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{जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' किस कलावाद के अंतर्गत आती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-2
|type="()"}
-शास्त्रीयवाद
+नवशास्त्रीयवाद
-[[यथार्थवाद]]
-उत्तर यथार्थवाद
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (1787) तथा सुकरात की मृत्यु (1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है।
{घनवादी कला आकृतियों को किस रूप में देखते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-1
|type="()"}
-वर्ग
-त्रिकोणात्मक और वर्ग
-गोले और त्रिभुज
+घन और [[शंकु]]
||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नज़रिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन और [[शंकु]] के रूप में देखते थे।
{[[इटली]] में बरोक कला का किस शती में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1
|type="()"}
+16वीं
-19वीं
-20वीं
-18वीं
||[[इटली]] में बरोक कला का 16वीं शती (1550-1750) में विकसित हुई। यूरोपीय कला का यह काल स्वर्ण युग माना गया है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से इटालियन कलाकार कारावाद्ज्यो, फ़्रेंच कलाकार क्लोद  लोरे, डच कलाकार रेम्ब्रां, वर्मेर, फ़्राँस हाल्स, फ्लेमिश कलाकार रूबेन्स, वान डाइक एवं स्पेनिश कलाकार रिबेश, वेलास्केस इसी काल की देन हैं।
{'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1
|type="()"}
-[[प्लेटो]]
+बामगार्टन
-हीगेल
-टॉलस्टाय
||18वीं शती में बामगार्टन (1714-62 ई.) ने 'फिलॉसफी' को 'लॉजिक' (तर्कशास्त्र) 'एथिक्स' (नीतिशास्त्र) और 'एस्थेटिक्स' (सौन्दर्यशास्त्र) तीन अलग-अलग भागों में विभक्त कर दिया। 'नीतिशास्त्र' (एथिक्स) मानव को बुराइयों से हटाकर अच्छाइयों की ओर ले जाते है, सौंदर्यशास्त्र (एस्थेटिक्स) आनन्द की ओर, लॉजिक (तर्कशास्त्र) तर्क की ओर। एस्थेटिक्स तभी से अन्य विषयों की भांति अध्ययन का एक स्वतंत्र विषय बन गया। इससे सम्बाधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) बामगार्टन को 'फ़ादर ऑफ़ एस्थेटिक्स' (सौन्दर्य शास्त्र का जनक) कहा जाता है। (2) एस्थेटिक्स, दर्शनशास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है।
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात निम्न में से किसने कही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-1
|type="()"}
-भट्टलोल्लट
-[[शंकुक|श्रीशंकुक]]
+[[अभिनवगुप्त]]
-भट्टनायक
||भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात [[अभिनवगुप्त]] ने कही है। अभिनवगुप्त भारतीय सौन्दर्य-दर्शन के विशिष्टतम प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्होंने प्रेक्षक को ध्यान उत्पन्न करने वाले सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं से सर्वप्रथम मुक्त करने की बात कही।
{ग्वाश रंगों की प्रकृति कैसी होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-2
|type="()"}
-पारदर्शी
-अल्प-पारदर्शी
-परावर्ती
+अपारदर्शी
||ग्वाश रंगों की प्रकृति अपारदर्शी होती है। ग्वाश का अर्थ गाढ़ा लेप होता है। चित्रों में प्राय: पोस्टर, तैल, पोस्टर तथा टेम्परा चित्रण में अधिकतर अपारदर्शी रंगांकन होता है।
{[[टेलीविजन]] मीडिया पर प्रचार की क़ीमत का क्या आधार है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-1
|type="()"}
+समय
-जगह
-प्रोडक्शन
-[[रंग]]
||[[टेलीविजन]] मीडिया पर प्रचार की क़ीमत का आधार प्रसारण का समय होता है। साथ ही क़ीमत का आधार प्रचार का आकार, गुणवत्ता, प्रिंट शैली, प्रसारण का स्थान आदि भी होता है।
{कामसूत्र की उस टीका के टीकाकार कौन थे, जिसमें 'षडंग' का वर्णन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-1
|type="()"}
+यशोधर पंडित
-यशराज पंडित
-पंडित दीनानाथ
-पंडित जयराज
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{'[[भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र]]' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1
{'[[भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र]]' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1
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-[[कोटा]]
-[[कोटा]]
+[[ग्वालियर]]
+[[ग्वालियर]]
||[[[ग्वालियर का क़िला]] में 'मृगनयनी का महल' स्थित है। ग्वालियर के क़िले के अंदर छ: महल हैं। इनमें से एक महल [[राजा मानसिंह]] की रानी 'मृगनयनी का महल' भी है इसे 'गूजरी महल' भी कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ऐसी किंवदंती है कि कच्छवाहा [[सूर्यसेन|राजा सूर्यसेन]], गालव ऋषि के कृपादृष्टि से रोगमुक्त हो गए जिससे उनके नाम पर ग्वालियर के क़िले का निर्माण कराया गया, जो बस्ती आबाद की उसका नामकरण किया ग्वालिआवर। यही बाद में ग्वालियर नाम से मशहूर हुआ। (2) [[बाबर|मुग़ल बादशाह बाबर]] ने इसे [[भारत|हिंदुस्तान]] के अन्य क़िलों में मोती बताया है।
||[[ग्वालियर का क़िला]] में 'मृगनयनी का महल' स्थित है। ग्वालियर के क़िले के अंदर छ: महल हैं। इनमें से एक महल [[राजा मानसिंह]] की रानी 'मृगनयनी का महल' भी है इसे 'गूजरी महल' भी कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) ऐसी किंवदंती है कि कच्छवाहा [[सूर्यसेन|राजा सूर्यसेन]], गालव ऋषि के कृपादृष्टि से रोगमुक्त हो गए जिससे उनके नाम पर ग्वालियर के क़िले का निर्माण कराया गया, जो बस्ती आबाद की उसका नामकरण किया ग्वालिआवर। यही बाद में ग्वालियर नाम से मशहूर हुआ। (2) [[बाबर|मुग़ल बादशाह बाबर]] ने इसे [[भारत|हिंदुस्तान]] के अन्य क़िलों में मोती बताया है।
 
 
 
 
 
{नवशास्त्रयतावादी के चित्रकार कौन है?  (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-3
|type="()"}
-जेरिका
-डोमीडर
+डेविड
-ब्रूगेल
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (1787) तथा सुकरात की मृत्यु (1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है।
 
{'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2
|type="()"}
-एक
-दो
-तीन
+अनेक
||'घनवाद' (Cubism) में अनेक आयाम होते हैं क्योंकि कलाकृतियों में बहु-आयामी आकृतियों को ही 'घनवाद' कहते हैं।
 
{[[कोलकाता]] में विक्टोरिया स्मारक पर [[1998]] का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' किसने बनाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-2
|type="()"}
-नलिनी मालानी
-शिबु नटेशन
+विवान सुंदरम
-शीला गाउड़ा
||[[कोलकाता]] में विक्टोरिया स्मारक पर वर्ष [[1998]] का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' विवान सुंदरम ने बनाया था जो एक समकालीन कलाकार हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) विवान सुंदरम एक चित्रकार, मूर्तिकार तथा इंस्टालेटर भी है। (2) इनके पिता कल्याण सुंदरम वर्ष [[1968]]-[[1971]] में विधि आयोग के अध्यक्ष रहे थे। (3) [[लंदन]] में ब्रिटिश-अमेरिकन पेंटर आर.बी. किट्ज से मिले तथा कुछ समय तक प्रशिक्षण लिया।
 
{निम्न में से जर्मन दार्शनिक कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-2
|type="()"}
-अल्बर्ट ड्यूरर
-दांते
+बामगार्टन
-क्रोचे
||अलेक्जेंडर गोट्‌टिलिब बामगार्टन जर्मन दार्शनिक थे, वे दार्शनिक के साथ ही एक शिक्षक भी थे। इनका जन्म [[17 जुलाई]], 1714 ई. में हुई। अल्बर्ट ड्यूरर जर्मन के चित्रकार और विचारक थे। दांते [[इटली]] के दार्शनिक एवं [[कवि]] थे जबकि क्रोचे पेंनसिल्वानिया, [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के गायक थे। बामगार्टन की प्रमुख पुस्तकें हैं- Ethica philosphica (1740; philosphica Ethic), Acroasis Logica (1761; Discourse on Logic), Jus Naturae (1763; Natural Law), Philosphica Generalis (1770; General Philosphica) and Praelectional Theological (1773; Lectures on Thology).
 
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार '[[रस]] [[कला]] की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2
|type="()"}
-[[शंकुक|श्रीशंकुक]]
-[[भरत मुनि|भरत]]
+[[अभिनवगुप्त]]
-पंडितराज जगन्नाथ
||[[अभिनवगुप्त]] ने '[[रस]]' के 9 स्थायी भाव माने हैं। उनके अनुसार "रस का आस्वाद भावों के माध्यम से प्रेक्षक के हृदय में होता है। इसलिए भाव और रस में परस्पर शरीर और [[आत्मा]] का संबंध है।"
 
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-3
|type="()"}
-रूप
-भाव
-वर्ण
+चित्रकार
||रूप, भाव तथा वर्ण, चित्र रचना के मूल तत्त्व हैं जबकि चित्रकार इन तत्त्वों का प्रयोग करके एक चित्र की रचना करता है।
 
{ग्राफिक विधि किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-2
|type="()"}
-मोजैक
-फ्रेस्को
-टेम्परा
+ईचिंग
||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह धातु ([[जस्ता|जस्ते]] की चादर) पर [[अम्ल|एसिड]] के साथ उत्कीर्ण की जाती है।
 
{भारतीय चित्रकला के षडंगों का सही क्रम पहचानिए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-2
|type="()"}
+रूपभेद, प्रमाण, भाव, लावण्ययोजना
-प्रमाण, भाव, लावण्ययोजना, रूपभेद
-भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद
-लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{'[[भारत रत्न]]' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2
{'[[भारत रत्न]]' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2
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||[[भारत सरकार]] के [[गृह मंत्रालय]] की वेबसाइट के अनुसार [[भारत रत्न]] सर्वप्रथम वर्ष [[1954]] में प्रदान किया गया। इनमें तीन व्यक्तियों का चयन किया गया जिनका क्रम इस प्रकार है- [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी|श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] तथा [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन]]। चूंकि क्रम में दूसरे स्थान पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं और यह विकल्प में दिया है जिससे विकल्प (d) सही उत्तर माना जा सकता है। वर्ष [[1955]] में भी तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उनका क्रम इस प्रकार है- [[डॉ. भगवान दास]], [[विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया]] तथा [[पं. जवाहरलाल नेहरू]]। वर्ष [[2014]] का भारत रत्न [[मदन मोहन मालवीय|पं. मदन मोहन मालवीय]] तथा भूतपूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|अटल बिहारी वायपेयी]] को प्रदान किया गया।
||[[भारत सरकार]] के [[गृह मंत्रालय]] की वेबसाइट के अनुसार [[भारत रत्न]] सर्वप्रथम वर्ष [[1954]] में प्रदान किया गया। इनमें तीन व्यक्तियों का चयन किया गया जिनका क्रम इस प्रकार है- [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी|श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] तथा [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन]]। चूंकि क्रम में दूसरे स्थान पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं और यह विकल्प में दिया है जिससे विकल्प (d) सही उत्तर माना जा सकता है। वर्ष [[1955]] में भी तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उनका क्रम इस प्रकार है- [[डॉ. भगवान दास]], [[विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया]] तथा [[पं. जवाहरलाल नेहरू]]। वर्ष [[2014]] का भारत रत्न [[मदन मोहन मालवीय|पं. मदन मोहन मालवीय]] तथा भूतपूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|अटल बिहारी वायपेयी]] को प्रदान किया गया।


{मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहां की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33
{मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहाँ की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33
|type="()"}
|type="()"}
+ग्रीस
+ग्रीस
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-[[मेसोपोटामिया]]
-[[मेसोपोटामिया]]
||मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' ग्रीस, [[यूनान]] की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व इस तरह की मूर्तियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। यूनानियों के लिए इस तरह की मुस्कान आदर्श स्वास्थ्य और भलाई का लक्षण माना जाता है।
||मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' ग्रीस, [[यूनान]] की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व इस तरह की मूर्तियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। यूनानियों के लिए इस तरह की मुस्कान आदर्श स्वास्थ्य और भलाई का लक्षण माना जाता है।
{निम्नलिखित में से किस प्रमुख चित्रकार ने स्वच्छंदतावादी आंदोलन प्रारंभ किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-4
|type="()"}
-इउजीन देलाक्रो
+थियोडोर जेरिकॉल्ट
-हानर डाउमियर
-कैमिल कोरो
||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो कि एक फ़्राँसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते हैं।
{घन में एक दर्शक कितने तल देख पाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-3
|type="()"}
-8
+3
-6
-2
||घन (Cube) में एक दर्शक तीन तल देख पाता है क्योंकि यह एक त्रिविमीय (Three Dimensional) आकृति है।
{गीता कपूर कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-3
|type="()"}
-चित्रकार
-मूर्तिकार
-प्रिंटमेकर
+इतिहासकार तथा कला समीक्षक
||गीता कपूर [[भारत]] की अग्रणी कला समीक्षक, इतिहासकार और क्यूरेटर हैं। 20वीं सदी के दौरान उन्होंने इस उपमहाद्वीप में समकालीन कला के उद्भव के दस्तावेज़ तैयार किए हैं। [[कला]], फ़िल्म, सांस्कृतिक सिद्धांत पर उनका निबंध व्यापक रूप से पसंद किया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी लगाई हैं। इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं- (1)Contemporary Indian artists, (2) When was Modernism: Essays on Contemporary Culturalce Practice in India, (3) Ends and Means: Critical inscription in contemporary art. इनके पति विवान सुंदरम भी एक कलाकार हैं।
{एशियाई कला की अवधारणा की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-3
|type="()"}
-ई. बी. हैवेल
-[[भगिनी निवेदिता]]
-[[आनन्द कुमारस्वामी]]
+कुकुजो ओकाकुरा
||एशियाई कला की अवधारणा की शुरुआत जापानी कलाकार कुकुजो ओकाकुरा ने की थी। ये 'जापान आर्ट इंस्टीट्यूट' के संस्थापक हैं।
{रस भाव को शास्त्र का रूप किसने दिया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-3
|type="()"}
-पं. यशोधर
+[[भरत मुनि|भरत]]
-[[बाणभट्ट]]
-[[केशव|केशव दास]]
||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस |वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस |शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
{[[प्रकाश]] में उपस्थित [[रंग|रंगों]] को हम किसके द्वारा देख सकते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-4
|type="()"}
-दर्पण
+प्रिज्म
-दूरबीन
-एक्स-रे
||प्रिज्म ऐसा यंत्र है जिस पर प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तब यह किरण वर्ण विक्षेपण का गुण प्रदर्शित करती हैं। जिसमें सात [[रंग|रंगों]] (बैनीआहपीनाला) के क्रम में हमें दिखाई देता है।
{[[जस्ता|जस्ते]] की चादर का प्रयोग किस तकनीक में होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-3
|type="()"}
-लीनोकट
-लीथोप्रिंट
+ईचिंग
-इनग्रेविंग
||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह [[धातु]] ([[जस्ता|जस्ते]] की चादर) पर [[अम्ल|एसिड]] के साथ उत्कीर्ण की जाती है।
{'षडंग' का पहला अंग क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-3
|type="()"}
-प्रमाण
-सादृश्य
+रूपभेद
-भाव
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{[[महात्मा गांधी|महात्मा गांधी जी]] की [[मां]] का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3
{[[महात्मा गांधी|महात्मा गांधी जी]] की [[मां]] का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3
पंक्ति 258: पंक्ति 53:
-कंपनी
-कंपनी
||ट्रेडमार्क किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है। ट्रेडमार्क किसी कंपनी का नाम, शब्द, प्रतीक होता है जो उत्पादों पर अंकित होते हैं। किसी भी वस्तु के ट्रेडमार्क का पंजीकरण राष्ट्रीय ट्रेडमार्क कार्यालय द्वारा किया जाता है जिसके लिए शुल्क जमा करना होता है। ट्रेडमार्क्स का प्रयोग करके कोई कंपनी उत्पाद के नकल से बचती है।
||ट्रेडमार्क किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है। ट्रेडमार्क किसी कंपनी का नाम, शब्द, प्रतीक होता है जो उत्पादों पर अंकित होते हैं। किसी भी वस्तु के ट्रेडमार्क का पंजीकरण राष्ट्रीय ट्रेडमार्क कार्यालय द्वारा किया जाता है जिसके लिए शुल्क जमा करना होता है। ट्रेडमार्क्स का प्रयोग करके कोई कंपनी उत्पाद के नकल से बचती है।
{'थियोडोर जेरिकॉल्ट' किस कला आंदोलन के अंतर्गत आते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-5
|type="()"}
-नवशास्त्रीयवाद
+रोमांसवाद
-[[यथार्थवाद]]
-प्रभाववाद
||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो कि एक फ़्राँसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते है।
{परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से हमें 'घन' के कितने पक्ष दिखाई पड़ते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-4
|type="()"}
-6
-5
+3
-4
||घन (Cube) में एक दर्शक तीन तल देख पाता है क्योंकि यह एक त्रिविमीय (Three Dimensional) आकृति है।
{समीक्षावादी कलाकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-4
|type="()"}
-रणवीर सिंह विष्ट
-एन. के. खन्ना
+[[रामचंद्र शुक्ल]]
-मदनलाल नागर
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) काग़ज़ की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं।
{सौंदर्य क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-4
|type="()"}
-कलाकृति
-अभिव्यक्ति
-जीवन का आनन्द
+रस-निष्पत्ति
||[[भरत मुनि]] का [[नाट्यशास्त्र]] भारतीय सौन्दर्य-दर्शन का प्राचीनतम ग्रंथ है। जिसमें उन्होंने अपना रस सिद्धांत प्रतिपादित किया है। भावों द्वारा [[रस]] की निष्पति और प्रेक्षक द्वारा उसकी अनुभूति सौन्दर्य का सर्वोच्च स्वरूप कहा गया है। भारतीय मनीषियों ने रस, सौन्दर्य एवं आनन्द को लगभग पर्याप्त माना है।
{आचार्य [[भरत मुनि]] के अनुसार [[रस|रसों]] की संख्या कितनी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-4
|type="()"}
-दस
+आठ
-नौ
-ग्यारह
||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस |वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस |शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
{ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार [[रंग|कलर]] कौन-कौन से होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-5
|type="()"}
-[[लाल रंग|लाल]], [[हरा रंग|हरा]], [[नीला रंग|नीला]], [[काला रंग|काला]]
+स्यान, मैजेंटा (रानी रंग), [[पीला रंग|पीला]], [[काला रंग|काला]]
-[[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], पीला, [[नीला रंग|नीला]]
-[[नीला रंग|नीला]], लाल, पीला, काला
||ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार [[रंग|कलर]] होते हैं- स्यान (Cyan), मैजेंटा (Magenta), [[पीला रंग|पीला]] (Yellow) और [[काला रंग|काला]] (Black)। कलर प्रिंट के समय [[लाल रंग|लाल]] (Red), [[हरा रंग|हरा]] (Green) और [[नीला रंग|नीला]] (Blue) (RGB) को CYMK में बदल दिया जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) लाल, हरा, नीला [[प्रकाश]] के [[प्राथमिक रंग]] होते हैं। जिन्हें [[कंप्यूटर]] अपनी स्क्रीन पर दिखाता है। (2) कंम्यूटर स्क्रीन पर अच्छा चित्र पाने के लिए 'RGB' को 'CYMK' में परिवर्तित करना बेहतर विकल्प होता है।
{जल-रंग चित्रण में पोत का प्रभाव किस काग़ज़ पर अच्छा उभरता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-4
|type="()"}
-चिकना
-मध्यम
+मोटा
-पतंगी
||जल-रंग चित्रण प्राचीन चित्रण प्रद्धति है। इस माध्यम में चित्रण प्राय: काग़ज़ पर होता है। मोटा और कड़ा काग़ज़ इस चित्रण हेतु उपयुक्त रहता है, जो [[पानी]] को न सोखे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) अधिक खुरदुरा, मध्यम खुरदुरा और चिकना कई प्रकार के धरातलों में निर्मित व्हाट्समैन मार्का काग़ज़ इसके लिए अच्छा माना जाता है। (2) जल-रंग चित्रण के लिए प्राय: सेबल हेयर के ब्रश उपयुक्त रहते हैं।
{'षडंग' किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-4
|type="()"}
+चित्रकला
-मूर्तिकला
-वस्त्र
-स्थापत्य
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4
{[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4
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-[[थाईलैंड]]
-[[थाईलैंड]]
||'हनिवा टैराकोटा' [[जापान]] से संबंधित [[कला]] है। हनिया का अर्थ है- [[मिट्टी]] का चक्र या गोला। हनिया टैराकोटा कला मिट्टी के घोड़े, योद्धाओं की मूर्तियां, महिला परिचारिकाओं, नर्तक, पक्षियों, जानवरों, नावों, सैन्य उपकरणों आदि की मूर्तियां बनाई जाती थी।
||'हनिवा टैराकोटा' [[जापान]] से संबंधित [[कला]] है। हनिया का अर्थ है- [[मिट्टी]] का चक्र या गोला। हनिया टैराकोटा कला मिट्टी के घोड़े, योद्धाओं की मूर्तियां, महिला परिचारिकाओं, नर्तक, पक्षियों, जानवरों, नावों, सैन्य उपकरणों आदि की मूर्तियां बनाई जाती थी।
{नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने एक राजनैतिक काल के लिए योगदान किया था। वह कौन-सा काल था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-6
|type="()"}
-अमेरिकन क्रांति
-[[भारत छोड़ो आंदोलन]]
+फ़्रेंच क्रांति
-द्वितीय विश्व युद्ध
||नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने फ़्रेंच क्रांति (French Revolution) के लिए पेंटिंग और प्रिंटमेकिंग के क्षेत्र में योगदान किया था जबकि अमेरिकन पुनर्जागरण (American Renaissance) 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' से संबंधित है। विश्व युद्ध भी 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' तथा आर्किटेक्चर (Architecture) से संबंधित है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) नवशास्त्रीयतावादी चित्रकारों ने मुख्य रूप से उदात्तता पर ध्यान दिया। डेविड और इन्ग्रेस इस शैली के प्रतिनिधि कलाकार थे।
{कौन-से दो कलाकारों ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-5
|type="()"}
-पॉल सेजां एवं विन्सेंट वान गॉग
+पिकासो एवं ब्राक
-माने एवं एडगर डेगा
-वान आईक बंधु
||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में [[भूरा रंग|भूरा]], [[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]] तथा [[नीला रंग|नीला]] आदि तेज [[रंग|रंगों]] की प्रमुखता थी।
{प्रोफेसर [[रामचंद्र शुक्ल]] किसके लिये जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-5
|type="()"}
-पारपरिक चित्रकार
+समीक्षावादी चित्रकार
-समीक्षक
-फोटोग्राफर
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) कागज की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं।
{पाश्पात्य सौन्दर्यशास्त्र में 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-5
|type="()"}
-हीगल
+क्रोचे
-बामगार्टन
-टॉमस एक्विनास
||पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत क्रोचे ने प्रतिपादित किया। क्रोचे ने [[कला]] को सहजानुभूति माना है। क्रोचे आधुनिक काल के महान सौन्दर्यशास्त्रियों में गिना जाता है। 'What is Beauty' की विवेचना करते हुए उसने 'एस्थेटिक' ग्रंथ की रचना की। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) क्रोचे ने कला को तत्त्वत: भाषा माना है और भाषा को तत्त्वत: अभिव्यक्ति। (2) क्रोचे ने अभिव्यक्त के दो विभेद किए हैं- एस्थेटिक सेंस और नेचुरोलिस्टक सेंस। (3) क्रोचे ने अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य को एक माना है। उन्हीं के शब्दों में- अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य दो अवधारणाएं नहीं हैं बल्कि एक ही अवधारणा है (Expression and beauty are not two concapts dut a Single concapt)| (4) 'एक्सप्रेशनिस्ट थ्योरी' का सबसे प्रमुख प्रवर्तक क्रोचे था। (5) हीगल की भांति ही क्रोचे ने भी कलाकृति को बौद्धिक माना है। क्रोचे माइकेल एंजेलो के कथन का उल्लेख करता है- "मैं अपने दिमाग से चित्र बनाता हूं, हाथ से नहीं"।
{सर्वप्रथम किसने '[[नाट्यशास्त्र]]' में आठ [[रस|रसों]] को बतलाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-5
|type="()"}
-आचार्य उद्भट्ट
-[[बाणभट्ट|आचार्य बाणभट्ट]]
+[[भरत मुनि|आचार्य भरतमुनि]]
-आचार्य नारायण मुनि
||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस |वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस |शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
{चंबा की रेखाएं किस रंग से बनाई गई हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-1
|type="()"}
-[[लाल रंग|लाल]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]]
+लाल, [[काला रंग|काला]]
-काला, [[सफ़ेद रंग|सफेद]]
-इनमें से सभी
||चंबा की रेखाएं, [[लाल रंग|लाल]] या [[काला रंग|काले रंग]] से बनाई गई हैं। इस शैली के चित्रों में कोमल और बारीक रेखाओं में जहांगीर कालीन मुग़ल शैली की विशेषताओं की छाप दिखती है।
{किस-किस [[रंग]] के मिलन से स्लेटी रंग बनता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-6
|type="()"}
-[[काला रंग]] और [[हरा रंग]]
-काला रंग और [[नीला रंग]]
-[[काला रंग]] और [[पीला रंग]]
+काला रंग और [[सफ़ेद रंग]]
||[[काला रंग]] और [[सफ़ेद रंग]] को मिलाने से स्लेटी रंग बनता है।
{वॉश तकनीक की रेखाएं भारतीय कलाओं से प्रेरित हैं, लेकिन इसकी तकनीक कहाँ की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-5
|type="()"}
-इटालियन
-मंगोलियन
-ईरानियन
+चीनी-जापानी
||वॉश तकनीक की रेखाएं भारतीय कलाओं से प्रेरित हैं लेकिन यह तकनीक चीनी-जापानी है। [[भारत]] में इस तकनीक को बंगाल शैली के चित्रकारों ने विकसित किया है।
{भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5
|type="()"}
-[[रामचंद्र शुक्ल]]
+यशोधर पंडित
-[[कालिदास]]
-[[भरत मुनि]]
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।


{रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5
{रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5

12:03, 13 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

1 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1

पुणे
ग्वालियर
हैदराबाद
ट्राम्बे

2 'मृगनयनी का महल' कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-32

धार
हैदराबाद
कोटा
ग्वालियर

3 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2

डॉ. भगवान दास
डॉ. मोक्षगुडम विश्वेश्वरैया
पं. जवाहरलाल नेहरू
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

4 मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहाँ की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33

ग्रीस
रोम
इजिप्ट
मेसोपोटामिया

5 महात्मा गांधी जी की मां का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3

जोधाबाई
जानकी बाई
अवंती बाई
पुतली बाई

6 कोई नाम, युद्ध या अन्य तरीक़ा जो किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है, उसे क्या कहते हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-34

ट्रेडमार्क
रजिस्ट्रेशन
ब्रांड
कंपनी

7 अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4

अब्राहम लिंकन
जॉर्ज वाशिंगटन
बिल क्लिंटन
जॉर्ज डब्ल्यू बुश

8 'हनिवा टैराकोटा' किस देश से संबंधित कला है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-35

चीन
जापान
दक्षिण कोरिया
थाईलैंड

9 रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5

रैपिड एक्सेस मेमोरी
रैन्डम एक्सेस मेमोरी
रोलिंग एक्सेस मेमोरी
रैपिड एक्यूरेट मेमोरी

10 विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-36

आर.के. नारायण
अजित निनान
के.एस. कुलकर्णी
आर.के. लक्ष्मण