिस्त्र

24 भीमबेटका क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-3

नगर
जंगल
पहाड़ी
मंदिर

25 पोथी चित्रण का प्रारंभ किस शैली से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-6

पाल शैली
जैन शैली
मुग़ल शैली
कांगड़ा शैली

26 राजस्थानी पेंटिंग के पसंदीदा विषय कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-19

राम-सीता
रावण-मंदोदरी
राधा-कृष्ण
अप्सराएं

27 भारत में मुग़ल चित्रकला का प्रारंभ किसके समय हुआ था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-18

बाबर
हुमायूं
अकबर
जहांगीर

28 कांगड़ा चित्रशैली किस राजा के समय विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-7

राजा गोवर्धन
राजा संसारचंद
राजा सावंत सिंह
राजा हरि सिंह

29 'औरंगजेब का बुढ़ापा' किसकी प्रसिद्ध कृति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-8

असित कुमार हल्दर
जामिनी रॉय
नंदलाल बसु
अबनीन्द्रनाथ टेगोर

30 इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-90

के.एस.पन्निकर
मुकुल डे
एन.एस. बेन्द्रे
अमृता शेरगिल

31 शिकार के चित्र किस शैली में सबसे अधिक बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-19|type="()"

पहाड़ी शैली
मुग़ल शैली
कंपनी शैली
बूँदी शैली

32 कांगड़ा शैली का इतिहास किसके शासन काल में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-9

भूपतपाल सिंह
संसारचंद
राम कृपाल सिंह
सावंत सिंह

33 'औरंगजेब की वृद्धावस्था' के चित्र कहाँ सुरक्षित रखे गए हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-9

राज्य पुस्तकालय, रामपुर
वोस्टन संग्रहालय
शाही पुस्तकालय
बौद्ध संग्रहालय

34 निफ्ट शैक्षणिक केंद्र किस क्षेत्र में कार्य कर रहा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-367

ललित कला प्रशिक्षण
हस्त कौशल
फैशन तकनीक
सिरेमिक

35 महारानी नेफेरतिती का संबंध निम्न में से किस काल से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-20

ओल्ड किंगडम
मिडल किंगडम
न्यू किंगडम
मॉडर्न किंगडम

36 'भीमबेटका' गुफ़ाएं कहाँ अवस्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-4

राजस्थान
उत्तर प्रदेश
बिहार
मध्य प्रदेश

37 पाल युगीन पाण्डुलिपि चित्र अधिकांशत: किस धर्म पर आधारित हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-7

हिन्दुत्व
जैन धर्म
शैव मत
बौद्ध धर्म

38 हाथी दांत की पटरियों पर चित्रण किस शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-20

पाल शैली
अजंता शैली
जैन शैली
अलवर शैली

39 कौन-सा मुग़ल सम्राट चित्रकला को सबसे अच्छा समझता था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-20

हुमायूं
अकबर
शाहजहां
जहांगीर

40 कांगड़ा चित्रकला की उन्नति निम्न में से किसके समय हुईं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-8

राजा विधिचंद
राजा जयचंद
राजा संसारचंद
राजा रणजीत सिंह

41 निम्न में से कौन वॉश-चित्रकला शैली से संबंधित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-10

बंद्रीनाथ आर्य
हरिहर लाल मेढ़
एस.जी. श्रीखंडे
सुखबीर सिंह सिंघल

42 'फोन्त-द-गॉम' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-368

दृश्य चित्र
गुफ़ाएं
मूर्ति
रेखांकन

43 सुमेरियन सभ्यता किस नदी के तट पर विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-21

नील नदी
यांगस्तजे नदी
सिंधु नदी
यूफेट्स नदी

44 भीमबेटका गुफ़ा के चित्रों की खोज सर्वप्रथम किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-5

श्री राय कृष्ण दास
श्री रामचंद्र शुक्ल]]
श्री वी.एस. वाकड़कर
श्री नंदलाल बोस

45 पाल शैली के चित्रों का प्रमुख विषय क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-8

बौद्ध
बारहमासा
रागमाला
श्रृंगार

46 कौन-सा केंद्र राजस्थानी शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-21

बसौली
गढ़वाल
बीकानेर
अहमदनगर

47 एम. एफ. हुसैन मध्य प्रदेश के किस शहर के हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-1

भोपाल
इंदौर
ग्वालियर
सतना

48 सैंड्रो बोत्तिचेल्ली कहाँ का प्रसिद्ध कलाकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-112,प्रश्न-71

फ्लोरेंस
रोम
इटली
स्पेन

49 किस प्रभाववादी चित्रकार के चित्रों को विज्ञापन में प्रयुक्त किया गया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-116,प्रश्न-1

पॉल सेजां
आगस्ते रेन्वार
तूलू लॉत्रेक
एडगर डेगा

50 निम्न में से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-21

मंसूर
मनोहर
बिहजाद
मिस्किन