"प्रयोग:कविता बघेल 4": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 275: पंक्ति 275:
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने [[पहाड़ी चित्रकला |पहाड़ी चित्रकला शैली]] को संरक्षण प्रदान किया। [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] (पहाड़ी शैली]]) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय कांगड़ा चित्रकला उन्नति के शिखर पर थे। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौन थे।
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने [[पहाड़ी चित्रकला |पहाड़ी चित्रकला शैली]] को संरक्षण प्रदान किया। [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] (पहाड़ी शैली]]) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय कांगड़ा चित्रकला उन्नति के शिखर पर थे। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौन थे।


{'औरंगजेब की वृद्धावस्था' के चित्र सुरक्षित रखे गए हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-9
{'[[औरंगजेब]] की वृद्धावस्था' के चित्र कहाँ सुरक्षित रखे गए हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-9
|type="()"}
|type="()"}
+राज्य पुस्तकालय, रामपुर में
+राज्य पुस्तकालय, [[रामपुर]]
-वोस्टन संग्रहालय में
-वोस्टन संग्रहालय  
-शाही पुस्तकालय में
-शाही पुस्तकालय  
-बौद्ध संग्रहालय में
-बौद्ध संग्रहालय  
||राज्य पुस्तकालय, रामपुर में 'औरंगजेब की वृद्धावस्था' के चित्र सुरक्षित रखे गए हैं, जिसे बीजापुर के घेरे के समय पर चित्रित किया गया है।
||राज्य पुस्तकालय, [[रामपुर]] में '[[औरंगजेब]] की वृद्धावस्था' के चित्र सुरक्षित रखे गए हैं, जिसे [[बीजापुर]] के घेरे के समय पर चित्रित किया गया है।


{निफ्ट शैक्षणिक केंद्र किस क्षेत्र में कार्य कर रहा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-367
{निफ्ट शैक्षणिक केंद्र किस क्षेत्र में कार्य कर रहा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-367
पंक्ति 289: पंक्ति 289:
+फैशन तकनीक
+फैशन तकनीक
-सिरेमिक
-सिरेमिक
||निफ्ट शैक्षणिक केंद्र फैशन तकनीक के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। यह वर्ष 1986 में भारत सरकार के 'वस्त्र मंत्रालय' के तत्त्वावधान में इस संस्थान की स्थापना की गई थी। यह संस्थान डिजाइन प्रबंधन और प्रौद्योगिकी का एक शीर्ष संस्थान है।
||निफ्ट शैक्षणिक केंद्र फैशन तकनीक के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। यह वर्ष [[1986]] में [[भारत सरकार]] के 'वस्त्र मंत्रालय' के तत्त्वावधान में इस संस्थान की स्थापना की गई थी। यह संस्थान डिज़ाइन प्रबंधन और प्रौद्योगिकी का एक शीर्ष संस्थान है।


{महारानी नेफेरतिती का संबंध निम्न में से किस काल से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-20
{महारानी नेफेरतिती का संबंध निम्न में से किस काल से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-20
पंक्ति 297: पंक्ति 297:
+न्यू किंगडम
+न्यू किंगडम
-मॉडर्न किंगडम
-मॉडर्न किंगडम
||मरारानी नेफेरतिती सा संबंध न्यू किंगडम (1570 ई.पू.- 1085 ई.पू.) काल से था। नेफेरतिती प्राचीन मिस्त्र के राजा अकेनतेन की पत्नी थीं। 'बस्त ऑफ़ नेफेरतिति' वर्तमान में आइलैंड म्यूजियम बर्लिन में रखा गया है।
||मरारानी नेफेरतिती का संबंध न्यू किंगडम (1570 ई.पू.- 1085 ई.पू.) काल से था। नेफेरतिती प्राचीन मिस्त्र के राजा अकेनतेन की पत्नी थीं। 'बस्ट ऑफ़ नेफेरतिति' वर्तमान में आइलैंड म्यूजियम बर्लिन में रखा गया है।


{'भीमबेटका' गुफ़ाएं अवस्थित हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-4
{'भीमबेटका' गुफ़ाएं कहाँ अवस्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-4
|type="()"}
|type="()"}
-राजस्थान में
-[[राजस्थान]]
-उत्तर प्रदेश में
-[[उत्तर प्रदेश]]
-बिहार में
-[[बिहार]]
+मध्य प्रदेश में
+[[मध्य प्रदेश]]
||भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वेबसाइट के अनुसार मध्य प्रदेश में स्थित 'भीमबेटका' नामक पहाड़ी में लगभग 700 प्राचीन गुफ़ाएं प्राप्त हुई हैं। अत: निकटस्थ उत्तर विकल्प (b) है। इन गुफ़ाओं में प्रस्तर सामग्री भी प्राप्त हुई है। जो 30,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू. की है। यहां पर लगभग 400 गुफ़ाओं में चित्रों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां पर बनेचित्रों का समय लगभग 10,000 ई.पू. से 1,000 ई.पू. माना जाता है।
||भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की वेबसाइट के अनुसार [[मध्य प्रदेश]] में स्थित 'भीमबेटका' नामक पहाड़ी में लगभग 700 प्राचीन गुफ़ाएं प्राप्त हुई हैं। अत: निकटस्थ उत्तर विकल्प (d) है। इन गुफ़ाओं में प्रस्तर सामग्री भी प्राप्त हुई है। जो 30,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू. की है। यहां पर लगभग 400 गुफ़ाओं में चित्रों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां पर बने चित्रों का समय लगभग 10,000 ई.पू. से 1,000 ई.पू. माना जाता है।


{पाल युगीन पाण्डुलिपि चित्र अधिकांशत: आधारित हैं-(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-7
{पाल युगीन पाण्डुलिपि चित्र अधिकांशत: किस धर्म पर आधारित हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-7
|type="()"}
|type="()"}
+हिन्दुत्व पर
+[[हिंदू धर्म|हिन्दुत्व]]
-ब्राह्मण धर्म पर
-[[जैन धर्म]]
-शैव मत पर
-[[शैव मत]]
-बौद्ध धर्म पर
-[[बौद्ध धर्म]]
||पाल शैली एक प्रमुख भारतीय चित्रकला शैली है। 9वीं से 12वीं शताब्दी तक बंगाल में पाल वंश के शासकों धर्मपाल और देवपाल के शासनकाल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला 'पाल शैली' थी। पाल शैली की विषय-वस्तु बौद्ध धर्म से प्रभावित रही है। इस शैली में बौद्ध ग्रंथों के अनेक दृष्टांत चित्र बनाए गए। पोथी चित्रण का प्रारंभ इसी शैली से हुआ।
||पाल शैली एक प्रमुख [[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] शैली है। 9वीं से 12वीं शताब्दी तक [[बंगाल]] में [[पाल वंश]] के शासकों [[धर्मपाल]] और [[देवपाल]] के शासनकाल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला 'पाल शैली' थी। पाल शैली की विषय-वस्तु [[बौद्ध धर्म]] से प्रभावित रही है। इस शैली में बौद्ध ग्रंथों के अनेक दृष्टांत चित्र बनाए गए। पोथी चित्रण का प्रारंभ इसी शैली से हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्रमुख सचित्र पाल पोथियों में प्रज्ञापारमिला, साधना माला, पंचशिखा तथा करन देव गुहा महायान बौद्ध पोथियां प्राप्त होती हैं। (2) पाल शैली के समस्त चित्र बौद्ध धर्म एवं दर्शन तथा [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में बनाए गए चित्र महायान के बौद्ध देवी-देवताओं, [[महात्मा बुद्ध]] के जीवन, बौद्ध तीर्थों तथा [[जातक कथा|जातक कथाओं]] से संबंधित हैं। (3) धर्मपाल ने [[गंगा]] के किनारे 'भागकपुर' में विश्वविद्यालय बनवाया। (4) महीपाल, पाल वंश का प्रतिभाशाली सम्राट हुआ। उसके समय अनेक पाल पोथियों का चित्रण हुआ। (5) इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त हैं। (6) स्फुट चित्र बंगाल के पट चित्र हैं। इन चित्रों की शैली में [[अजंता]] की परंपरा विद्यमान है। (7) इस शैली के चित्र का सबसे उत्तम उदाहरण महात्मा बुद्ध योग मुद्रा में कमल पर आसीन' (1807 ई.) है। (8) पाल पोथियों में सचित्र उपलब्ध पोथियां हैं- 'साधनमाला' 'गंधव्यूह', 'करन देवगुहा', 'पंचशिखा', 'महायान बौद्ध पोथियां'।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.प्रमुख सचित्र पाल पोथियों में प्रज्ञापारमिला, साधना माला, पंचशिखा तथा करन देव गुहा महायान बौद्ध पोथियां प्राप्त होती हैं।
.पाल शैली के समस्त चित्र बौद्ध धर्म एवं दर्शन तथा ग्रंथों में बनाए गए चित्र महायान के बौद्ध देवी-देवताओं, बुद्ध के जीवन, बौद्ध तीर्थों तथा जातक कथाओं से संबंधित हैं।
.धर्मपाल ने गंगा के किनारे 'भागकपुर' में विश्वविद्यालय बनवाया।
.महीपाल, पाल वंश का प्रतिभाशाली सम्राट हुआ। उसके समय अनेक पाल पोथियों का चित्रण हुआ।
.इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त हैं।
.स्फुट चित्र बंगाल के पट चित्र हैं।
.इन चित्रों की शैली में अजंता की परंपरा विद्यमान है।
.इस शैली के चित्र का सबसे उत्तम उदाहरण बुद्ध योग मुद्रा में कमल पर आसीन' (1807 ई.) है।
.पाल पोथियों में सचित्र उपलब्ध पोथियां हैं- 'साधनमाला' 'गंधव्यूह', 'करनदेवगुहा', 'पंचशिखा', 'महायान बौद्ध पोथियां'।


{हाथी दांत की पटरियों पर चित्रण किस शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-20
{हाथी दांत की पटरियों पर चित्रण किस शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-20
|type="()"}
|type="()"}
-पाल शैली का
-पाल शैली  
-अजंता शैली का
-अजंता शैली
-जैन शैली का
-जैन शैली
+अलवर शैली का
+अलवर शैली  
||हाथी दांत की पटरियों पर चित्रण अलवर शैली में प्राप्त होता है। महाराजा मंगल सिंह के समय के प्रसिद्ध चित्रकार 'मूलचंद' तथा 'उदयराम' (अलवर शैली) ने हाथी दांत के फलकों पर सूक्ष्म चित्रण किया।
||हाथी दांत की पटरियों पर चित्रण अलवर शैली में प्राप्त होता है। महाराजा मंगल सिंह के समय के प्रसिद्ध चित्रकार 'मूलचंद' तथा 'उदयराम' (अलवर शैली) ने हाथी दांत के फलकों पर सूक्ष्म चित्रण किया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) नानक राम, बुद्धराम, जगन्नाथ, रामगोपाल, रामप्रसाद, जगमोहन, रामसहाय तथा नेपोलिया आदि अलवर चित्र शैली के प्रमुख चित्रकार थे। (2) बुद्धराम राजगढ़ क़िले के शीशमहल तथा अलवर गुणीजन खाने के दरोगा थे, जो पशु-पक्षियों के चित्रांकन में भी दक्ष थे।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.नानक राम, बुद्धराम, जगन्नाथ, रामगोपाल, रामप्रसाद, जगमोहन, रामसहाय तथा नेपोलिया आदि अलवर चित्र शैली के प्रमुख चित्रकार थे।
.बुद्धराम राजगढ़ किले के शीशमहल तथा अलवर गुणीजनखाने के दरोगा थे, जो पशु-पक्षियों के चित्रांकन में भी दक्ष थे।


{कौन-सा मुगल सम्राट चित्रकला को सबसे अच्छा समझता था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-20
{कौन-सा मुग़ल सम्राट चित्रकला को सबसे अच्छा समझता था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-20
|type="()"}
|type="()"}
-हुमायूं
-[[हुमायूं]]
-अकबर
-[[अकबर]]
-शाहजहां
-[[शाहजहां]]
+जहांगीर
+[[जहांगीर]]
||मुगल बादशाह जहांगीर स्वयं चित्रकला में रुचि लेता था। वह इसका कुशल पारखी था। किसी चित्र को देखकर वह वता सकता था कि उसके विभिन्न भाग यदि अलग-अलग व्यक्ति के द्वारा बनाए गए हैं तो कौन-सा भाग किस चित्रकार के बनाया है।
||मुग़ल बादशाह [[जहांगीर]] स्वयं चित्रकला में रुचि लेता था। वह इसका कुशल पारखी था। किसी चित्र को देखकर वह बता सकता था कि उसके विभिन्न भाग यदि अलग-अलग व्यक्ति के द्वारा बनाए गए हैं तो कौन-सा भाग किस चित्रकार ने बनाया है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) चित्रकारी में जहांगीर के उत्कृष्ट रुचि का वर्णन गिरीटो, [[विलियम हाकिंस]] और सर टामस रो सदृश यात्रियों ने भी किया है। (3) जहांगीर के शासनकाल में चित्रकला के क्षेत्र में भारतीय पद्धति का विकास हुआ।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.चित्रकारी में जहांगीर के उत्कृष्ट रुचि का वर्णन गिरीटो, विलियम हाकिंस और सत टामस रो सदृश यात्रियों ने भी किया है।
.जहांगीर के शासनकाल में चित्रकला के क्षेत्र में भारतीय पद्धति का विकास हुआ।








{कांगड़ा चित्रकला की उन्नति इनके समय हुई- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-8
{[[कांगड़ा चित्रकला]] की उन्नति निम्न में से किसके समय हुईं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-8
|type="()"}
|type="()"}
-राजा विधिचंद
-राजा विधिचंद
-राजा जयचंद
-[[जयचंद|राजा जयचंद]]
+राजा संसारचंद
+राजा संसारचंद
-राजा रणजीत सिंह
-[[रणजीत सिंह|राजा रणजीत सिंह]]
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने पहाड़ी चित्रकला शैली को संरक्षण प्रदान किया। कांगड़ा शैली (पहाड़ी शैली) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय कांगड़ा चित्रकला उन्नति के शिखर पर थे। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौन थे।
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने [[पहाड़ी चित्रकला |पहाड़ी चित्रकला शैली]] को संरक्षण प्रदान किया। [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] (पहाड़ी शैली]]) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय कांगड़ा चित्रकला उन्नति के शिखर पर थे। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौन थे।


{कौन वॉश-चित्रकला शैली से संबंधित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-10
{निम्न में से कौन वॉश-चित्रकला शैली से संबंधित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-10
|type="()"}
|type="()"}
-बंद्रीनाथ आर्य
-बंद्रीनाथ आर्य
पंक्ति 372: पंक्ति 356:
-मूर्ति
-मूर्ति
-रेखांकन
-रेखांकन
||फोन्त-द-गॉम (Font The Gaume) फ्रांस के दक्षिण-पश्चिम में स्थित गुफ़ाएं हैं। यह फ्रांस की भूमि पर सर्वाधिक अलंकृत गुफ़ाएं ब्यून घाटी में स्थित हैं। इनमें मुख्य गैलरी की ऊंचाई 23 से 26 फीट तक है। यहां लगभग 200 चित्र हैं।
||फोन्त-द-गॉम (Font The Gaume) [[फ़्राँस]] के दक्षिण-पश्चिम में स्थित गुफ़ाएं हैं। यह फ़्राँस की भूमि पर सर्वाधिक अलंकृत गुफ़ाएं ब्यून घाटी में स्थित हैं। इनमें मुख्य गैलरी की ऊंचाई 23 से 26 फ़ीट तक है। यहां लगभग 200 चित्र हैं।


{सुमेरियन सभ्यता किस नदी के तट पर विकसित हुए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-21
{सुमेरियन सभ्यता किस नदी के तट पर विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-21
|type="()"}
|type="()"}
-नील
-[[नील नदी]]
-यांगस्तजे
-यांगस्तजे नदी
-सिंधु
-[[सिंधु नदी]]
+यूफेट्स
+यूफेट्स नदी
||सुमेरियन सभ्यता यूफ्रेट्स नदी के तट पर विकसित हुई।
||सुमेरियन सभ्यता यूफ्रेट्स नदी के तट पर विकसित हुई।


पंक्ति 385: पंक्ति 369:
|type="()"}
|type="()"}
-श्री राय कृष्ण दास
-श्री राय कृष्ण दास
-श्री रामचंद्र शुक्ल
-श्री रामचंद्र शुक्ल]]
+श्री वी.एस. वाकड़कर
+श्री वी.एस. वाकड़कर
-श्री नंदलाल बोस
-[[नंदलाल बोस|श्री नंदलाल बोस]]
||विष्ण्य श्रीधर वाकड़कर ने भीमबेटका के प्रागैतिहासिक चित्रों का सर्वप्रथम वर्ष 1958 में पता लगाया। यहां 500 वर्गमील के क्षेत्र में 30 पर्वतश्रेणियां अवस्थित हैं जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई 1365 फीट (410 मी.) से 2000 फीट (600 मी.) तक है। इन्हीं के ऊपर एक ट्रिगनोमेट्रिक स्टेशन स्थापित किया गया थाम कहां गत शताब्दी में सर्वेक्षण किए गए थे। इन पर्वत श्रेणियों की शिलाएं बलुआ पत्थर की हैं।
||विष्ण्य श्रीधर वाकड़कर ने भीमबेटका के प्रागैतिहासिक चित्रों का सर्वप्रथम वर्ष [[1958]] में पता लगाया। यहां 500 वर्गमील के क्षेत्र में 30 पर्वत श्रेणियां अवस्थित हैं जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई 1365 फ़ीट (410 मी.) से 2000 फ़ीट (600 मी.) तक है। इन्हीं के ऊपर एक ट्रिगनोमेट्रिक स्टेशन स्थापित किया गया था,जहां गत शताब्दी में सर्वेक्षण किए गए थे। इन पर्वत श्रेणियों की शिलाएं बलुआ पत्थर की हैं।


{पाल शैली के चित्रों का प्रमुख विषय क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-8
{पाल शैली के चित्रों का प्रमुख विषय क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-8
|type="()"}
|type="()"}
+बौद्ध
+[[बौद्ध]]
-बारहमासा
-बारहमासा
-रागमाला
-रागमाला
-शृंगार
-श्रृंगार
||पाल शैली एक प्रमुख भारतीय चित्रकला शैली है। 9वीं से 12वीं शताब्दी तक बंगाल में पाल वंश के शासकों धर्मपाल और देवपाल के शासनकाल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला 'पाल शैली' थी। पाल शैली की विषय-वस्तु बौद्ध धर्म से प्रभावित रही है। इस शैली में बौद्ध ग्रंथों के अनेक दृष्टांत चित्र बनाए गए। पोथी चित्रण का प्रारंभ इसी शैली से हुआ।
||पाल शैली एक प्रमुख [[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] शैली है। 9वीं से 12वीं शताब्दी तक [[बंगाल]] में [[पाल वंश]] के शासकों [[धर्मपाल]] और [[देवपाल]] के शासनकाल में विशेष रूप से विकसित होने वाली चित्रकला 'पाल शैली' थी। पाल शैली की विषय-वस्तु [[बौद्ध धर्म]] से प्रभावित रही है। इस शैली में बौद्ध ग्रंथों के अनेक दृष्टांत चित्र बनाए गए। पोथी चित्रण का प्रारंभ इसी शैली से हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) प्रमुख सचित्र पाल पोथियों में प्रज्ञापारमिला, साधना माला, पंचशिखा तथा करन देव गुहा महायान बौद्ध पोथियां प्राप्त होती हैं। (2) पाल शैली के समस्त चित्र बौद्ध धर्म एवं दर्शन तथा [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में बनाए गए चित्र महायान के बौद्ध देवी-देवताओं, [[महात्मा बुद्ध]] के जीवन, बौद्ध तीर्थों तथा [[जातक कथा|जातक कथाओं]] से संबंधित हैं। (3) धर्मपाल ने [[गंगा]] के किनारे 'भागकपुर' में विश्वविद्यालय बनवाया। (4) महीपाल, पाल वंश का प्रतिभाशाली सम्राट हुआ। उसके समय अनेक पाल पोथियों का चित्रण हुआ। (5) इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त हैं। (6) स्फुट चित्र बंगाल के पट चित्र हैं। इन चित्रों की शैली में [[अजंता]] की परंपरा विद्यमान है। (7) इस शैली के चित्र का सबसे उत्तम उदाहरण महात्मा बुद्ध योग मुद्रा में कमल पर आसीन' (1807 ई.) है। (8) पाल पोथियों में सचित्र उपलब्ध पोथियां हैं- 'साधनमाला' 'गंधव्यूह', 'करन देवगुहा', 'पंचशिखा', 'महायान बौद्ध पोथियां'।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.प्रमुख सचित्र पाल पोथियों में प्रज्ञापारमिला, साधना माला, पंचशिखा तथा करन देव गुहा महायान बौद्ध पोथियां प्राप्त होती हैं।
.पाल शैली के समस्त चित्र बौद्ध धर्म एवं दर्शन तथा ग्रंथों में बनाए गए चित्र महायान के बौद्ध देवी-देवताओं, बुद्ध के जीवन, बौद्ध तीर्थों तथा जातक कथाओं से संबंधित हैं।
.धर्मपाल ने गंगा के किनारे 'भागकपुर' में विश्वविद्यालय बनवाया।
.महीपाल, पाल वंश का प्रतिभाशाली सम्राट हुआ। उसके समय अनेक पाल पोथियों का चित्रण हुआ।
.इस शैली के अधिकांश चित्र पोथियों में ही प्राप्त हैं।
.स्फुट चित्र बंगाल के पट चित्र हैं।
.इन चित्रों की शैली में अजंता की परंपरा विद्यमान है।
.इस शैली के चित्र का सबसे उत्तम उदाहरण बुद्ध योग मुद्रा में कमल पर आसीन' (1807 ई.) है।
पाल पोथियों में सचित्र उपलब्ध पोथियां हैं- 'साधनमाला' 'गंधव्यूह', 'करनदेवगुहा', 'पंचशिखा', 'महायान बौद्ध पोथियां'।


{कौन-सा केंद्र राजस्थानी शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-21
{कौन-सा केंद्र [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]] का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-21
|type="()"}
|type="()"}
-बसौली
-[[बसौली]]
-गढ़वाल
-[[गढ़वाल]]
+बीकानेर
+[[बीकानेर]]
-अहमदनगर
-[[अहमदनगर]]
||राजस्थान चित्रकला शैली की उपशाखा बीकानेर शैली के उद्भव का काल निर्धारण तो निश्चित नहीं हो पाया है परंतु संभवत: 16वीं-17वीं शताब्दी के आस-पास बीकानेर शैली का उद्भव हुआ।
||राजस्थान चित्रकला शैली की उपशाखा बीकानेर शैली के उद्भव का काल निर्धारण तो निश्चित नहीं हो पाया है परंतु संभवत: 16वीं-17वीं शताब्दी के आस-पास बीकानेर शैली का उद्भव हुआ। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) बीकानेर शैली के उद्भव का श्रेय यहां के 'उस्ताओं' को दिया जाता है। (2) चित्रों में सुनहरे रंग के अत्यधिक प्रयोग से बीकानेर शैली पर दक्षिण की बीजापुर शैली का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है। (3) [[मारवाड़]] के शासक राव जोधा के द्वितीय पुत्र 'बीकाजी' द्वारा 1488 ई. में [[बीकानेर|बीकानेर राज्य]] की स्थापना हुई थी। (4) यह क्षेत्र [[महाभारत|महाभारत काल]] में 'जांगम देश' के नाम से जाना जाता था।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.बीकानेर शैली के उद्भव का श्रेय यहां के 'उस्ताओं' को दिया जाता है।
.चित्रों में सुनहरे रंग के अत्यधिक प्रयोग से बीकानेर शैली पर दक्षिण की बीजापुर शैली का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है।
.मारवाड़ के शासक राव जोधा के द्वितीय पुत्र 'बीकाजी' द्वारा 1488 ई. में बीकानेर राज्य की स्थापना हुई थी।
.यह क्षेत्र महाभारत काल में 'जांगम देश' के नाम से जाना जाता था।


{एम.एफ. हुसैन मध्य प्रदेश के किस शहर के हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-1
{[[एम. एफ. हुसैन]] [[मध्य प्रदेश]] के किस शहर के हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-1
|type="()"}
|type="()"}
-भोपाल
-[[भोपाल]]
+इंदौर
+[[इंदौर]]
-ग्वालियर
-[[ग्वालियर]]
-सतना
-[[सतना ज़िला|सतना]]
||एम.एफ. हुसैन का पूरा नाम मकबूल फिदा हुसैन है। इनका जन्म पंढ़रपुर, महाराष्ट्र में 17 सितंबर, 1915 को हुआ था। बचपन में हुसैन की मां का देहांत हो गया। इसके बाद एम.एफ. हुसैन अपने पिता के साथ इंदौर चले गए, जहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई, आगे की शिक्षा उन्होंने बंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में ली।
||[[एम. एफ. हुसैन]] का पूरा नाम मक़बूल फ़िदा हुसैन है। इनका जन्म पंढ़रपुर, [[महाराष्ट्र]] में [[17 सितंबर]], [[1915]] को हुआ था। बचपन में हुसैन की मां का देहांत हो गया। इसके बाद एम. एफ. हुसैन अपने पिता के साथ [[इंदौर]] चले गए, जहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई, आगे की शिक्षा उन्होंने बंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में ली। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) [[भारत सरकार]] ने एम. एस. हुसैन को [[पद्मश्री |पद्मश्री]], [[पद्म भूषण]] और [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया। (2) इनके द्वारा बनाई गई पहली फिल्म 'थ्रू द आइज़ ऑफ़ ए पेंटर' (चित्रकार की दृष्टि से) को बर्लिन उत्सव में दिखाया गया और उसे 'गोल्डन बियर' पुरस्कार प्राप्त हुआ। (3) इनके द्वारा बनाई भारतीय देवी-देवताओं की विवादित पेंटिंग के विरोध की वजह से उन्होंने वर्ष [[2006]] में [[भारत]] छोड़ दिया। (4) वर्ष [[2010]] में उन्हें कतर की नागरिकता प्राप्त हो गयी। वर्ष [[2011]] में इनकी मृत्यु [[लंदन]] में हो गई। (5) [[17 सितंबर]], [[2015]] को एम. एफ. हुसैन का 100वां जन्म दिन मनाया गया।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.भारत सरकार ने एम.एस. हुसैन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
.इनके द्वारा बनाई गई पहली फिल्म 'थ्रू द आइज ऑफ़ ए पेंटर' (चित्रकार की दृष्टि से) को बर्लिन उत्सव में दिखाया गया और उसे 'गोल्डन बियर' पुरस्कार प्राप्त हुआ।
.इनके द्वारा बनाई भारतीय देवी-देवताओं की विवादित पेंटिंगके विरोध की वजह से उन्होंने वर्ष 2006 में भारत छोड़ दिया।
.वर्ष 2010 में उन्हें कतर की नागरिकता प्राप्त हो गयी। वर्ष 2011 में इनकी मृत्यु लंदन में हो गई।
.17 सितंबर, 2015 को एम.एफ. हुसैन का 100वां जन्म दिन मनाया गया।


{सैंड्रो बोत्तिचेल्ली प्रसिद्ध कलाकार था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-112,प्रश्न-71
{सैंड्रो बोत्तिचेल्ली कहाँ  का प्रसिद्ध कलाकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-112,प्रश्न-71
|type="()"}
|type="()"}
-फ्लोरेंस का
-फ्लोरेंस  
-रोम का
-[[रोम]]
+इटली का
+[[इटली]]
-स्पेन का
-स्पेन
||'द बर्थ ऑफ़ वीनस' (वीनस का जन्म) 1486 ई. में इटली के चित्रकार सैंड्रे बोत्तिचेल्ली द्वारा चित्रित प्रसिद्ध चित्र है। यह कैनवास पर टेम्परा शैली का चित्र है। वर्तमान में यह चित्र इटली के उफीजी गैलरी में सुरक्षित है।
||'द बर्थ ऑफ़ वीनस' (वीनस का जन्म) 1486 ई. में [[इटली]] के चित्रकार सैंड्रो बोत्तिचेल्ली द्वारा चित्रित प्रसिद्ध चित्र है। यह कैनवास पर टेम्परा शैली का चित्र है। वर्तमान में यह चित्र इटली के उफीजी गैलरी में सुरक्षित है।


{किस प्रभाववादी चित्रकार के चित्रों को विज्ञापन में प्रयुक्त किया गया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-116,प्रश्न-1
{किस प्रभाववादी चित्रकार के चित्रों को विज्ञापन में प्रयुक्त किया गया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-116,प्रश्न-1
पंक्ति 449: पंक्ति 412:
+तूलू लॉत्रेक
+तूलू लॉत्रेक
-एडगर डेगा
-एडगर डेगा
||तूलू लॉत्रेक के चित्रों विशेषकर लिथोग्राफ्स को विज्ञापन में प्रयुक्त किया गया था। वह उत्तर प्रभाववाद के श्रेष्ठ चित्रकार थे। 1890 के दशक के मध्य में 'Le Rite' नामक मैगजीन में उन्होंने अनेक चित्रण किए। उन्हें 'आधुनिक विज्ञापन का पितामह' भी कहा गया है।
||तूलू लॉत्रेक के चित्रों विशेषकर लिथोग्राफ्स को विज्ञापन में प्रयुक्त किया गया था। वह उत्तर प्रभाववाद के श्रेष्ठ चित्रकार थे। [[1890]] के दशक के मध्य में 'Le Rite' नामक मैगज़ीन में उन्होंने अनेक चित्रण किए। उन्हें 'आधुनिक विज्ञापन का पितामह' भी कहा गया है।


{इनमें कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-21
{निम्न में से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-21
|type="()"}
|type="()"}
-मंसूर
-मंसूर
पंक्ति 457: पंक्ति 420:
+बिहजाद
+बिहजाद
-मिस्किन
-मिस्किन
||बिहजाद एक प्रसिद्ध ईरानी चित्रकार था जिसका उल्लेख बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में किया है जबकि मंसूर, मनोहर एवं मिस्किन मुगलकालीन दरबारी चित्रकार थे।
||बिहजाद एक प्रसिद्ध ईरानी चित्रकार था जिसका उल्लेख [[बाबर]] ने अपनी आत्मकथा [[तुजुक-ए-बाबरी]] में किया है जबकि मंसूर, मनोहर एवं मिस्किन मुग़लकालीन दरबारी चित्रकार थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) मंसूर एवं मनोहर [[जहांगीर]] के दरबार से संबद्ध चित्रकार थे। (2) मिस्किन अकबर कालीन यूरोपीय शैली का चित्रकार था। (3) [[अबुल फ़ज़ल]] ने अपनी पुस्तक '[[आइना-ए-अकबरी|आइने अकबरी]]' में मिस्किन का उल्लेख किया है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.मंसूर एवं मनोहर जहांगीर के दरबार से संबद्ध चित्रकार थे।
.मिस्किन अकबर कालीन यूरोपीय शैली का चित्रकार था।
.अबुल फजल ने अपनी पुस्तक 'आइने अकबरी' में मिस्किन का उल्लेख किया है।


</quiz>
</quiz>
|}
|}
|}
|}

11:28, 26 अप्रैल 2017 का अवतरण

1 राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के अध्यक्ष कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-90

डॉ. अशोक वाजपेयी
प्रो. शंखो चौधरी
आनंद देव
राम निवास मिर्धा

2 किस वेद में चमड़े पर 'अग्नि देवता' के चित्र का उल्लेख है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-364

अथर्ववेद
यजुर्वेद
सामवेद
ऋग्वेद

3 सिलिंडर सील का संबंध निम्न में से किस कला से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-17

मिस्त्र की कला
मेसोपोटामिया की कला
भारतीय कला
ईरान की कला

4 किस स्थान पर भारतीय पूर्व ऐतिहासिक चित्रकारी के नमूने मिलते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-1

होशंगावाद
अयोध्या
भीमबेटका
औरंगाबाद

5 पोथी चित्रण का प्रारंभ किस शैली से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-4

पाल शैली
जैन शैली
मुग़ल शैली
राजपूत शैली

6 राजपूत शैली के चित्रों को इस नाम से भी जाना जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-16

मुग़ल शैली
राजस्थानी और हिंदू शैली
गुजराती शैली
मारवाड़ शैली

7 निम्न में से किसने चित्रकला को प्रोत्साहित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-16

जहांगीर
औरंगजेब
शाहजहाँ
दारा शिकोह

8 महाराजा संसारचंद ने निम्न में से किस शैली को संरक्षण दिया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-5

किशनगढ़ शैली
पहाड़ी शैली
मुग़ल शैली
राजपूत शैली

9 'भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास' कहाँ से आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-6

बंगाल स्कूल
कलकता स्कूल
मद्रास स्कूल
इनमें से कोई नहीं

10 कलकत्ता आर्ट विद्यालय के प्राचार्य कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-88

ई.बी.हैवेल
नंदलाल बोस
के. एन. मज़ूमदार
असित कुमार हल्दर

11 राष्ट्रीय ललित कला अकादमी 'रबीन्द्र भवन' किस शहर में स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-91

मुंबई
दिल्ली
लखनऊ
कोलकाता

12 अजंता की चैत्य गुफ़ा क्या थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-365

पूजा-उपासना का स्थान
बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान
स्नान स्थल
आमोद-प्रमोद का स्थान

13 नील नदी की घाटी में कौन-सी सभ्यता पनपी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-18

सिंधु सभ्यता
चीनी सभ्यता
मिस्त्र की सभ्यता
मेसोपोटामिया की सभ्यता

14 'भीमबेटका' नामक पहाड़ी में कितनी गुफ़ाएं प्राप्त हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-2

30
600
285
135

15 पाल पोथी चित्रों का विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-5

पाल राजाओं का जीवन चरित
नवाबों का दरबार
बुद्ध का जीवन चरित
चैतन्य महाप्रभु का जीवन चरित

16 राजस्थानी चित्रकला किस अवधि में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-17

19वीं-20वीं शताब्दी
16वीं-17वीं शताब्दी
11वीं-12वीं शताब्दी
16वीं शताब्दी

17 मुग़ल चित्रकला किस मुग़ल के समय में विकसित हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-17

बाबर
अकबर
औरंगजेब
हुमायूं

18 महाराजा संसारचंद किस शैली की चित्रकला के महान संरक्षक थे?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-6

कांगड़ा शैली
गढ़वाल शैली
बसौली शैली
गुलेर शैली

19 बंगाल शैली के शीर्षस्थ कलाकार कौन हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-7

यामिनी राय
अमृता शेरगिल
अबनीन्द्रनाथ ठाकुर
एन.एस.बेंद्रे

20 निम्न में से कौन बंगाल शैली का कलाकार नहीं हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-89

सुरेन्द्र कर
शैलेंद्र
रथिन मित्रा
मुकुल डे

21 ललित कला अकादमी की स्थापना कब हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-92

1955
1954
1970
1972

22 बौद्ध भिक्षु किसमें रहते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-366

विहार
स्तूप
मंडप
बस्तियों

23 तुलनखामेन का संबंध निम्न में से किस देश से रहा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-19

मेसोपोटामिया
बगदाद
इटली
मिस्त्र

24 भीमबेटका क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-3

नगर
जंगल
पहाड़ी
मंदिर

25 पोथी चित्रण का प्रारंभ किस शैली से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-6

पाल शैली
जैन शैली
मुग़ल शैली
कांगड़ा शैली

26 राजस्थानी पेंटिंग के पसंदीदा विषय कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-19

राम-सीता
रावण-मंदोदरी
राधा-कृष्ण
अप्सराएं

27 भारत में मुग़ल चित्रकला का प्रारंभ किसके समय हुआ था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-18

बाबर
हुमायूं
अकबर
जहांगीर

28 कांगड़ा चित्रशैली किस राजा के समय विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-7

राजा गोवर्धन
राजा संसारचंद
राजा सावंत सिंह
राजा हरि सिंह

29 'औरंगजेब का बुढ़ापा' किसकी प्रसिद्ध कृति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-8

असित कुमार हल्दर
जामिनी रॉय
नंदलाल बसु
अबनीन्द्रनाथ टेगोर

30 इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-90

के.एस.पन्निकर
मुकुल डे
एन.एस. बेन्द्रे
अमृता शेरगिल

31 शिकार के चित्र किस शैली में सबसे अधिक बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-19|type="()"

पहाड़ी शैली
मुग़ल शैली
कंपनी शैली
बूँदी शैली

32 कांगड़ा शैली का इतिहास किसके शासन काल में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-9

भूपतपाल सिंह
संसारचंद
राम कृपाल सिंह
सावंत सिंह

33 'औरंगजेब की वृद्धावस्था' के चित्र कहाँ सुरक्षित रखे गए हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-9

राज्य पुस्तकालय, रामपुर
वोस्टन संग्रहालय
शाही पुस्तकालय
बौद्ध संग्रहालय

34 निफ्ट शैक्षणिक केंद्र किस क्षेत्र में कार्य कर रहा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-367

ललित कला प्रशिक्षण
हस्त कौशल
फैशन तकनीक
सिरेमिक

35 महारानी नेफेरतिती का संबंध निम्न में से किस काल से है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-20

ओल्ड किंगडम
मिडल किंगडम
न्यू किंगडम
मॉडर्न किंगडम

36 'भीमबेटका' गुफ़ाएं कहाँ अवस्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-4

राजस्थान
उत्तर प्रदेश
बिहार
मध्य प्रदेश

37 पाल युगीन पाण्डुलिपि चित्र अधिकांशत: किस धर्म पर आधारित हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-7

हिन्दुत्व
जैन धर्म
शैव मत
बौद्ध धर्म

38 हाथी दांत की पटरियों पर चित्रण किस शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-20

पाल शैली
अजंता शैली
जैन शैली
अलवर शैली

39 कौन-सा मुग़ल सम्राट चित्रकला को सबसे अच्छा समझता था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-20

हुमायूं
अकबर
शाहजहां
जहांगीर

40 कांगड़ा चित्रकला की उन्नति निम्न में से किसके समय हुईं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-8

राजा विधिचंद
राजा जयचंद
राजा संसारचंद
राजा रणजीत सिंह

41 निम्न में से कौन वॉश-चित्रकला शैली से संबंधित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-10

बंद्रीनाथ आर्य
हरिहर लाल मेढ़
एस.जी. श्रीखंडे
सुखबीर सिंह सिंघल

42 'फोन्त-द-गॉम' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-368

दृश्य चित्र
गुफ़ाएं
मूर्ति
रेखांकन

43 सुमेरियन सभ्यता किस नदी के तट पर विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-21

नील नदी
यांगस्तजे नदी
सिंधु नदी
यूफेट्स नदी

44 भीमबेटका गुफ़ा के चित्रों की खोज सर्वप्रथम किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-5

श्री राय कृष्ण दास
श्री रामचंद्र शुक्ल]]
श्री वी.एस. वाकड़कर
श्री नंदलाल बोस

45 पाल शैली के चित्रों का प्रमुख विषय क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-8

बौद्ध
बारहमासा
रागमाला
श्रृंगार

46 कौन-सा केंद्र राजस्थानी शैली का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-21

बसौली
गढ़वाल
बीकानेर
अहमदनगर

47 एम. एफ. हुसैन मध्य प्रदेश के किस शहर के हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-1

भोपाल
इंदौर
ग्वालियर
सतना

48 सैंड्रो बोत्तिचेल्ली कहाँ का प्रसिद्ध कलाकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-112,प्रश्न-71

फ्लोरेंस
रोम
इटली
स्पेन

49 किस प्रभाववादी चित्रकार के चित्रों को विज्ञापन में प्रयुक्त किया गया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-116,प्रश्न-1

पॉल सेजां
आगस्ते रेन्वार
तूलू लॉत्रेक
एडगर डेगा

50 निम्न में से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-58,प्रश्न-21

मंसूर
बिहजाद
मिस्किन