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}}'''वेमपति चिन्ना सत्यम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vempati Chinna Satyam'', जन्म- [[26 अक्टूबर]], [[1929]]; मृत्यु- [[29 जुलाई]], [[2012]]) भारतीय शास्त्रीय नर्तक और गुरु थे, जिन्हें शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी में निपुणता प्राप्त थी। वह अपनी उत्कृष्ट कला के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय थे। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, [[6 फ़रवरी]] [[1963]] को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई। [[भारत सरकार]] द्वारा उन्हें [[1998]] में '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था।
 
}}'''वेमपति चिन्ना सत्यम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vempati Chinna Satyam'', जन्म- [[26 अक्टूबर]], [[1929]]; मृत्यु- [[29 जुलाई]], [[2012]]) भारतीय शास्त्रीय नर्तक और गुरु थे, जिन्हें शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी में निपुणता प्राप्त थी। वह अपनी उत्कृष्ट कला के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय थे। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, [[6 फ़रवरी]] [[1963]] को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई। [[भारत सरकार]] द्वारा उन्हें [[1998]] में '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
वेमपति चिन्ना सत्यम 26 अक्टूबर, 1929 को [[आंध्र प्रदेश]] के एक छोटे से गाँव कुचिपुड़ी में एक पारंपरिक नर्तकों के परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने इस [[नृत्य]] को 9 वर्ष की उम्र में सीखना शुरू कर दिया था। वेमपति चिन्ना सत्यम ने तीन महान गुरुओं के मार्गदर्शन में कुचिपुड़ी नृत्य में महारथ हासिल की थी। प्रारंभ में उन्होंने वेदांतम लक्ष्मी नारायण शास्त्री से नृत्य सीखा, फिर तदपेल्ली पेरैय्या शास्त्री से बेहतरीन नृत्य के करतबों को सीखकर अपनी कला को परिष्कृत किया और बाद में हाव-भाव में सुंदरता लाने के लिए उनके बड़े भाई वेपत्ती सत्यम ने उनको प्रशिक्षित किया था।
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वेमपति चिन्ना सत्यम 26 अक्टूबर, 1929 को [[आंध्र प्रदेश]] के एक छोटे से गाँव कुचिपुड़ी में एक पारंपरिक नर्तकों के परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने इस [[नृत्य]] को 9 वर्ष की उम्र में सीखना शुरू कर दिया था। वेमपति चिन्ना सत्यम ने तीन महान गुरुओं के मार्गदर्शन में कुचिपुड़ी नृत्य में महारथ हासिल की थी। प्रारंभ में उन्होंने वेदांतम लक्ष्मी नारायण शास्त्री से नृत्य सीखा, फिर तदपेल्ली पेरैय्या शास्त्री से बेहतरीन नृत्य के करतबों को सीखकर अपनी कला को परिष्कृत किया और बाद में हाव-भाव में सुंदरता लाने के लिए उनके बड़े भाई वेपत्ती सत्यम ने उनको प्रशिक्षित किया था।<ref name="pp">{{cite web |url=https://hindi.mapsofindia.com/who-is-who/art-culture/vempati-chinna-satyam-in-hindi |title=वेम्पती चिन्ना सत्यम की जीवनी|accessmonthday=08 मई|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.mapsofindia.com |language=हिंदी}}</ref>
 
==नृत्य विद्यालय की स्थापना==
 
==नृत्य विद्यालय की स्थापना==
 
जब वेमपति चिन्ना सत्यम ने कुचिपुड़ी की कला में महारत हासिल कर ली, तो वह इस कला को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से मद्रास (वर्तमान [[चेन्नई]]) चले गए। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, [[6 फ़रवरी]] [[1963]] को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई। आज तक उन्होंने हजारों विद्यार्थियों को कुचिपुड़ी नृत्य की कठिन [[शैली]] और तकनीक सिखाई है। उन्होंने विजाग ([[विशाखापट्टनम]]) में वर्ष [[1985]] में 'कुचिपुड़ी कलाक्षेत्र' नामक एक और नृत्य विद्यालय की स्थापना की थी।
 
जब वेमपति चिन्ना सत्यम ने कुचिपुड़ी की कला में महारत हासिल कर ली, तो वह इस कला को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से मद्रास (वर्तमान [[चेन्नई]]) चले गए। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, [[6 फ़रवरी]] [[1963]] को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई। आज तक उन्होंने हजारों विद्यार्थियों को कुचिपुड़ी नृत्य की कठिन [[शैली]] और तकनीक सिखाई है। उन्होंने विजाग ([[विशाखापट्टनम]]) में वर्ष [[1985]] में 'कुचिपुड़ी कलाक्षेत्र' नामक एक और नृत्य विद्यालय की स्थापना की थी।
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*वेमपति चिन्ना सत्यम न केवल [[भारत]] में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। वर्ष [[1984]] में मियामी के मेयर द्वारा उन्हें 'गोल्डेन की' (सोने की चाभी) प्रस्तुत की गई थी।  
 
*वेमपति चिन्ना सत्यम न केवल [[भारत]] में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। वर्ष [[1984]] में मियामी के मेयर द्वारा उन्हें 'गोल्डेन की' (सोने की चाभी) प्रस्तुत की गई थी।  
 
*ओहियो के मेयर डायटन ने [[25 सितंबर]] [[1994]] को 'वेमपति चिन्ना सत्यम दिवस' मनाने की घोषणा की थी।
 
*ओहियो के मेयर डायटन ने [[25 सितंबर]] [[1994]] को 'वेमपति चिन्ना सत्यम दिवस' मनाने की घोषणा की थी।
*ओहियो गहना के मेयर ने [[27 अप्रैल]] [[1984]] को शास्त्रीय भारतीय कुचिपुड़ी बैले नृत्य नाटक दिवस के रूप में घोषित किया था।
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*ओहियो गहना के मेयर ने [[27 अप्रैल]] [[1984]] को शास्त्रीय भारतीय कुचिपुड़ी बैले नृत्य नाटक दिवस के रूप में घोषित किया था।<ref name="pp"/>
 
*[[3 नवंबर]] [[1994]] को अटलांटा के मेयर ने कुचिपुड़ी नृत्य नाटक दिवस और [[सितंबर]] में मेम्फिस के मेयर ने वर्ष [[24 सितम्बर]] [[1994]] को 'रामायणम दिवस' के रूप में घोषित किया तथा वेमपति चिन्ना सत्यम को शहर के मुख्य व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया था।
 
*[[3 नवंबर]] [[1994]] को अटलांटा के मेयर ने कुचिपुड़ी नृत्य नाटक दिवस और [[सितंबर]] में मेम्फिस के मेयर ने वर्ष [[24 सितम्बर]] [[1994]] को 'रामायणम दिवस' के रूप में घोषित किया तथा वेमपति चिन्ना सत्यम को शहर के मुख्य व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया था।
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==

08:03, 8 मई 2024 के समय का अवतरण

वेमपति चिन्ना सत्यम
वेमपति चिन्ना सत्यम
पूरा नाम वेमपति चिन्ना सत्यम
जन्म 26 अक्टूबर, 1929
जन्म भूमि कुचिपुड़ी , आंध्र प्रदेश
मृत्यु 29 जुलाई, 2012
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र कुचिपुड़ि नृत्य
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 1998

संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप, 1967

प्रसिद्धि शास्त्रीय नर्तक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी कुचिपुड़ी के प्रति वेमपति चिन्ना सत्यम की निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, 6 फ़रवरी 1963 को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई।

वेमपति चिन्ना सत्यम (अंग्रेज़ी: Vempati Chinna Satyam, जन्म- 26 अक्टूबर, 1929; मृत्यु- 29 जुलाई, 2012) भारतीय शास्त्रीय नर्तक और गुरु थे, जिन्हें शास्त्रीय नृत्य कुचिपुड़ी में निपुणता प्राप्त थी। वह अपनी उत्कृष्ट कला के कारण दुनिया भर में लोकप्रिय थे। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, 6 फ़रवरी 1963 को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1998 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था।

परिचय

वेमपति चिन्ना सत्यम 26 अक्टूबर, 1929 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव कुचिपुड़ी में एक पारंपरिक नर्तकों के परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने इस नृत्य को 9 वर्ष की उम्र में सीखना शुरू कर दिया था। वेमपति चिन्ना सत्यम ने तीन महान गुरुओं के मार्गदर्शन में कुचिपुड़ी नृत्य में महारथ हासिल की थी। प्रारंभ में उन्होंने वेदांतम लक्ष्मी नारायण शास्त्री से नृत्य सीखा, फिर तदपेल्ली पेरैय्या शास्त्री से बेहतरीन नृत्य के करतबों को सीखकर अपनी कला को परिष्कृत किया और बाद में हाव-भाव में सुंदरता लाने के लिए उनके बड़े भाई वेपत्ती सत्यम ने उनको प्रशिक्षित किया था।[1]

नृत्य विद्यालय की स्थापना

जब वेमपति चिन्ना सत्यम ने कुचिपुड़ी की कला में महारत हासिल कर ली, तो वह इस कला को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से मद्रास (वर्तमान चेन्नई) चले गए। कुचिपुड़ी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के फलस्वरूप अंततः, 6 फ़रवरी 1963 को मद्रास में 'कुचिपुड़ी कला अकादमी' की स्थापना हुई। आज तक उन्होंने हजारों विद्यार्थियों को कुचिपुड़ी नृत्य की कठिन शैली और तकनीक सिखाई है। उन्होंने विजाग (विशाखापट्टनम) में वर्ष 1985 में 'कुचिपुड़ी कलाक्षेत्र' नामक एक और नृत्य विद्यालय की स्थापना की थी।

पुरस्कार व सम्मान

बहुत जल्द ही वेमपति चिन्ना सत्यम आकाश में चमकते हुए सितारे की तरह देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गए। उन्हें कई खिताब और पुरस्कार, जैसे-

  • संगीत पीठ ऑफ बॉम्बे, अस्थाना नाट्यचर्या ऑफ तिरुमला तिरुपति देवस्थानम, टी.टी.के. से सम्मानित किया गया।
  • उन्हे संगीत अकादमी द्वारा 'स्मृति पुरुस्कार' जैसे- विशाखापट्टनम से नाट्य कलासागर, मद्रास से राजा लक्ष्मी पुरुस्कार, आंध्र विश्वविद्यालय से कलाप्रपूर्ण, गुंटूर से नाट्य कला भूषण, हैदराबाद से भरत कलाप्रपूर्ण, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से डी. लिट, पिट्सबर्ग से अस्थाना नाट्यचार्य और केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली से नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
  • उन्हें भारत के कई राज्य सरकारों से विभिन्न पुरस्कार, जैसे- तमिलनाडु सरकार द्वारा 'कालिदास पुरस्कार' और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 'कलैमामणि पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

प्रसिद्धि

  • वेमपति चिन्ना सत्यम न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। वर्ष 1984 में मियामी के मेयर द्वारा उन्हें 'गोल्डेन की' (सोने की चाभी) प्रस्तुत की गई थी।
  • ओहियो के मेयर डायटन ने 25 सितंबर 1994 को 'वेमपति चिन्ना सत्यम दिवस' मनाने की घोषणा की थी।
  • ओहियो गहना के मेयर ने 27 अप्रैल 1984 को शास्त्रीय भारतीय कुचिपुड़ी बैले नृत्य नाटक दिवस के रूप में घोषित किया था।[1]
  • 3 नवंबर 1994 को अटलांटा के मेयर ने कुचिपुड़ी नृत्य नाटक दिवस और सितंबर में मेम्फिस के मेयर ने वर्ष 24 सितम्बर 1994 को 'रामायणम दिवस' के रूप में घोषित किया तथा वेमपति चिन्ना सत्यम को शहर के मुख्य व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया था।

मृत्यु

कुचिपुड़ी नर्तक वेमपति चिन्ना सत्यम का निधन 29 जुलाई, 2012 को हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 वेम्पती चिन्ना सत्यम की जीवनी (हिंदी) hindi.mapsofindia.com। अभिगमन तिथि: 08 मई, 2024।

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[[Category:पद्म भूषण (1998)]