भारतीय खेल प्राधिकरण
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- भारत सरकार ने जनवरी 1984 में भारतीय खेल प्राधिकरण की स्थापना एवं पंजीकृत सोसाइटी के रूप में की थी।
- प्रारंभ में इसका उद्देश्य 1982 में एशियाड के दौरान दिल्ली में निर्मित खेलकूद की बुनियादी सुविधाओं के कारगर रख-रखाव तथा उनके अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करना था। अब यह देश में खेलों के विस्तार तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में विशेष उपलब्धि के लिए खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की नोडल एजेंसी बन गई है।
- खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए शीर्ष पर एक ही एजेंसी स्थापित करने के उद्देश्य से 1 मई, 1987 को राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा और खेलकूद सोसाइटी (एसएनआईपीईएस) का भारतीय खेल प्राधिकरण में विलय कर दिया गया। इसके बाद, नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेलकूद संस्थान (एनएसएनआईएस) पटियाला और बंगलौर, कोलकाता तथा गांधीनगर में इसके केंद्र तथा तिरुअनंतपुरम के लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक व्यायाम शिक्षा विद्यालय भी भारतीय खेल प्राधिकरण के अंतर्गत आ गए। अब इसके छह क्षेत्रीय केंद्र बंगलौर, गांधीनगर, कोलकाता, चंडीगढ़, भोपाल और इंफाल में हैं और दो उपकेंद्र गुवाहाटी (असम) और लखनऊ (यूपी) में है।
- बुनियादी खेल सुविधाएँ अब सोनीपत में जुटाई जा रही हैं।
- भारतीय खेल प्राधिकरण शिलारू (हिमाचल प्रदेश) में एक हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग सेंटर भी संचालित करता है।
- भारतीय खेल प्राधिकरण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय खेल प्रतिभा (एनएसटीसी), आर्मी ब्वायज स्पोर्ट्स कंपनी (एबीएससी), भारतीय खेल प्राधिकरण प्रशिक्षण केंद्र (एसटीसी) तथा विशेष क्षेत्रीय खेल (एसएजी) जैसी योजनाओं का संचालन करता है।
- भारतीय खेल प्राधिकरण ने विशेष प्रतिभा संपन्न खिलाड़ियों के लिए अपने सभी क्षेत्रीय केंद्रों तथा राष्ट्रीय खेल कूद संस्थान, पटियाला में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किए हैं।
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