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कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति

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कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति (अंग्रेज़ी: Kirti Stambha Inscriptions) का प्रशस्तिकार महेश भट्ट था। यह राणा कुंभा की प्रशस्ति है। इसमें बप्पा से लेकर राणा कुंभा तक की वंशावली का वर्णन है।

  • कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति में कुंभा की उपलब्धियों एवं उसके द्वारा रचित ग्रंथों का वर्णन मिलता है।
  • इस प्रशस्ति में चंडीशतक, गीतगोविंद की टीका संगीतराज आदि ग्रंथों का उल्लेख हुआ है।
  • प्रशस्ति में कुंभा को महाराजाधिराज अभिनव, भरताचार्य, हिंदुस्तान सुरतान, राय रायन, राणो, रासो छाप, गुरु दान गुरु, राजगुरु और सेल गुरु उपाधियों से पुकारा गया है।[1]
  • राणा कुंभा ने मालवा और गुजरात की सेना को हराने के बाद इस विजय के उपलक्ष में चित्तौड़ में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया था।
  • विजय स्तंभ की पांचवी मंजिल पर उत्कीर्ण है-

उत्कीर्णकर्त्ता- जेता, पौमा, नापा, पूँजा, जइता।
महाराणा कुंभा की उपलब्धियां तथा युद्धों का वर्णन।।

  • 179वें श्लोक में गुजरात में मालवा की सम्मिलित सेना को पराजित करने का साक्ष्य है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान के अभिलेख (हिंदी) govtexamsuccess.com। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2021।

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