"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||अब्दुल्ला ख़ाँ ने 1611 ई. में रणपुर के दर्रे में राजकुमार कर्ण को परास्त किया, परन्तु | ||अब्दुल्ला ख़ाँ ने 1611 ई. में रणपुर के दर्रे में राजकुमार कर्ण को परास्त किया था, परन्तु एक अन्य रणपुर के संघर्ष में अब्दुल्ला ख़ाँ को पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद मिर्ज़ा अजीज कोका को भेजा गया, खुद [[जहाँगीर]] अपने प्रभाव से शत्रु को आतंकित करने के लिए 1613 ई. में [[अजमेर]] गया। इस समय जहाँगीर ने [[मेवाड़]] के आक्रमण का भार शाहज़ादा 'ख़ुर्रम' ([[शाहजहाँ]]) को दिया। शाहज़ादा के नेतृत्व मे [[मुग़ल]] सेना के दबाब के सामने मेवाड़ की सेना को समझौते के लिए बाध्य होना पड़ा। [[राणा अमरसिंह]] की शर्तों पर जहाँगीर सन्धि के लिए तेयार हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | ||
{[[भारत]] में चारबाग़ शैली का प्रथम मक़बरा कौन-सा है?(ल्युसेंट, पृ.61, प्र.196) | {[[भारत]] में चारबाग़ शैली का प्रथम मक़बरा कौन-सा है?(ल्युसेंट, पृ.61, प्र.196) | ||
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-[[जहाँगीर]] का मक़बरा | -[[जहाँगीर]] का मक़बरा | ||
-[[औरंगज़ेब]] का मक़बरा | -[[औरंगज़ेब]] का मक़बरा | ||
||'हुमायूँ का मक़बरा' [[नई दिल्ली]] के 'दीनापनाह' अर्थात पुराने क़िले के निकट संत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह के पास [[यमुना नदी]] के किनारे स्थित है। [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] में [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] में चारबाग़ शैली के उद्यान प्रमुख अंग थे। इससे पूर्व ऐसे उद्यान [[भारत]] में कभी भी नहीं दिखे थे और इसके बाद अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। [[हुमायूँ]] का मक़बरा इसके [[पिता]] [[बाबर]] के [[क़ाबुल]] स्थित मक़बरे 'बाग़-ए-बाबर' से बिल्कुल अलग था। [[मुग़ल]] सम्राटों को बाग़ में बने मक़बरों में दफ़न करने की परंपरा बाबर के साथ ही आरंभ हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हुमायूँ का मक़बरा]] | ||'हुमायूँ का मक़बरा' [[नई दिल्ली]] के 'दीनापनाह' अर्थात पुराने क़िले के निकट संत [[निज़ामुद्दीन दरगाह|निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह]] के पास [[यमुना नदी]] के किनारे स्थित है। [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] में [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] में चारबाग़ शैली के उद्यान प्रमुख अंग थे। इससे पूर्व ऐसे उद्यान [[भारत]] में कभी भी नहीं दिखे थे और इसके बाद ये अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। [[हुमायूँ]] का मक़बरा इसके [[पिता]] [[बाबर]] के [[क़ाबुल]] स्थित मक़बरे 'बाग़-ए-बाबर' से बिल्कुल अलग था। [[मुग़ल]] सम्राटों को बाग़ में बने मक़बरों में दफ़न करने की परंपरा बाबर के साथ ही आरंभ हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हुमायूँ का मक़बरा]] | ||
{वर्ष 1486 ई. में [[वास्को द गामा]] [[भारत]] में कहाँ उतरा था?(ल्युसेंट, पृ.66, प्र.07) | {वर्ष 1486 ई. में [[वास्को द गामा]] [[भारत]] में कहाँ उतरा था?(ल्युसेंट, पृ.66, प्र.07) | ||
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-[[कोचीन]] | -[[कोचीन]] | ||
||'कालीकट' अथवा 'कोलिकोड' [[केरल]] राज्य का एक नगर और पत्तन है। कोलिकोड शब्द का अर्थ 'काकदुर्ग' है। अंतिम नरेश चेरासन पेरूमल ने मक्का के लिये प्रस्थान करते समय अपना राज्य अपने नायकों में बाँट दिया था। क़िले के चतुर्दिक, जहाँ तक क़िले में बोलने वाले मुर्गे की आवाज़ सुनाई देती थी, उतना क्षेत्र उन्होंने 'जमोरिन' नामक नायक को दे दिया था। अत: इस क्षेत्र का नाम 'कोलिकोड' पड़ा। 1486 ई. में प्रथम यूरोपवासी [[वास्को द गामा]] | ||'कालीकट' अथवा 'कोलिकोड' [[केरल]] राज्य का एक नगर और पत्तन है। कोलिकोड शब्द का अर्थ 'काकदुर्ग' है। अंतिम नरेश चेरासन पेरूमल ने [[मक्का (अरब)|मक्का]] के लिये प्रस्थान करते समय अपना राज्य अपने नायकों में बाँट दिया था। क़िले के चतुर्दिक, जहाँ तक क़िले में बोलने वाले मुर्गे की आवाज़ सुनाई देती थी, उतना क्षेत्र उन्होंने 'जमोरिन' नामक नायक को दे दिया था। अत: इस क्षेत्र का नाम 'कोलिकोड' पड़ा। 1486 ई. में प्रथम यूरोपवासी [[वास्को द गामा]] [[कालीकट]] आया और 1525 ई. तक [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] का व्यापार यहाँ से होने लगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कालीकट]] | ||
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05:44, 17 जून 2012 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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