"सरला ग्रेवाल" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''सरला ग्रेवाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sarla Grewal'' ; जन्म- [[4 अक्टूबर]], [[1927]]; मृत्यु- [[29 जनवरी]], [[2002]], [[चण्डीगढ़]], [[पंजाब]]) '[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]' में [[भारत]] की दूसरी महिला अधिकारी थीं। उन्होंने [[पंजाब]] के अन्तर्गत अनेक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया था। सरला ग्रेवाल [[1956]] में [[शिमला]] की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई थीं। वे देश में इस पद पर दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। [[1963]] में वे पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव नियुक्त हुई थीं। उन्होंने पंजाब के विकास आयुक्त के रूप में [[1971]] से [[1974]] तीन वर्षों तक इस पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। इसके अन्तर्गत [[कृषि]] और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। सरला ग्रेवाल [[मध्य प्रदेश]] के [[राज्यपाल]] पद पर भी रहीं। इस पद पर उन्होंने [[31 मार्च]], [[1989]] से [[5 फ़रवरी]], [[1990]] तक कार्य किया।<ref>{{cite web |url= http://www.rajbhavanmp.in/grewal.asp|title= Former Governors of Madhya Pradesh|accessmonthday= 19 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= Raj Bhavan, Bhopal|language= हिन्दी}}</ref>
+
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
 +
|चित्र=Sarla-Grewal.jpg
 +
|चित्र का नाम=सरला ग्रेवाल
 +
|पूरा नाम=सरला ग्रेवाल
 +
|अन्य नाम=
 +
|जन्म=[[4 अक्टूबर]], [[1927]]
 +
|जन्म भूमि=
 +
|मृत्यु=[[29 जनवरी]], [[2002]]
 +
|मृत्यु स्थान=[[चण्डीगढ़]], [[पंजाब]]
 +
|मृत्यु कारण=
 +
|अविभावक=
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|स्मारक=
 +
|क़ब्र=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|प्रसिद्धि='[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]' में [[भारत]] की दूसरी महिला अधिकारी तथा [[मध्य प्रदेश]] की भूतपूर्व [[राज्यपाल]]।
 +
|पार्टी=
 +
|पद=[[राज्यपाल]], [[मध्य प्रदेश]]
 +
|कार्य काल='''राज्यपाल'''- [[31 मार्च]], [[1989]] से [[5 फ़रवरी]], [[1990]] तक।
 +
|शिक्षा=[[दर्शनशास्त्र]] में स्नातकोत्तर उपाधि
 +
|भाषा=
 +
|विद्यालय='[[पंजाब विश्वविद्यालय]]
 +
|जेल यात्रा=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=
 +
|विशेष योगदान=सरला ग्रेवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का सूत्रपात किया। विशेष रूप से महिला साक्षरता कार्यक्रम में उनकी भूमिका सराहनीय रही और नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=[[10 अगस्त]], [[1981]] को सरला ग्रेवाल 'समाज कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने समाज कल्याण की विभिन्न नीतियों और योजनाओं को नयी दिशा दी और उनमें बेहतर समन्वय स्थापित किया।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
 
 +
'''सरला ग्रेवाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sarla Grewal'' ; जन्म- [[4 अक्टूबर]], [[1927]]; मृत्यु- [[29 जनवरी]], [[2002]], [[चण्डीगढ़]], [[पंजाब]]) '[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]' में [[भारत]] की दूसरी महिला अधिकारी थीं। उन्होंने [[पंजाब]] के अन्तर्गत अनेक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया था। सरला ग्रेवाल [[1956]] में [[शिमला]] की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई थीं। वे देश में इस पद पर दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। [[1963]] में वे पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव नियुक्त हुई थीं। उन्होंने पंजाब के विकास आयुक्त के रूप में [[1971]] से [[1974]] तीन वर्षों तक इस पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। इसके अन्तर्गत [[कृषि]] और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। सरला ग्रेवाल [[मध्य प्रदेश]] के [[राज्यपाल]] पद पर भी रहीं। इस पद पर उन्होंने [[31 मार्च]], [[1989]] से [[5 फ़रवरी]], [[1990]] तक कार्य किया।<ref>{{cite web |url= http://www.rajbhavanmp.in/grewal.asp|title= Former Governors of Madhya Pradesh|accessmonthday= 19 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= Raj Bhavan, Bhopal|language= हिन्दी}}</ref>
 
==जन्म तथा शिक्षा==
 
==जन्म तथा शिक्षा==
 
सरला ग्रेवाल का जन्म 4 अक्टूबर, 1927 को हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आनर्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में सरला ग्रेवाल ने [[दर्शनशास्त्र]] में स्नातकोत्तर उपाधि '[[पंजाब विश्वविद्यालय]]' से प्राप्त की। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय में उन्होंने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।
 
सरला ग्रेवाल का जन्म 4 अक्टूबर, 1927 को हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आनर्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में सरला ग्रेवाल ने [[दर्शनशास्त्र]] में स्नातकोत्तर उपाधि '[[पंजाब विश्वविद्यालय]]' से प्राप्त की। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय में उन्होंने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।
 
====प्रशासनिक पद की पाप्ति====
 
====प्रशासनिक पद की पाप्ति====
वर्ष [[1952]] में सरला ग्रेवाल ने '[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]' में प्रवेश किया। वे उस समय इस सेवा में आने वाली [[भारत]] की दूसरी महिला अधिकारी थीं। उन्होंने [[पंजाब]] के अन्तर्गत अनेक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। [[1956]] में वे [[शिमला]] की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई और देश में इस पद का दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। सरला ग्रेवाल [[1962]] में शिक्षा संचालक बनने वाली पहली आई.ए.एस. अधिकारी थीं। इस हैसियत से उन्होंने प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल और विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षा प्रशासन के विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया।
+
वर्ष [[1952]] में सरला ग्रेवाल ने '[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]' में प्रवेश किया। वे उस समय इस सेवा में आने वाली [[भारत]] की दूसरी महिला अधिकारी थीं। उन्होंने [[पंजाब]] के अन्तर्गत अनेक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। [[1956]] में वे [[शिमला]] की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई और देश में इस पद का दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। सरला ग्रेवाल [[1962]] में शिक्षा संचालक बनने वाली पहली आई.ए.एस. अधिकारी थीं। इस हैसियत से उन्होंने प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल और विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षा प्रशासन के विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया।
 
====विदेश यात्रा====
 
====विदेश यात्रा====
 
इसी दौरान राज्य में युवक कार्यक्रमों और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों को उन्होंने शिक्षा प्रणाली के माध्यमिक स्तर पर व्यवसाय से जोड़ने की पहल की। वे बाद में [[रूस]] में माध्यमिक शिक्षा प्रणाली का अध्ययन करने गयीं। ब्रिटिश कौंसिल की छात्रवृत्ति पर दस [[महीने]] तक 'लन्दन स्कूल ऑफ इकनामिक्स' में विकासशील देशों में सामाजिक सेवाओं के स्वरूप का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया। इस शिक्षा पाठयक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा और समाज कल्याण सेवाओं की महत्ता पर बहुत जोर दिया गया था।
 
इसी दौरान राज्य में युवक कार्यक्रमों और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों को उन्होंने शिक्षा प्रणाली के माध्यमिक स्तर पर व्यवसाय से जोड़ने की पहल की। वे बाद में [[रूस]] में माध्यमिक शिक्षा प्रणाली का अध्ययन करने गयीं। ब्रिटिश कौंसिल की छात्रवृत्ति पर दस [[महीने]] तक 'लन्दन स्कूल ऑफ इकनामिक्स' में विकासशील देशों में सामाजिक सेवाओं के स्वरूप का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया। इस शिक्षा पाठयक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा और समाज कल्याण सेवाओं की महत्ता पर बहुत जोर दिया गया था।
 
==स्वास्थ्य विभाग की सचिव==
 
==स्वास्थ्य विभाग की सचिव==
[[1963]] में सरला ग्रेवाल पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव बनीं। इस कार्यकाल में पंजाब प्रदेश को राष्ट्रीय परिवार कलयाण कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिये चार सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। राज्य ने इस दौरान 'परिवार नियोजन कार्यक्रम' के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति और सफलतायें हासिल कीं। इस काल में राज्य में मातृ और शिशु-स्वास्थ्य-कल्याण सेवाओं के लिये एक दृढ़ आधारभूत संरचना निर्मित की गयी, जिससे 'परिवार नियोजन कार्यक्रम' के स्थायी रूप से अपनाने में महत्वपूर्ण सहायता मिली। इसके अतिरिक्त सरला ग्रेवाल ने राज्य में समाज-कल्याण और महिला-कल्याण कार्यक्रम एवं स्थानीय प्रशासन विभाग के दायित्वों का भी कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। वे सचिव, उद्योग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति तथा आयुक्त, गृह भी रहीं, जिसके अन्तर्गत पुलिस और परिवहन प्रशासन था।
+
[[1963]] में सरला ग्रेवाल पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव बनीं। इस कार्यकाल में पंजाब प्रदेश को राष्ट्रीय परिवार कलयाण कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिये चार सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। राज्य ने इस दौरान 'परिवार नियोजन कार्यक्रम' के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति और सफलतायें हासिल कीं। इस काल में राज्य में मातृ और शिशु-स्वास्थ्य-कल्याण सेवाओं के लिये एक दृढ़ आधारभूत संरचना निर्मित की गयी, जिससे 'परिवार नियोजन कार्यक्रम' के स्थायी रूप से अपनाने में महत्त्वपूर्ण सहायता मिली। इसके अतिरिक्त सरला ग्रेवाल ने राज्य में समाज-कल्याण और महिला-कल्याण कार्यक्रम एवं स्थानीय प्रशासन विभाग के दायित्वों का भी कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। वे सचिव, उद्योग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति तथा आयुक्त, गृह भी रहीं, जिसके अन्तर्गत पुलिस और परिवहन प्रशासन था।
 
====विकास आयुक्त====
 
====विकास आयुक्त====
सरला ग्रेवाल ने [[पंजाब]] के विकास आयुक्त के रूप में [[1971]] से [[1974]] तक जिम्मेदारी का निर्वाह किया। इसके अन्तर्गत [[कृषि]] और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। इस दौरान पंजाब ने खाद्यान्न उत्पादन में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। इसी कार्यक्रम में पंजाब में पशुपालन सेवा के क्षेत्र में विदेशी नस्ल के उत्तम पशु तैयार करने की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया। इससे छोटे किसानों के सहकारी दुग्ध उत्पादन केन्द्रों के संगठन का निर्माण हुआ। सरला ग्रेवाल ने तीन दुग्ध संयंत्रों की स्थापना की दिशा में भी बुनियादी भूमिका निभाई। वे [[मार्च]], [[1974]] से संयुक्त सचिव और आयुक्त, परिवार कल्याण रहीं। उन्होंने [[11 नवम्बर]], [[1976]] से [[भारत सरकार]] के 'परिवार कल्याण मंत्रालय' में अतिरिक्त सचिव और आयुक्त का दायित्व भी निभाया।
+
सरला ग्रेवाल ने [[पंजाब]] के विकास आयुक्त के रूप में [[1971]] से [[1974]] तक जिम्मेदारी का निर्वाह किया। इसके अन्तर्गत [[कृषि]] और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। इस दौरान पंजाब ने खाद्यान्न उत्पादन में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। इसी कार्यक्रम में पंजाब में पशुपालन सेवा के क्षेत्र में विदेशी नस्ल के उत्तम पशु तैयार करने की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया। इससे छोटे किसानों के सहकारी दुग्ध उत्पादन केन्द्रों के संगठन का निर्माण हुआ। सरला ग्रेवाल ने तीन दुग्ध संयंत्रों की स्थापना की दिशा में भी बुनियादी भूमिका निभाई। वे [[मार्च]], [[1974]] से संयुक्त सचिव और आयुक्त, परिवार कल्याण रहीं। उन्होंने [[11 नवम्बर]], [[1976]] से [[भारत सरकार]] के 'परिवार कल्याण मंत्रालय' में अतिरिक्त सचिव और आयुक्त का दायित्व भी निभाया।
 
==विभिन्न सभाओं की अध्यक्षता==
 
==विभिन्न सभाओं की अध्यक्षता==
सरला ग्रेवाल ने अनेक महत्वपूर्ण मंचों के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था, जिसमें 'विश्व स्वास्थ्य संगठन', 'भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद' और अन्य संगठन शामिल थे। उन्होंने जन्म दर नियंत्रण की दिशा में हो रहे नये अनुसंधान और शोध कार्यों से संबंधित विभिन्न सेमीनारों और सभाओं की भी अध्यक्षता की। वे [[नवम्बर]], [[1982]] में सचिव, शिक्षा और संस्कृति बनीं। इस दौरान प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा पर विशेष महत्व दिया गया। महिला साक्षरता एवं प्रौढ़ शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया।
+
सरला ग्रेवाल ने अनेक महत्त्वपूर्ण मंचों के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था, जिसमें 'विश्व स्वास्थ्य संगठन', 'भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद' और अन्य संगठन शामिल थे। उन्होंने जन्म दर नियंत्रण की दिशा में हो रहे नये अनुसंधान और शोध कार्यों से संबंधित विभिन्न सेमीनारों और सभाओं की भी अध्यक्षता की। वे [[नवम्बर]], [[1982]] में सचिव, शिक्षा और संस्कृति बनीं। इस दौरान प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा पर विशेष महत्व दिया गया। महिला साक्षरता एवं प्रौढ़ शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया।
 
==भारत का प्रतिनिधित्व==
 
==भारत का प्रतिनिधित्व==
सरला ग्रेवाल ने 'रॉयल कॉलेज ऑफ आब्सट्रेकट्रिशियन' और 'गायनोकालाजिस्ट्स लंदन' में [[1979]] में अतिथि वक्ता के रूप में महत्वपूर्ण भाषण दिया था। [[1980]] में [[भारत]] में 'परिवार कल्याण कार्यक्रम' के सन्दर्भ में [[दिल्ली]] में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में मातृ कल्याण और जन्म पूर्व मृत्यु दर, गर्भ समापन, जन्म निरोध आदि तकनीकी विषयों पर भी उन्होंने शोधपरक भाषण दिया था। सरला ग्रेवाल ने विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में [[भारत]] का कुशल प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने [[1977]], [[1979]] और [[जनवरी]], [[1981]] में न्यूयार्क में आयोजित 'संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या आयोग' के क्रमश: 19वें, 20वें और 21वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से अपने दायित्व का कुशल निर्वाह किया।
+
सरला ग्रेवाल ने 'रॉयल कॉलेज ऑफ आब्सट्रेकट्रिशियन' और 'गायनोकालाजिस्ट्स लंदन' में [[1979]] में अतिथि वक्ता के रूप में महत्त्वपूर्ण भाषण दिया था। [[1980]] में [[भारत]] में 'परिवार कल्याण कार्यक्रम' के सन्दर्भ में [[दिल्ली]] में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में मातृ कल्याण और जन्म पूर्व मृत्यु दर, गर्भ समापन, जन्म निरोध आदि तकनीकी विषयों पर भी उन्होंने शोधपरक भाषण दिया था। सरला ग्रेवाल ने विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में [[भारत]] का कुशल प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने [[1977]], [[1979]] और [[जनवरी]], [[1981]] में न्यूयार्क में आयोजित 'संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या आयोग' के क्रमश: 19वें, 20वें और 21वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से अपने दायित्व का कुशल निर्वाह किया।
 
====समाज कल्याण मंत्रालय की सचिव====
 
====समाज कल्याण मंत्रालय की सचिव====
[[10 अगस्त]], 1981 को वे 'समाज कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं। अपने इस कार्यकाल में उन्होंने समाज कल्याण की विभिन्न नीतियों और योजनाओं को नयी दिशा दी और उनमें बेहतर समन्वय स्थापित किया। इसमें महिला-कल्याण, बाल कल्याण और विकलांगों के कल्याण कार्यक्रम शामिल थे। इस दौरान मंत्रालय के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत, स्वैच्छिक संगठनों की स्थापना और विकास, विकलांगों के कल्याण के लिये राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना और सामाजिक क़ानून की दिशा में सराहनीय कार्य किया। सरला ग्रेवाल ने [[अक्टूबर]], 1981 में न्यूयार्क में आयोजित 'यूनीसेफ़ एक्जीक्यूटिव बोर्ड' के विशेष सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे [[1982]]-[[1983]] सत्र में 'यूनीसेफ़ एक्जीक्यूटिव बोर्ड' की कार्यक्रम समिति की सर्वानुमति से अध्यक्ष चुनी गयीं। उनके निर्देशन में महिलाओं के आर्थिक विकास की दिशा में विशेष कार्यक्रम संचालित किये गये थे।
+
[[10 अगस्त]], 1981 को वे 'समाज कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं। अपने इस कार्यकाल में उन्होंने समाज कल्याण की विभिन्न नीतियों और योजनाओं को नयी दिशा दी और उनमें बेहतर समन्वय स्थापित किया। इसमें महिला-कल्याण, बाल कल्याण और विकलांगों के कल्याण कार्यक्रम शामिल थे। इस दौरान मंत्रालय के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत, स्वैच्छिक संगठनों की स्थापना और विकास, विकलांगों के कल्याण के लिये राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना और सामाजिक क़ानून की दिशा में सराहनीय कार्य किया। सरला ग्रेवाल ने [[अक्टूबर]], 1981 में न्यूयार्क में आयोजित 'यूनीसेफ़ एक्जीक्यूटिव बोर्ड' के विशेष सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे [[1982]]-[[1983]] सत्र में 'यूनीसेफ़ एक्जीक्यूटिव बोर्ड' की कार्यक्रम समिति की सर्वानुमति से अध्यक्ष चुनी गयीं। उनके निर्देशन में महिलाओं के आर्थिक विकास की दिशा में विशेष कार्यक्रम संचालित किये गये थे।
 
==शिक्षा के क्षेत्र में योगदान==
 
==शिक्षा के क्षेत्र में योगदान==
सरला ग्रेवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन का सूत्रपात किया। विशेष रूप से महिला साक्षरता कार्यक्रम में उनकी भूमिका सराहनीय रही और नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किया। वे यूनेस्को की शिक्षा सलाहकार समिति में व्यक्तिगत हैसियत से प्रतिनिधि चुनी गयी थीं। उन्होंने दो [[वर्ष]] तक यूनेस्को के तत्वावधान में आयोजित अनेक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सभाओं में कुशल प्रतिनिधित्व किया। जिनेवा में 'इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ़ एजूकेशन' द्वारा आयोजित सम्मेलन में वे भारतीय प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुई। [[14 फ़रवरी]], [[1985]] में सरला ग्रेवाल 'स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं।
+
सरला ग्रेवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का सूत्रपात किया। विशेष रूप से महिला साक्षरता कार्यक्रम में उनकी भूमिका सराहनीय रही और नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण कार्य किया। वे यूनेस्को की शिक्षा सलाहकार समिति में व्यक्तिगत हैसियत से प्रतिनिधि चुनी गयी थीं। उन्होंने दो [[वर्ष]] तक यूनेस्को के तत्वावधान में आयोजित अनेक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सभाओं में कुशल प्रतिनिधित्व किया। जिनेवा में 'इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ़ एजूकेशन' द्वारा आयोजित सम्मेलन में वे भारतीय प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुई। [[14 फ़रवरी]], [[1985]] में सरला ग्रेवाल 'स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं।
 
==राज्यपाल==
 
==राज्यपाल==
 
[[25 सितम्बर]], [[1985]] को सरला ग्रेवाल [[प्रधानमंत्री]] की सचिव नियुक्त हुईं। इस पद का दायित्व उन्होंने कुशलतापूर्वक निभाया। इसके बाद वे [[मध्य प्रदेश]] की [[राज्यपाल]] मनोनीत हुईं। सरला ग्रेवाल ने [[31 मार्च]], [[1989]] से [[5 फ़रवरी]], [[1990]] तक सुशोभित किया था।
 
[[25 सितम्बर]], [[1985]] को सरला ग्रेवाल [[प्रधानमंत्री]] की सचिव नियुक्त हुईं। इस पद का दायित्व उन्होंने कुशलतापूर्वक निभाया। इसके बाद वे [[मध्य प्रदेश]] की [[राज्यपाल]] मनोनीत हुईं। सरला ग्रेवाल ने [[31 मार्च]], [[1989]] से [[5 फ़रवरी]], [[1990]] तक सुशोभित किया था।

12:16, 19 सितम्बर 2014 का अवतरण

सरला ग्रेवाल
सरला ग्रेवाल
पूरा नाम सरला ग्रेवाल
जन्म 4 अक्टूबर, 1927
मृत्यु 29 जनवरी, 2002
मृत्यु स्थान चण्डीगढ़, पंजाब
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' में भारत की दूसरी महिला अधिकारी तथा मध्य प्रदेश की भूतपूर्व राज्यपाल
पद राज्यपाल, मध्य प्रदेश
कार्य काल राज्यपाल- 31 मार्च, 1989 से 5 फ़रवरी, 1990 तक।
शिक्षा दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि
विद्यालय 'पंजाब विश्वविद्यालय
विशेष योगदान सरला ग्रेवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का सूत्रपात किया। विशेष रूप से महिला साक्षरता कार्यक्रम में उनकी भूमिका सराहनीय रही और नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
अन्य जानकारी 10 अगस्त, 1981 को सरला ग्रेवाल 'समाज कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने समाज कल्याण की विभिन्न नीतियों और योजनाओं को नयी दिशा दी और उनमें बेहतर समन्वय स्थापित किया।

सरला ग्रेवाल (अंग्रेज़ी: Sarla Grewal ; जन्म- 4 अक्टूबर, 1927; मृत्यु- 29 जनवरी, 2002, चण्डीगढ़, पंजाब) 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' में भारत की दूसरी महिला अधिकारी थीं। उन्होंने पंजाब के अन्तर्गत अनेक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया था। सरला ग्रेवाल 1956 में शिमला की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई थीं। वे देश में इस पद पर दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। 1963 में वे पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव नियुक्त हुई थीं। उन्होंने पंजाब के विकास आयुक्त के रूप में 1971 से 1974 तीन वर्षों तक इस पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। इसके अन्तर्गत कृषि और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। सरला ग्रेवाल मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद पर भी रहीं। इस पद पर उन्होंने 31 मार्च, 1989 से 5 फ़रवरी, 1990 तक कार्य किया।[1]

जन्म तथा शिक्षा

सरला ग्रेवाल का जन्म 4 अक्टूबर, 1927 को हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आनर्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में सरला ग्रेवाल ने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि 'पंजाब विश्वविद्यालय' से प्राप्त की। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय में उन्होंने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।

प्रशासनिक पद की पाप्ति

वर्ष 1952 में सरला ग्रेवाल ने 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' में प्रवेश किया। वे उस समय इस सेवा में आने वाली भारत की दूसरी महिला अधिकारी थीं। उन्होंने पंजाब के अन्तर्गत अनेक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। 1956 में वे शिमला की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई और देश में इस पद का दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। सरला ग्रेवाल 1962 में शिक्षा संचालक बनने वाली पहली आई.ए.एस. अधिकारी थीं। इस हैसियत से उन्होंने प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल और विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षा प्रशासन के विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया।

विदेश यात्रा

इसी दौरान राज्य में युवक कार्यक्रमों और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों को उन्होंने शिक्षा प्रणाली के माध्यमिक स्तर पर व्यवसाय से जोड़ने की पहल की। वे बाद में रूस में माध्यमिक शिक्षा प्रणाली का अध्ययन करने गयीं। ब्रिटिश कौंसिल की छात्रवृत्ति पर दस महीने तक 'लन्दन स्कूल ऑफ इकनामिक्स' में विकासशील देशों में सामाजिक सेवाओं के स्वरूप का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया। इस शिक्षा पाठयक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा और समाज कल्याण सेवाओं की महत्ता पर बहुत जोर दिया गया था।

स्वास्थ्य विभाग की सचिव

1963 में सरला ग्रेवाल पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव बनीं। इस कार्यकाल में पंजाब प्रदेश को राष्ट्रीय परिवार कलयाण कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिये चार सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। राज्य ने इस दौरान 'परिवार नियोजन कार्यक्रम' के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति और सफलतायें हासिल कीं। इस काल में राज्य में मातृ और शिशु-स्वास्थ्य-कल्याण सेवाओं के लिये एक दृढ़ आधारभूत संरचना निर्मित की गयी, जिससे 'परिवार नियोजन कार्यक्रम' के स्थायी रूप से अपनाने में महत्त्वपूर्ण सहायता मिली। इसके अतिरिक्त सरला ग्रेवाल ने राज्य में समाज-कल्याण और महिला-कल्याण कार्यक्रम एवं स्थानीय प्रशासन विभाग के दायित्वों का भी कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। वे सचिव, उद्योग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति तथा आयुक्त, गृह भी रहीं, जिसके अन्तर्गत पुलिस और परिवहन प्रशासन था।

विकास आयुक्त

सरला ग्रेवाल ने पंजाब के विकास आयुक्त के रूप में 1971 से 1974 तक जिम्मेदारी का निर्वाह किया। इसके अन्तर्गत कृषि और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। इस दौरान पंजाब ने खाद्यान्न उत्पादन में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। इसी कार्यक्रम में पंजाब में पशुपालन सेवा के क्षेत्र में विदेशी नस्ल के उत्तम पशु तैयार करने की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया। इससे छोटे किसानों के सहकारी दुग्ध उत्पादन केन्द्रों के संगठन का निर्माण हुआ। सरला ग्रेवाल ने तीन दुग्ध संयंत्रों की स्थापना की दिशा में भी बुनियादी भूमिका निभाई। वे मार्च, 1974 से संयुक्त सचिव और आयुक्त, परिवार कल्याण रहीं। उन्होंने 11 नवम्बर, 1976 से भारत सरकार के 'परिवार कल्याण मंत्रालय' में अतिरिक्त सचिव और आयुक्त का दायित्व भी निभाया।

विभिन्न सभाओं की अध्यक्षता

सरला ग्रेवाल ने अनेक महत्त्वपूर्ण मंचों के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था, जिसमें 'विश्व स्वास्थ्य संगठन', 'भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद' और अन्य संगठन शामिल थे। उन्होंने जन्म दर नियंत्रण की दिशा में हो रहे नये अनुसंधान और शोध कार्यों से संबंधित विभिन्न सेमीनारों और सभाओं की भी अध्यक्षता की। वे नवम्बर, 1982 में सचिव, शिक्षा और संस्कृति बनीं। इस दौरान प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा पर विशेष महत्व दिया गया। महिला साक्षरता एवं प्रौढ़ शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया।

भारत का प्रतिनिधित्व

सरला ग्रेवाल ने 'रॉयल कॉलेज ऑफ आब्सट्रेकट्रिशियन' और 'गायनोकालाजिस्ट्स लंदन' में 1979 में अतिथि वक्ता के रूप में महत्त्वपूर्ण भाषण दिया था। 1980 में भारत में 'परिवार कल्याण कार्यक्रम' के सन्दर्भ में दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में मातृ कल्याण और जन्म पूर्व मृत्यु दर, गर्भ समापन, जन्म निरोध आदि तकनीकी विषयों पर भी उन्होंने शोधपरक भाषण दिया था। सरला ग्रेवाल ने विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का कुशल प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 1977, 1979 और जनवरी, 1981 में न्यूयार्क में आयोजित 'संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या आयोग' के क्रमश: 19वें, 20वें और 21वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से अपने दायित्व का कुशल निर्वाह किया।

समाज कल्याण मंत्रालय की सचिव

10 अगस्त, 1981 को वे 'समाज कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं। अपने इस कार्यकाल में उन्होंने समाज कल्याण की विभिन्न नीतियों और योजनाओं को नयी दिशा दी और उनमें बेहतर समन्वय स्थापित किया। इसमें महिला-कल्याण, बाल कल्याण और विकलांगों के कल्याण कार्यक्रम शामिल थे। इस दौरान मंत्रालय के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत, स्वैच्छिक संगठनों की स्थापना और विकास, विकलांगों के कल्याण के लिये राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना और सामाजिक क़ानून की दिशा में सराहनीय कार्य किया। सरला ग्रेवाल ने अक्टूबर, 1981 में न्यूयार्क में आयोजित 'यूनीसेफ़ एक्जीक्यूटिव बोर्ड' के विशेष सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे 1982-1983 सत्र में 'यूनीसेफ़ एक्जीक्यूटिव बोर्ड' की कार्यक्रम समिति की सर्वानुमति से अध्यक्ष चुनी गयीं। उनके निर्देशन में महिलाओं के आर्थिक विकास की दिशा में विशेष कार्यक्रम संचालित किये गये थे।

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

सरला ग्रेवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का सूत्रपात किया। विशेष रूप से महिला साक्षरता कार्यक्रम में उनकी भूमिका सराहनीय रही और नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण कार्य किया। वे यूनेस्को की शिक्षा सलाहकार समिति में व्यक्तिगत हैसियत से प्रतिनिधि चुनी गयी थीं। उन्होंने दो वर्ष तक यूनेस्को के तत्वावधान में आयोजित अनेक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सभाओं में कुशल प्रतिनिधित्व किया। जिनेवा में 'इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ़ एजूकेशन' द्वारा आयोजित सम्मेलन में वे भारतीय प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुई। 14 फ़रवरी, 1985 में सरला ग्रेवाल 'स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं।

राज्यपाल

25 सितम्बर, 1985 को सरला ग्रेवाल प्रधानमंत्री की सचिव नियुक्त हुईं। इस पद का दायित्व उन्होंने कुशलतापूर्वक निभाया। इसके बाद वे मध्य प्रदेश की राज्यपाल मनोनीत हुईं। सरला ग्रेवाल ने 31 मार्च, 1989 से 5 फ़रवरी, 1990 तक सुशोभित किया था।

निधन

विलक्षण प्रतिभा की धनी और अनगिनत उच्च पदों पर कार्य करने वाली सरला ग्रेवाल का निधन 29 जनवरी, 2002 को चंडीगढ़, पंजाब में हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Former Governors of Madhya Pradesh (हिन्दी) Raj Bhavan, Bhopal। अभिगमन तिथि: 19 सितम्बर, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख