"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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{'[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' किस महापुरुष के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है?(भारतकोश) | {'[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' किस महापुरुष के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है?(भारतकोश) | ||
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+[[स्वामी | +[[स्वामी विवेकानन्द]] | ||
-[[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] | -[[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] | ||
-[[शचीन्द्रनाथ सान्याल]] | -[[शचीन्द्रनाथ सान्याल]] | ||
-[[मास्टर सूर्यसेन]] | -[[मास्टर सूर्यसेन]] | ||
||[[चित्र:Swami Vivekanand.jpg|right|100px|स्वामी विवेकानन्द]]'स्वामी विवेकानन्द' एक युवा संन्यासी के रूप में 'भारतीय संस्कृति' की सुगन्ध विदेशों में बिखेरने वाले [[साहित्य]], [[दर्शन]] और [[इतिहास]] के प्रकाण्ड विद्वान थे। [[स्वामी विवेकानन्द]] का मूल नाम 'नरेंद्रनाथ दत्त' था, जो कि आगे चलकर विवेकानन्द जी के नाम से विख्यात हुए। कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) के एक कुलीन परिवार में जन्मे नरेंद्रनाथ चिंतन व क्रम, [[भक्ति]] व तार्किकता, भौतिक एवं बौद्धिक श्रेष्ठता के साथ-साथ [[संगीत]] की प्रतिभा का भी एक विलक्षण संयोग थे। [[भारत]] में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को '[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' के रूप में मनाया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी | ||[[चित्र:Swami Vivekanand.jpg|right|100px|स्वामी विवेकानन्द]]'स्वामी विवेकानन्द' एक युवा संन्यासी के रूप में 'भारतीय संस्कृति' की सुगन्ध विदेशों में बिखेरने वाले [[साहित्य]], [[दर्शन]] और [[इतिहास]] के प्रकाण्ड विद्वान थे। [[स्वामी विवेकानन्द]] का मूल नाम 'नरेंद्रनाथ दत्त' था, जो कि आगे चलकर विवेकानन्द जी के नाम से विख्यात हुए। कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) के एक कुलीन परिवार में जन्मे नरेंद्रनाथ चिंतन व क्रम, [[भक्ति]] व तार्किकता, भौतिक एवं बौद्धिक श्रेष्ठता के साथ-साथ [[संगीत]] की प्रतिभा का भी एक विलक्षण संयोग थे। [[भारत]] में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को '[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' के रूप में मनाया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी विवेकानन्द]] | ||
{'अपधर्मी को अपधर्म, परम्परावादी को [[धर्म]] किंतु इत्र विक्रेता के [[हृदय]] को [[गुलाब]] पंखुड़ी का पराग प्रिय होता है।' यह कवित्र किस मध्यकालीन लेखक द्वारा रचा गया है? (पृ. सं. 20 | {'अपधर्मी को अपधर्म, परम्परावादी को [[धर्म]] किंतु इत्र विक्रेता के [[हृदय]] को [[गुलाब]] पंखुड़ी का पराग प्रिय होता है।' यह कवित्र किस मध्यकालीन लेखक द्वारा रचा गया है? (पृ. सं. 20 |
05:43, 8 मार्च 2013 का अवतरण
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