किरीट सवैया
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किरीट सवैया नामक छंद आठ भगणों से बनता है। तुलसी, केशव, देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है। इसमें 12, 12 वर्णों पर यती होती है।
- "जानकी जीवन को जन है जरि जाउ सो आँचल औरहि।" [1]
- "तोरथो सरासन संकर को जेहि सोऽब कहा तुव लंक न तोरहि।"[2]
- "अंसबली जनम्यौ जदुबंस, सुजान्यौ जसोमति कंस-कथा सुनि।" [3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।
बाहरी कड़ियाँ
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