"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {उत्कीर्णन कार्य किसके द्वारा संपादित होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-167,प्रश्न-13 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[चित्रकार]] | ||
+ | +[[मूर्तिकार]] | ||
- | -वास्तुकार | ||
- | -संगीतकार | ||
|| | ||पत्थर, चट्टान, काष्ठ अथवा धातु के फलक पर उकेर कर किया गया कार्य 'उत्कीर्णन' कहलाता है। उत्कीर्णन कार्य [[मूर्तिकार]] द्वारा संपादित होता है। | ||
{[[ | {[[देविका रानी]] रोरिक को इनमें से कौन पुरस्कार मिला था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-183,प्रश्न-13 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[दादा साहेब फाल्के]] | |||
-[[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]] | |||
+ | -[[भारत रत्न]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||[[देविका रानी]] रोरिक को वर्ष [[1969]] में [[दादा साहेब फाल्के|दादा साहेब फाल्के पुरस्कार]] प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह प्रथम प्राप्तकर्ता थीं। | |||
-[[ | |||
- | |||
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{ | {चित्रकार बी.एन. आर्य का 'सांवरी' नामक चित्र सुरक्षित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-44 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[ललित कला अकादमी]] [[दिल्ली]] में | ||
-ललित कला संस्थान, [[लखनऊ]] में | |||
-[[ | +[[इलाहाबाद संग्रहालय]] में | ||
-[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में | |||
{तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-52 | {तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-52 | ||
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+[[रंग]] को पतला करने के लिए | +[[रंग]] को पतला करने के लिए | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में रंग को पतला करने के लिए किया जाता है। | ||तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में [[रंग]] को पतला करने के लिए किया जाता है। | ||
{वह कलाकार जिसने लोककला को अपनी चित्रण शैली के रूप में अपनाया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-69 | {वह कलाकार जिसने लोककला को अपनी चित्रण शैली के रूप में अपनाया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-69 | ||
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-सेजां | -सेजां | ||
||जॉर्ज सोरा की कला में प्रभाववाद से भिन्न नवीन दृष्टिकोण था, जिसको देखकर फेलिफनिओ ने उनकी कला शैली को 'नवप्रभाववाद' नाम दिया। प्रभाववाद से असंतुष्ट होकर रेंवाए (रेन्वा) ने मनुष्याकृतियों को ठोस रूप में चित्रित करके अपना चित्र 'स्नानमग्न युवतियां' बनाया तथा सोरा ने भी उसी विषय को लेकर नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' पूर्ण किया। सेजां ने ही 'स्नानमग्न युवतियां' के चित्र को चित्रित किया था। | ||जॉर्ज सोरा की कला में प्रभाववाद से भिन्न नवीन दृष्टिकोण था, जिसको देखकर फेलिफनिओ ने उनकी कला शैली को 'नवप्रभाववाद' नाम दिया। प्रभाववाद से असंतुष्ट होकर रेंवाए (रेन्वा) ने मनुष्याकृतियों को ठोस रूप में चित्रित करके अपना चित्र 'स्नानमग्न युवतियां' बनाया तथा सोरा ने भी उसी विषय को लेकर नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' पूर्ण किया। सेजां ने ही 'स्नानमग्न युवतियां' के चित्र को चित्रित किया था। | ||
{सोमेश्वर द्वारा लिखित ग्रंथ है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-152 | |||
|type="()"} | |||
-[[राजतरंगिणी]] | |||
+रसमाला | |||
-प्रमाण-मीमांसा | |||
-[[इंडिका]] | |||
||सोमेश्वर द्वारा लिखित ग्रंथ 'रसमाला' है। | |||
{किस चित्र में सृष्टि के सृजन, विनाश, जीवन तथा रमण का सजीव दृश्य दर्शाया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-234 | |||
|type="()"} | |||
+नटराज नृत्य | |||
-शिव नृत्य | |||
-कामदेव नृत्य | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||तिल्लई में शिव के नृत्य (परंपरागत नाम नटराज) को शिव की विभिन्न आकृतियों में ढाला गया है। [[शिव]] के जगत नृत्य को 'आनन्द तांडव' कहा जाता है। इसका अर्थ आनंद का नृत्य और सृजन तथा विनाश के ब्रह्मांड चक्र का प्रतीक है। नटराज नृत्य में सृजन, विनाश तथा ब्रह्म के रूप में जीवन-मरण के सभी दृश्यों को दिखाया गया है। नृत्य दैवीय ऊर्जा के पांच सिद्धांतों-सृजन, विनाश, रक्षण, मोक्ष (मरण) तथा माया का चित्रमय लक्षण प्रकट करता है। आनंद के. कुमारस्वामी के अनुसार, शिव का नृत्य उनके पांच क्रिया-कलापों को प्रस्तुत करता है- सृष्टि (सृजन, विकास), स्थिति (रक्षण, समर्थन), संहार (विनाश), तिरोभव (माया) और अनुग्रह (मुक्ति अथवा मोक्ष, ईश्वर की कृपा)। | |||
{किस कला शैली में रेखीय प्रवृति अत्यधिक प्रबल थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-169,प्रश्न-24 | |||
|type="()"} | |||
-शास्त्रीय कला शैली | |||
+रोमनस्क कला शैली | |||
-गोथिक कला शैली | |||
-बाइजेन्टाइन कला शैली | |||
||[[फ्रांस]], [[जर्मनी]], स्विट्जरलैंड व [[स्पेन]] जैसे देशों के रोमनस्क फ्रेस्को चित्रों में कुछ सामान्य विशेषताएं दृष्टिगोचर हैं, जो हैं- रंगों का समतल प्रयोग, काले या [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] की रेखाओं से आकारों का स्पष्टीकरण, रेखाओं का अनुवर्तित्व, दृश्यलद्युता की अपेक्षा व रेखाओं से आकारों का स्पष्टीकरण। | |||
{[[कला]] क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-178,प्रश्न-16 | |||
|type="()"} | |||
-प्रकृति का चित्रण | |||
-भावों का चित्रण | |||
-प्राणियों का चित्रण | |||
+कलाकार की अनुभूति से परिपूर्ण चित्रण | |||
||भारतीय परंपरा के अनुसार '[[कला]]' उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमें शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। एक कलाकार अपने जीवन की अनुभूति से चित्रण करता है। | |||
{'ऑस्कर' पुरस्कार की शुरुआत कब हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-23 | |||
|type="()"} | |||
-[[1913]] | |||
+[[1929]] | |||
-[[1931]] | |||
-[[1940]] | |||
||'एकेडमी अवॉर्ड' अथवा 'ऑस्कर' एक वार्षिक अमेरिकन पुरस्कार समारोह है जो फिल्म उद्योग में सिनेमा के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वालों को प्रदान किया गया है। विविध श्रेणी के इस पुरस्कार में विजेता को प्रतिभा प्रदान की जाती है। इसका प्रथम पुरस्कार [[16 मई]], [[1929]] को प्रदान किया गया। | |||
{प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-71 | |||
|type="()"} | |||
-रूपिका चावला | |||
+[[कल्पना चावला]] | |||
-दीपिका चावला | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री [[कल्पना चावला]] थीं। इनके पति का नाम जीव पियरे हैरिसन था। | |||
{सत्यजीण रे की फिल्म 'द इनर आई' किसके जीवन पर आधारित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-162 | |||
|type="()"} | |||
-[[के.जी. सुब्रह्मण्यम]] | |||
-के.के. हेब्बर | |||
-भवेश सान्याल | |||
+बिनोद बिहारी मुखर्जी | |||
||सत्यजीत रे की फिल्म 'द इनर आइ' बिनोद बिहारी मुखर्जी के जीवन का आधारित है। साउंड एवं ध्वनि सत्यजीत रे की है तथा सिनेमेटोग्राफी सौमेन्दु रॉय ने की है। | |||
{'[[मेघदूत]]' किसकी रचना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-22 | {'[[मेघदूत]]' किसकी रचना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-22 | ||
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-प्रतीक से | -प्रतीक से | ||
-रेखा से | -रेखा से | ||
-रंग से | -[[रंग]] से | ||
+प्रकाश-छाया से | +प्रकाश-छाया से | ||
||प्रकाश-छाया से आकृति आरूपित नहीं होती है। रेखाओं, वर्णों, छाया-प्रकाश अथवा धरातलीय गठन के प्रयोग से चित्र तल का निश्चय अंकन रूप कहलाता है। | ||प्रकाश-छाया से आकृति आरूपित नहीं होती है। रेखाओं, वर्णों, छाया-प्रकाश अथवा धरातलीय गठन के प्रयोग से चित्र तल का निश्चय अंकन रूप कहलाता है। | ||
{ | {मोनालिसा कहां संग्रहित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-108,प्रश्न-39 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+म्यूसी द लूव्र | +म्यूसी द लूव्र | ||
-ओरसे म्यूजियम | -ओरसे म्यूजियम | ||
-म्यूसी द क्वाय | -म्यूसी द क्वाय ब्रान्ले | ||
-म्यूसी रोंदा | -म्यूसी रोंदा | ||
|| | ||मोनालिसा इटैलियन [[चित्रकार]] [[लिओनार्दो दा विंची]] द्वारा 1508-06 ई. के मध्य चित्रित की गई। इस चित्र की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक दृश्य चित्र दर्शाया गया है। वर्तमान में यह पेरिस के लूव्र संग्रहालय में है। | ||
{'मैटरनिटी' चित्र किसने तैयार किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-52 | {'मैटरनिटी' चित्र किसने तैयार किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-52 | ||
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+पॉल गॉगिन | +पॉल गॉगिन | ||
-सेजां | -सेजां | ||
||मैटरनिटी (थ्री वुमेन ऑन द सी शोर अर्थात समुद्र तट पर तीन महिलाएं) नामक चित्र पॉल गॉगिन ने बनाया है, जिसे साधारणतया 'मैटरनिटी' के नाम से जानते हैं जिसे 1899 में तैल चित्रण द्वारा चित्रित किया है। यह चित्र रूप के हर्मिटेज (सेंट पीटर्सबर्ग) में सुरक्षित है। 'मैटरनिटी' नाम से पाब्लो पिकासो ने भी 1909 में एक चित्र बनाया था। | ||मैटरनिटी (थ्री वुमेन ऑन द सी शोर अर्थात [[समुद्र]] तट पर तीन महिलाएं) नामक चित्र पॉल गॉगिन ने बनाया है, जिसे साधारणतया 'मैटरनिटी' के नाम से जानते हैं जिसे [[1899]] में तैल चित्रण द्वारा चित्रित किया है। यह चित्र रूप के हर्मिटेज (सेंट पीटर्सबर्ग) में सुरक्षित है। 'मैटरनिटी' नाम से पाब्लो पिकासो ने भी [[1909]] में एक चित्र बनाया था। | ||
{'प्राइमावेरा' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-73 | {'प्राइमावेरा' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-73 | ||
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-एक उपन्यास | -एक उपन्यास | ||
-एक भवन | -एक भवन | ||
||'प्राइमावेरा' एक चित्रित है। इसे 'एलेगॉरी ऑफ़ स्प्रिंग' के नाम से भी जाना जाता है। इसे इतालवी पुनर्जागरण चित्रकार सैंड्रो बोत्तिसेली ने चित्रित किया था। | ||'प्राइमावेरा' एक चित्रित है। इसे 'एलेगॉरी ऑफ़ स्प्रिंग' के नाम से भी जाना जाता है। इसे इतालवी पुनर्जागरण [[चित्रकार]] सैंड्रो बोत्तिसेली ने चित्रित किया था। | ||
{नीचे दिए गए समूहों में से एक का चयन कीजिए जो उत्तर-प्रभाववादी रचनाओं के लिए उत्तरदायी कहा | {नीचे दिए गए समूहों में से एक का चयन कीजिए जो उत्तर-प्रभाववादी रचनाओं के लिए उत्तरदायी कहा |
11:08, 17 नवम्बर 2017 का अवतरण
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