"खनिज संसाधन": अवतरणों में अंतर
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[[खनिज]] सम्पदा की उपलब्धता की दृष्टि से [[भारत]] की गणना विश्व के खनिज संसाधन सम्पन्न देशों में की जाती है। चूंकि भारत की भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखण्डों का योगदान है, अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती है। एक तरफ यहाँ पर [[लोहा]], [[मैंगनीज]], [[टंग्स्टन]], [[तांबा]], [[सीसा]], [[जस्ता]], [[बॉक्साइट]], [[सोना]], [[चाँदी]], इल्मेनाइट, बैराइट, [[मैग्नेसाइट]], सिलेमैनाइट, [[टिन]] आदि धात्विक खनिज मिलते हैं, तो दूसरी तरफ अधात्विक खनिजों जैसे - [[अभ्रक]], एसबेस्टस, पायराइट, [[नमक]], [[जिप्सम]], [[हीरा]], काइनाइट, इमारती पत्थर, संगमरमर, [[चूना पत्थर]], विभिन्न प्रकार की [[मिट्टी|मिट्टियाँ]] आदि भी मिलते हैं। अणुशक्ति के खनिजों यथा - [[यूरेनियम]], [[थोरियम]], इल्मैनाइट, [[बेरिलियम]], [[जिरकॉन]], सुरमा, [[ग्रेफाइट]] आदि भी भारत में यत्र-तत्र मिलते हैं। प्राकृतिक [[शक्ति संसाधन|शक्ति साधनों]] में [[कोयला]], [[खनिज तेल]] तथा प्राकृतिक गैस की भी प्राप्ति स्थलीय एवं अपतट क्षेत्रों में होती है। | |||
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यह क्षेत्र भारतीय खनिज की दृष्टि से सर्वाधिक | यह क्षेत्र भारतीय खनिज की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। इसे ‘भारतीय खनिज का हद्य स्थल’ कहा जाता है। यह आर्कियन शिल्ड क्षेत्र है जिसका संपूर्ण भाग [[उड़ीसा]] का पठार, [[छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर का पठार]], [[छत्तीसगढ़]] का उत्तरी भाग आदि से बना है। यहाँ का मुख्य खनिजों में कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, [[तांबा]], बॉक्साइट आदि बहुतायत में मिलते हैं। इस क्षेत्र में काइनाइट 100 प्रतिशत, [[लौह अयस्क]] 93 प्रतिशत, [[कोयला]] 84 प्रतिशत, [[क्रोमाइट]] 70 प्रतिशत आदि मिलते हैं। | ||
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यह भारत का दूसरा सर्वाधिक | यह भारत का दूसरा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र है। इसका विस्तार [[मध्य प्रदेश]], छत्तीसगढ़ [[आंध्र प्रदेश]] और पूर्वी [[महाराष्ट्र]] के क्षेत्र तक है। इस क्षेत्र में मुख्यतः [[मैंगनीज]], [[बॉक्साइट]], [[कोयला]], [[लौह अयस्क]], [[ग्रेफाइट]], [[चूना पत्थर]] आदि पाये जाते हैं। | ||
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इस क्षेत्र में [[कर्नाटक]] का पठार और [[तमिलनाडु]] का उच्च क्षेत्र शामिल हैं। यहां लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट आदि खनिज प्राप्त होते हैं। इस क्षेत्र में नेवली के लिग्नाइट को छोड़कर कोयला, तांबा एवं अभ्रक की उपलब्धता नगण्य है। | इस क्षेत्र में [[कर्नाटक]] का पठार और [[तमिलनाडु]] का उच्च क्षेत्र शामिल हैं। यहां लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट आदि खनिज प्राप्त होते हैं। इस क्षेत्र में नेवली के लिग्नाइट को छोड़कर कोयला, तांबा एवं अभ्रक की उपलब्धता नगण्य है। | ||
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12:07, 10 मार्च 2015 के समय का अवतरण
खनिज सम्पदा की उपलब्धता की दृष्टि से भारत की गणना विश्व के खनिज संसाधन सम्पन्न देशों में की जाती है। चूंकि भारत की भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखण्डों का योगदान है, अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिजों की प्राप्ति होती है। एक तरफ यहाँ पर लोहा, मैंगनीज, टंग्स्टन, तांबा, सीसा, जस्ता, बॉक्साइट, सोना, चाँदी, इल्मेनाइट, बैराइट, मैग्नेसाइट, सिलेमैनाइट, टिन आदि धात्विक खनिज मिलते हैं, तो दूसरी तरफ अधात्विक खनिजों जैसे - अभ्रक, एसबेस्टस, पायराइट, नमक, जिप्सम, हीरा, काइनाइट, इमारती पत्थर, संगमरमर, चूना पत्थर, विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ आदि भी मिलते हैं। अणुशक्ति के खनिजों यथा - यूरेनियम, थोरियम, इल्मैनाइट, बेरिलियम, जिरकॉन, सुरमा, ग्रेफाइट आदि भी भारत में यत्र-तत्र मिलते हैं। प्राकृतिक शक्ति साधनों में कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की भी प्राप्ति स्थलीय एवं अपतट क्षेत्रों में होती है।
भारत में खनिज क्षेत्र
भारत के खनिज क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है।
उत्तरी पूर्वी प्रायद्वीपीय क्षेत्र
यह क्षेत्र भारतीय खनिज की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। इसे ‘भारतीय खनिज का हद्य स्थल’ कहा जाता है। यह आर्कियन शिल्ड क्षेत्र है जिसका संपूर्ण भाग उड़ीसा का पठार, छोटानागपुर का पठार, छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग आदि से बना है। यहाँ का मुख्य खनिजों में कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, तांबा, बॉक्साइट आदि बहुतायत में मिलते हैं। इस क्षेत्र में काइनाइट 100 प्रतिशत, लौह अयस्क 93 प्रतिशत, कोयला 84 प्रतिशत, क्रोमाइट 70 प्रतिशत आदि मिलते हैं।
मध्य क्षेत्र
यह भारत का दूसरा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र है। इसका विस्तार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आंध्र प्रदेश और पूर्वी महाराष्ट्र के क्षेत्र तक है। इस क्षेत्र में मुख्यतः मैंगनीज, बॉक्साइट, कोयला, लौह अयस्क, ग्रेफाइट, चूना पत्थर आदि पाये जाते हैं।
दक्षिण क्षेत्र
इस क्षेत्र में कर्नाटक का पठार और तमिलनाडु का उच्च क्षेत्र शामिल हैं। यहां लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट आदि खनिज प्राप्त होते हैं। इस क्षेत्र में नेवली के लिग्नाइट को छोड़कर कोयला, तांबा एवं अभ्रक की उपलब्धता नगण्य है।
दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र
दक्षिणी कर्नाटक और गोवा इस क्षेत्र में आते हैं। यहां पर नारनेट, लौह अयस्क, तथा क्ले मिलते हैं।
उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र
इस क्षेत्र के अंतर्गत अरावली के क्षेत्र तथा गुजरात के भाग आते हैं। इसे यूरेनियम, अभ्रक, स्टीयराइट तथा खनिज तेल के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां सामान्यतः अलौह खनिजें, जिनमें मुख्य रूप से तांबा, सीसा, जस्ता, आदि शामिल हैं, मिलती हैं।
अणुशक्ति के खनिज
भारत में कोयला, खनिज तेल तथा जल विद्युत शक्ति के ऊर्जा संसाधनो की कमी को देखते हुए अणु शक्ति पर ज़ोर दिया जा रहा है। यह ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है जिसमें कम मात्रा में खनिज विशेष का प्रयोग करके मज़बूत सुरक्षात्मक उपाय अपनाकर अत्याधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। भारत में मिलने वाले अणु शक्ति के प्रमुख खनिज एवं उनका वितरण निम्न प्रकार हैं-
भारतीय खनिज सम्पदा की स्थिति
विश्व में खनिज की प्राप्ति की दृष्टि से भारत में कुछ खनिजों की प्राप्ति बहुतायात से हाती है तो कुछ मात्र आवश्यकता भर के लिए ही उपलब्ध होतें है। इसके अलावा कुछ खनिज है। जिनकी भारत में कमी है और जिनकी आवश्यकता पूर्ति आयात द्वारा ही ऐसा सम्भव हो पाती है। खनिज सम्पदा की वर्तमान स्थिति निमन प्रकार है-
- लौह अयस्क, अभ्रक, दुर्लभ मृदाएं, टिटैनियम अयस्क तथा थोरियम अयस्क के उत्पादन में भारत का विश्व में महात्तवपूर्ण स्थान है।
- बॉक्साइट, मैग्नेसाइट, ग्रेनाइट, कोरण्डम, मैंगनीज, सिलिका, सिलिमेनाइट, काइनाइट तथा स्टिचटाइट की प्राप्ति देया में बहुतायत से होती हैं।
- एल्यूमिनियम, एन्टिमोनी (सुरमा), आररोनिक, क्रोमियम अयस्क, कोयला, सीसा, जिप्सम, बेराइट्स, लाइमस्टोन, डोलामाइट, सोडियम लवण, संगमरमर, यूरेनियम, जिरिकोनियम, बैनिडियम, विभिन्न प्रकार के पत्थर आदि खनिज पदार्थो में भारत आत्मनिर्भर हैं।
- पोटाश, कैडमियम, बिस्मथ, प्लेटिनम, ग्रेफाइट, पारा (मर्करी), निकिल, कोबाल्ट, फॉस्फोरस, चाँदी, सल्फर, टिन, जिंक, टंग्स्टन, एम्फाल्ट, सीसा आदि की भारत में कमी है, जिसे विदेशों से आयात किया जाता है।
- भारत में सामरिक महत्तव के 26 खनिजों की प्राप्ति होती है, जिनमें ऐलुमिनियम, कोयला, क्रोमियम, एन्टिमोनी, ताँबा, मैंगनीज, मैग्रीशियम, अभ्रक, मोलिब्डेनम, टैण्टेलम, टाइटेनियम, यूरेनियम, थोरियम, वैनेडियम, प्लेटिनम, पोटाश, सीसा, पारा, टिन, जिंक, निकिल, ग्रेफाइट, सल्फर, टंग्स्टनआदि शामिल हैं।
- सामरिक महत्तव के 10 खनिजों की मात्रा भारत मे अपर्याप्त है। इनकी कमी को आयात द्वारा पूरा किया जाता है। ये खनिज हैं- टंग्स्टन, प्लेटिनम, जिंक, ग्रेफाइट, सीसा, सल्फर, पोटाश, पारा (मर्करी) टिन तथा निकिल।
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