अमेषा स्पेंता

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अमेषा स्पेंता पारसी धर्म में अहुर मज़्दा से उत्पन्न छह दिव्य रूपों में से एक है, जिन्हें प्रकाश का रूप माना जाता है। जरथुस्त्र की गाथाओं में अहुर मज़्दा समेत अमेषा स्पेंता आपस में और मनुष्यों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, ताकि मनुष्य तथा ब्रह्मांड अस्तित्व के पुनर्जीवन, यानी फ़्राशोकेरेटी तक पहुंच सके, जिसकी सभी जीवों को कामना होती है।[1]

  • बाद के पारसी धर्म में अमेषा स्पेंता को विशिष्ट भौतिक क्षेत्र के संरक्षण के लिए निर्धारित किया गया और उन्हें एक विशेष पुष्प प्रदान किया गया।
  • 'अमेषा स्पेंता' अवेस्ताई शब्द है, जिसका अर्थ होता है- 'उपकारी अनश्वर'।
  • अहुर मज़्दा ब्रह्मांड तथा इसके सभी जीवों का निर्देशन करते हैं। उनका फूल सफ़ेद चमेली है, जिसके पत्ते मेहंदी के पत्तों जैसे हैं।
  • 'वोहू मनाह'[2] जीव जगत् पर शासन करते हैं। उनका प्रतीक चिन्ह सफ़ेद गाय है और मेंहदी उनका फूल है। आशा[3] का प्रतीक चिन्ह आग है और 'मीठा मरुआ' उनका पुष्प है।
  • 'क्षहत्र'[4] धातु पर शासन करते हैं। शाही तुलसी उनका पुष्प है।
  • 'आरमैती'[5] धरती माता की आत्मा हैं। मीठी तुलसी उनका फूल है।
  • कहा जाता है कि जुड़वां हौर्वतात और एमेरेतात[6], अहुर मज़्दा की बुद्धिमता में निवास करते हैं और अच्छाई तथा दानशीलता का जीवन व्यतीत करने के बदले किसी मनुष्य को पुरस्कृत करते हैं।
  • हौर्वतात जल पर शासन करते हैं और कुमुदिनी उनका प्रतीक है। एमेरेतात पौधों पर शासन करती हैं तथा उनका पुष्प श्वेत या क्षीर चंपक है।
  • अहुर मज़्दा के साथ अमेषा स्पेंता का प्रत्येक मनुष्य में वास है और ये मनुष्य जाति को उसके नियत अंत फ़्राशोकेरेटी की और अग्रसर करती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत ज्ञानकोश, खण्ड-1 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 40 |
  2. अच्छा मानस
  3. सत्य, न्याय और ब्रह्मांडीय क्रम का परिचायक
  4. शक्ति और संप्रभुता
  5. समर्पण, प्रेम और धर्मनिष्ठता
  6. पूर्णता और अनश्वरता

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