अरविन्द सवैया

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अरविन्द सवैया आठ सगण और लघु के योग से छन्द बनता है। 12, 13 वर्णों पर यति होती है और चारों चरणों में ललितान्त्यानुप्रास होता है।

  • "अधिरात अँध्यार को मेघ छटा, घुमड़ी छुटि बिज्जु छटा चहुँ ओर।"[1]
  • "कुछ और नहीं युग लोचनाँ में, प्रतिबिम्बित है अनुराग अमन्द।"[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देव : शब्द रसायन, पृष्ठ 10, 154
  2. चन्द्राकर

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 742।

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