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*यहाँ पर पहला युद्ध 1740 ई. में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के नवाब [[अलीवर्दी ख़ाँ]] और उसके प्रतिद्वन्दी [[सरफ़राज ख़ाँ]] के बीच हुआ था।
 
*यहाँ पर पहला युद्ध 1740 ई. में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के नवाब [[अलीवर्दी ख़ाँ]] और उसके प्रतिद्वन्दी [[सरफ़राज ख़ाँ]] के बीच हुआ था।
*गिरिया के पहले युद्ध में सरफ़राज ख़ाँ की पराजय हुई और वह मारा गया।
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*[[नादिरशाह]] के आक्रमण से व्याप्त हुई गड़बड़ी से लाभ उठाकर अलीवर्दी ख़ाँ ने घूस देकर [[दिल्ली]] से एक फ़रमान प्राप्त कर लिया, जिसके द्वारा सरफ़राज ख़ाँ को हटाकर उसकी जगह अलीवर्दी ख़ाँ को बंगाल का नवाब बनाया गया था।
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*अपने भाई हाज़ी अहमद और जगत सेठ की सहायता से अलीवर्दी ख़ाँ ने नवाब सरफ़राज ख़ाँ के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
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*1740 ई. में [[राजमहल]] के निकट 'गिरिया की लड़ाई' में सरफ़राज ख़ाँ मारा गया और बंगाल के नवाब की मसनद (गद्दी) पर अलीवर्दी ख़ाँ क़ाबिज़ हो गया। बादशाह को नज़राने में क़ीमती चीज़ें भेजकर उसने दिल्ली दरबार से नवाब बंगाल के रूप में फिर से सनद प्राप्त कर ली।
 
*दूसरी लड़ाई वर्ष 1763 ई. में नवाब [[मीर कासिम]] और [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के बीच लड़ी गई।
 
*दूसरी लड़ाई वर्ष 1763 ई. में नवाब [[मीर कासिम]] और [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के बीच लड़ी गई।
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*मीर कासिम की अंग्रेज़ों द्वारा पराजय हुई तथा बाद के तीन अन्य युद्धों में हार कर वह [[पटना]] भाग गया और बंगाल की गद्दी उससे छीन ली गई।
  
 
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09:26, 26 जुलाई 2013 का अवतरण

गिरिया बिहार के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है, जो राजमहल के निकट स्थित है। इस स्थान पर दो इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हुए थे।

  • यहाँ पर पहला युद्ध 1740 ई. में बंगाल के नवाब अलीवर्दी ख़ाँ और उसके प्रतिद्वन्दी सरफ़राज ख़ाँ के बीच हुआ था।
  • नादिरशाह के आक्रमण से व्याप्त हुई गड़बड़ी से लाभ उठाकर अलीवर्दी ख़ाँ ने घूस देकर दिल्ली से एक फ़रमान प्राप्त कर लिया, जिसके द्वारा सरफ़राज ख़ाँ को हटाकर उसकी जगह अलीवर्दी ख़ाँ को बंगाल का नवाब बनाया गया था।
  • अपने भाई हाज़ी अहमद और जगत सेठ की सहायता से अलीवर्दी ख़ाँ ने नवाब सरफ़राज ख़ाँ के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
  • 1740 ई. में राजमहल के निकट 'गिरिया की लड़ाई' में सरफ़राज ख़ाँ मारा गया और बंगाल के नवाब की मसनद (गद्दी) पर अलीवर्दी ख़ाँ क़ाबिज़ हो गया। बादशाह को नज़राने में क़ीमती चीज़ें भेजकर उसने दिल्ली दरबार से नवाब बंगाल के रूप में फिर से सनद प्राप्त कर ली।
  • दूसरी लड़ाई वर्ष 1763 ई. में नवाब मीर कासिम और अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच लड़ी गई।
  • मीर कासिम की अंग्रेज़ों द्वारा पराजय हुई तथा बाद के तीन अन्य युद्धों में हार कर वह पटना भाग गया और बंगाल की गद्दी उससे छीन ली गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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