"दशनामी सन्न्यासी": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:हिन्दू धर्म कोश" to "Category:हिन्दू धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "सन्न्यासी" to "संन्यासी") |
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:44, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
दशनामी संन्यासी हिन्दू शैव तपस्वियों का एक सम्प्रदाय है, जिसकी स्थापना आठवीं शताब्दी के प्रसिद्ध दार्शनिक शंकराचार्य द्वारा की गई थी। इस सम्प्रदाय के संन्यासी विशेष प्रकार के गेरुआ वस्त्र धारण करते हैं। दशनामी संन्यासी कट्टर स्वभाव के होते हैं और प्राय: निर्वसन का जीवन व्यतीत करते हैं।
दस सम्प्रदाय
'दशनामी संन्यासी' शंकराचार्य द्वारा स्थापित 10 सम्प्रदायों ('दशनाम'- 10 नाम) से संबंधित हैं। 10 सम्प्रदाय निम्नलिखित हैं-
- अरण्य
- आश्रम
- भारती
- गिरी
- पर्वत
- पूरी
- सरस्वती
- सागर
- तीर्थ
- वन
चार मठ
प्रत्येक सम्प्रदाय शंकराचार्य द्वारा भारत के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भाग में स्थापित चार मठों के साथ संबंधित हैं। ये मठ हैं- ज्योति (जोशी) मठ (हरिद्वार के निकत बद्रीनाथ, उत्तरांचल) श्रंगेरी मठ (कर्नाटक) गोवर्धन मठ (पुरी, उड़ीसा) शारदा मठ (द्वारका, गुजरात)
मठों के प्रमुखों को 'महंत' कहते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि 'श्रंगेरी मठ' के प्रमुख को 'जगद्गुरु' कहा जाता है। सिद्धांतों के बारे में महंतों से परामर्श किया जाता है और आम हिन्दू तथा उनके अनुयायी तपस्वी उन्हें सर्वाधिक सम्मान देते हैं।
वस्त्र विन्यास
'दशनामी संन्यासी' विशेष प्रकार के गेरुआ वस्त्र पहनते हैं और यदि प्राप्त कर सकें तो अपने कंधे पर बाघ या शेर की खाल का आसन रखते हैं। वह माथे तथा शरीर के अन्य भागों पर श्मशान की राख से तीन धारियों का तिलक लगाते हैं और गले में 108 रुद्राक्षों की माला पहनते हैं। वे अपनी दाढ़ी बढ़ने देते हैं और बाल खुले रखते हैं, जो कंधों तक आते हैं या उन्हें सिर के ऊपर बांधते हैं।
नागा साधु
कुछ कट्टर दशनामी निर्वसन का जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें 'नागा' (नग्न) संन्यासी कहा जाता हैं और वह तपस्वियों में सबसे अधिक उग्र होते हैं। पुराने समय में नागा संन्यासी अन्य मतों, हिन्दुओं और मुसलमानों, दोनों के साथ युद्ध में उलझ जाया करते थे।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-3 |लेखक: इंदू रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइकोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 14 |
संबंधित लेख