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||विजयनगर साम्राज्य का विभाजन प्रान्त, राज्य या मंडल में किया गया था। [[कृष्णदेव राय]] के शासनकाल में प्रान्तों की संख्या सर्वाधिक 6 थी। प्रान्तों के गर्वनर के रूप में राज परिवार के सदस्य या अनुभवी दण्डनायकों की नियुक्ति की जाती थी। इन्हें सिक्कों को प्रसारित करने, नये कर लगाने, पुराने कर माफ करने एवं भूमिदान करने आदि की स्वतन्त्रता प्राप्त थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विजय नगर साम्राज्य|विजयनगर]] | ||[[विजयनगर साम्राज्य]] का विभाजन प्रान्त, राज्य या मंडल में किया गया था। [[कृष्णदेव राय]] के शासनकाल में प्रान्तों की संख्या सर्वाधिक 6 थी। प्रान्तों के गर्वनर के रूप में राज परिवार के सदस्य या अनुभवी दण्डनायकों की नियुक्ति की जाती थी। इन्हें सिक्कों को प्रसारित करने, नये कर लगाने, पुराने कर माफ करने एवं भूमिदान करने आदि की स्वतन्त्रता प्राप्त थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विजय नगर साम्राज्य|विजयनगर]] | ||
{[[हम्पी]] का खुला संग्रहालय किस राज्य में है? | {[[हम्पी]] का खुला संग्रहालय किस राज्य में है? | ||
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-[[रैदास]] | -[[रैदास]] | ||
-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
||[[चित्र:Kabirdas-2.jpg|कबीरदास|100px|right]][[कबीरदास]] के समस्त विचारों में [[राम]] नाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। [[अवतार]], मूर्त्ति, रोज़ा, [[ईद]], मस्जिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे। कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कबीर]] | ||[[चित्र:Kabirdas-2.jpg|कबीरदास|100px|right]][[कबीरदास]] के समस्त विचारों में [[राम]] नाम की महिमा प्रतिध्वनित होती है। वे एक ही ईश्वर को मानते थे और कर्मकाण्ड के घोर विरोधी थे। [[अवतार]], मूर्त्ति, रोज़ा, [[ईद उल फ़ितर|ईद]], मस्जिद, मंदिर आदि को वे नहीं मानते थे। कबीर के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार भिन्न-भिन्न है। कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कबीर]] | ||
{वह प्राचीन नाम क्या है, जिससे [[पटना]] नगर को जाना जाता था? | {वह प्राचीन नाम क्या है, जिससे [[पटना]] नगर को जाना जाता था? |
09:35, 16 जून 2011 का अवतरण
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