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* अर्बुदा-देवी मन्दिर का पुराना नाम नंदिवर्धन था।  
 
* अर्बुदा-देवी मन्दिर का पुराना नाम नंदिवर्धन था।  
 
* जैन ग्रन्थ विविधतीर्थकल्प के अनुसार आबूपर्वत की तलहटी में अर्बुद नामक नाग का निवास था, इसी के कारण यह पहाड़ आबू कहलाया।  
 
* जैन ग्रन्थ विविधतीर्थकल्प के अनुसार आबूपर्वत की तलहटी में अर्बुद नामक नाग का निवास था, इसी के कारण यह पहाड़ आबू कहलाया।  
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* दिलवाड़ा के मंदिरों से 8 किमी.उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं।  
 
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* पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान [[शिव]] को समर्पित है।  
 
* पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान [[शिव]] को समर्पित है।  

10:43, 3 अक्टूबर 2010 का अवतरण

माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू को राजस्थान का स्‍वर्ग भी माना जाता है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। माउंट आबू के ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटको को अपनी ओर खींचती है। इनमें कुछ पर्यटन स्थल शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं। माउंट आबू दर्शन के लिए पर्यटन विभाग द्वारा निजी बस ऑपरेटरों द्वारा साइटसीन टूर चलाए जाते हैं। ये टूर आधे दिन के होते हैं। वैसे जीप या टैक्सी द्वारा भी आबू भ्रमण किया जा सकता है। राजस्थान पर्यटन का कार्यालय बस स्टैंड के सामने है। जहाँ से यहाँ की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शहर के अंदर या पास के स्थान पैदल घूमते जा सकते है। कंडक्टेड टूर में हर स्थान पर सीमित समय ही दिया जाता है। माउंट आबू और आसपास के दर्शनीय स्थानों-

दिलवाड़ा जैन मंदिर

  • दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था।
  • यह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं।
  • जैन मंदिर स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने है। पाँच मंदिरों के इस समूह में विमल वासाही टेंपल सबसे पुराना है।
  • दिलवाड़ा जैन मंदिर में श्वेत संगमरमर के गुंबद का भीतरी भाग, दीवारें, छतें तथा स्तंभ अपनी महीन नक्काशी और अभूतपूर्व मूर्तिकारी के लिए संसार-प्रसिद्ध हैं।

नक्की झील

  • माउंट आबू के मध्य में स्थित यह झील माउंट आबू का सबसे पहला आकर्षण का केन्द्र है।
  • नक्की झील माउंट आबू का दिल है।
  • नक्की झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है।
  • नक्की झील में नौका विहार की भी व्यवस्था है।

गोमुख मंदिर

  • गोमुख मंदिर परिसर में गाय की एक मूर्ति है जिसके सिर के ऊपर प्राकृतिक रूप से एक धारा बहती रहती है।
  • मंदिर में अरबुआदा सर्प की एक विशाल प्रतिमा है।
  • संगमरमर से बनी नंदी की आकर्षक प्रतिमा को भी यहाँ देखा जा सकता है।

अर्बुदा-देवी मन्दिर

  • अर्बुदा-देवी का मन्दिर माउंट आबू की पहाड़ के ऊपर स्थित है।
  • अर्बुदा-देवी मन्दिर का पुराना नाम नंदिवर्धन था।
  • जैन ग्रन्थ विविधतीर्थकल्प के अनुसार आबूपर्वत की तलहटी में अर्बुद नामक नाग का निवास था, इसी के कारण यह पहाड़ आबू कहलाया।

अचलगढ़ क़िला व मंदिर

  • दिलवाड़ा के मंदिरों से 8 किमी.उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं।
  • पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है।

सनसेट प्वाइंट

  • सनसेट प्वांइट से डूबते हुए सूरज की खूबसूरती को देखा जा सकता है।
  • यहाँ से दूर तक फैले हरे भरे मैदानों के दृश्य आँखों को सुकून पहुंचाते हैं।

माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य

  • माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य मांउट आबू का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।
  • यहाँ मुख्य रूप से तेंदुए, स्लोथबियर, वाइल्ड बोर, सांभर, चिंकारा और लंगूर पाए जाते हैं।

गुरु शिखर

  • गुरु शिखर अरावली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है।
  • गुरु शिखर से कुछ पहले विष्णु भगवान के एक रूप दत्तात्रेय का मंदिर है।
  • शिखर पर एक ऊंची चट्टान है और एक बड़ा-सा प्राचीन घंटा लगा है।

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