भारवि के अनमोल वचन

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भारवि के अनमोल वचन
  • राग और द्वेष से दूषित स्वभाव वाले लोगों के मन सज्जनों के विषय में भी विकारपूर्ण हो जाते हैं।
  • गुणों से गुरुता होती है, न कि बाह्य आकार से।
  • निष्काम होकर नित्य अपना काम करने वाले की गोद में ही उत्सुक होकर सफलता आती है।
  • नि:स्पृह मुनि शत्रुओं की उपेक्षा कर शांति से सफलता प्राप्त करते हैं, किंतु राजा नहीं।
  • एकाएक बिना विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए। सम्यक विचार न करना परम आपत्ति का उत्पादक होता है। गुण के ऊपर अपने आप को समर्पण करने वाली संपत्तियां विचारवान पुरुष को स्वयं मनोनीत करती हैं।
  • हितकारी और मनोरम बात दुर्लभ होती है।
  • समृद्धियां पराक्रमी मनुष्य के साथ रहती हैं, अनुत्साही मनुष्य के साथ नहीं।
  • जो स्वाभवत: सुंदर हैं, उनकी विकृति भी शोभादायक होती है।
  • मुक्ति चाहने वाले विरक्त लोगों को भी अच्छे लोगों के प्रति पक्षपात होता है।


इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत



टीका टिप्पणी और संदर्भ


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