गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल, सखी बड़ दुःख भेल. मन के मनोरथ मने रहि गेल, लैलो भिखारी पर सेहो बकलेल ! भोला के कतहुं जगत् नाहीं साँक लेल, बरके जे देखि गायनि धुरि गेल!! हमर गौरी नहिं छथि बकलेल, तिनका एहन बर कोना आनि गेल ! भनहिं विद्यापति बड़ दिन भेल, गौरी मंगन शिव आनन्द भेल !!