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झील के अतिरिक्त यह शहर अपने ऐतिहासिक बुंदेलखंड क़िले के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका निर्माण पहाड़ी की चोटी पर किया गया था, जिसका उद्देश्य शहर को शत्रुओं से बचाना था। चूने के पत्थर से बना यह क़िला [[बेतवा नदी]] के जलाशय का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। | झील के अतिरिक्त यह शहर अपने ऐतिहासिक बुंदेलखंड क़िले के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका निर्माण पहाड़ी की चोटी पर किया गया था, जिसका उद्देश्य शहर को शत्रुओं से बचाना था। चूने के पत्थर से बना यह क़िला [[बेतवा नदी]] के जलाशय का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। | ||
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07:50, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
बरुआ सागर, झाँसी
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विवरण | 'बरुआ सागर' झाँसी का एक शहर है, जो अपने ऐतिहासिक क़िले तथा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | झाँसी |
स्थापना | राजा उदित सिंह |
क्या देखें | 'बरुआ झील', 'बुदेलखण्ड क़िला', 'दुर्गा मंदिर' आदि। |
जनसंख्या | 22.075 (2001) |
प्रशासनिक भाषा | हिन्दी |
पिनकोड | 284201 |
अन्य जानकारी | बरुआ सागर नामक झील के कारण ही इस शहर का नाम 'बरुआ सागर' पड़ा है। |
बरुआ सागर झाँसी ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है। इसे बरुआ सागर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बरुआ सागर नाम की एक भव्य झील स्थित है, जो झाँसी से 25 कि.मी. दूर बेतवा नदी के किनारे स्थित है। राजा उदित सिंह द्वारा निर्मित इस शहर में कई सुन्दर स्थान है, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
ऐतिहासिक क़िला
झील के अतिरिक्त यह शहर अपने ऐतिहासिक बुंदेलखंड क़िले के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका निर्माण पहाड़ी की चोटी पर किया गया था, जिसका उद्देश्य शहर को शत्रुओं से बचाना था। चूने के पत्थर से बना यह क़िला बेतवा नदी के जलाशय का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है।
दुर्गा मंदिर
इस शहर में देवी दुर्गा को समर्पित एक मंदिर भी है, जो 'जरी का मठ' नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण ईसा पश्चात् 860 में वास्तुकला की 'प्रिथारा शैली' में किया गया है। यह मंदिर चार छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है, जो इसके चारो कोनों में स्थित हैं। 'भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण' ने 1928 में इस मंदिर को संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल किया है।[1] यह मंदिर प्रतिहार कला शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर अनेक सुन्दर मूर्तियाँ उकेरी गईं हैं। मंदिर की कलाकृतियों को देखने से स्पष्ट होता है कि उस समय के कलाकार मूर्तियों के अंग-प्रत्यंग की सुडौलता के प्रति अत्यन्त सजग थे तथा इनके निर्माण में सिद्धहस्त थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बरुआ सागर, झाँसी (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 03 मई, 2015।
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