अहुर मज़्दा
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अहुर मज़्दा को पारसी धर्म में देवता माना गया है। यह 'होरमाज़्दा', 'ओरमाज़्दा' या 'ऑरमिज़्द' भी कहलाते हैं। पारसी धर्म के अनुसार एक ओर केवल एक परम सर्जक दादरॅस, जो अमेषा स्पेंता के रूप में ज्ञात, विशेष शक्तियों के माध्यम से समूचे ब्रह्मांड पर शासन करते हैं। पारसी धर्म पैगम्बरी धर्म है, क्योंकि ज़रथुष्ट्र को पारसी धर्म में 'अहुर मज़्दा' (ईश्वर) का पैगम्बर माना गया है। एक गाथा के अनुसार ज़रथुष्ट्र को अहुर मज़्दा सत्य धर्म की शिक्षा देने के लिए पैगम्बर नियुक्त किया गया था।
- ज़रथुष्ट्र या यूनानी नाम ज़ोरास्टर ने तीन प्रमुख देवताओं 'मिथ्र', 'मज़्दा' और 'नीना' में से मज़्दा का चुनाव किया था। उन्होंने मज़्दा (बुद्धिमता) को 'अहुर' (जीवित) के नाम से ज्ञात देवताओं के समूह से जोड़ा। अपनी गाथाओं (बुद्धिमता की प्रशंसा में स्तोत्र) में ज़रथुष्ट्र ने इस बात पर जोर दिया कि अहुर मज़्दा ही सत्य से युक्त (आशा) हैं।[1]
- विश्व में शैतान की शुरुआत की व्याख्या करते हुए ज़रथुष्ट्र ने अपने समय से काफ़ी पहले से मौजूद जुड़वां मैन्यू की किंवदंती का इस्तेमाल किया। ये जुड़वां विचार, शब्द और कर्म में एक दूसरे के विरोधी थे। स्पेंता मैन्यु, जो उपकारी आत्मा थी, को अहुर मज़्दा कहा गया।
- विरोधी आत्मा संग्र मैन्यू ने दुष्कर्म करने का निश्चय किया और इस प्रकार द्रुज (झूठ) और आइस्मा (कोप और रक्तपिपास) का जन्म हुआ, बाद में अंग्र मैन्यू का नाम अर्हिमन हो गया। मनुष्य जाति दो विरोधी समूहों में बंट गई-
- सत्य के अनुयायी 'आशावान'
- मिथ्या के अनुयायी 'द्रेगवंत'
- इन दोनों समूहों के बीच होने वाले संघर्ष से विश्व इतिहास की रचना हुई। यह संघर्ष तब समाप्त होगा, जब समय के अंत में अहुर मज़्दा और उनकी शक्तियों का अर्हिमन तथा उनकी बुराइयों के साथ भयंकर युद्ध होगा।
- सूर्य दोपहर की स्थिति में स्थित रहेगा, न गर्म हवा चलेगी न ठंडी, लेकिन दिव्य झरना बहता रहेगा, मनुष्य जाति को सुंदर काया प्राप्त होगी और हमेशा युवा तथा सुंदर दिखती रहेगी। लिंग भेद नहीं होगा, लेकिन सभी लोग एक खुशहाल परिवार की तहर सद्भाव से रहेंगे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यास्ना 28.8; 29.7