"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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||'द चाइल्ड्स बाथ' (The Child's Bath) अथवा 'द बाथ' (The Bath) एक तैलीय चित्र (An Oil Painting) है, जिसका चित्रण अमेरिकी कलाकार मेरी कैसेट (Mary Cassatt) ने किया है। | ||'द चाइल्ड्स बाथ' (The Child's Bath) अथवा 'द बाथ' (The Bath) एक तैलीय चित्र (An Oil Painting) है, जिसका चित्रण अमेरिकी कलाकार मेरी कैसेट (Mary Cassatt) ने किया है। | ||
{[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता | {[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफ़ाओं]] की खोज कब हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-30,प्रश्न-15 | ||
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||1819 ई. में [[मद्रास]] रेजीमेंट के कुछ सैनिक लोमड़ी का पीछा करते हुए [[अजंता की गुफा]] तक पहुंचे और उन्होंने अजंता की महान कलाकृतियों को सर्वप्रथम देखा। 1824 ई. में लेफ्टीनेंट जेम्स ई. अलेक्जेंडर ने [[अजंता की गुफाएं|अजंता की गुफाओं]] को देखा और इन गुफाओं का विवरण 'रायल सोसाइटी लंदन' को भेजा। | ||1819 ई. में [[मद्रास]] रेजीमेंट के कुछ सैनिक लोमड़ी का पीछा करते हुए [[अजंता की गुफा]] तक पहुंचे और उन्होंने अजंता की महान कलाकृतियों को सर्वप्रथम देखा। 1824 ई. में लेफ्टीनेंट जेम्स ई. अलेक्जेंडर ने [[अजंता की गुफाएं|अजंता की गुफाओं]] को देखा और इन गुफाओं का विवरण 'रायल सोसाइटी लंदन' को भेजा। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफ़ाओं]] | ||
{महाराजा | {महाराजा संसार चंद द्वारा किस शैली को संरक्षण मिला? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-11 | ||
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-जैन शैली | -जैन शैली | ||
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+[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] | +[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] | ||
-सिख शैली | -सिख शैली | ||
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) | ||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) ने पहाड़ी [[चित्रकला]] शैली को संरक्षण प्रदान किया। कांगड़ा शैली (पहाड़ी शैली) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्रकला प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा संगीत के मर्मज्ञ थे। संसारचंद के समय [[कांगड़ा चित्रकला]] उन्नति के शिखर पर थी। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौर थे। | ||
{'स्कूल | {'स्कूल ऑफ़ एथेंस' किसका भित्तिचित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-29 | ||
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+ | +राफ़ेल | ||
-डेविड | -डेविड | ||
-[[सतीश गुजराल]] | -[[सतीश गुजराल]] | ||
- | -माइकल एंजिलो | ||
||पुनरुत्थानवादी [[चित्रकार]] (इटालियन) | ||पुनरुत्थानवादी [[चित्रकार]] (इटालियन) राफ़ेल सैंजिओ के प्रमुख चित्र हैं- सैनिक का स्वप्न, स्कूल ऑफ़ एथेंस, क्रूसीफिक्शन, सिस्टीन मेडोना, मेडोना ऑफ़ द गोल्ड फिंचम परनासस, ज्यूरिस प्रूडेंस, द मैरिज ऑफ़ वर्जिन, ट्रांसफिगरेशन इत्यादि। | ||
{'तृण पर भोजन' का [[चित्रकार]] कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-32 | {'तृण पर भोजन' का [[चित्रकार]] कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-32 | ||
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-कुर्बे | -कुर्बे | ||
-सेजां | -सेजां | ||
||1879 ई. में एडुवर्ड माने ने आकारों की स्पष्टता को कम करके विशुद्ध चमकीले रंगों का प्रयोग करते हुए एक नवीन कला (शैली) विकसित की। इस नवीन शैली के अप्रतिम उदाहरण हैं-'जार्ज मूर का व्यक्ति चित्र' तथा 'फिलिप बर्जेर का मदिरागृह'। | ||[[1879]] ई. में एडुवर्ड माने ने आकारों की स्पष्टता को कम करके विशुद्ध चमकीले [[रंग|रंगों]] का प्रयोग करते हुए एक नवीन कला (शैली) विकसित की। इस नवीन शैली के अप्रतिम उदाहरण हैं- 'जार्ज मूर का व्यक्ति चित्र' तथा 'फिलिप बर्जेर का मदिरागृह'। | ||
{'गोएर्निका' नामक चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-35 | {'गोएर्निका' नामक चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-35 | ||
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-एम.एन. सुजां | -एम.एन. सुजां | ||
-हेबर | -हेबर | ||
||भारतीय [[चित्रकार]] तथा 'पैग' के सदस्य [[सैयद हैदर रज़ा]] फ्रांसीसी सरकार से उच्च पुरस्कार मिलने के बाद वर्ष [[1950]] में पेरिस में बस गए। [[एस.एच. रज़ा]] ने फ्रेंच चित्रकार निकोल दस्ताल के समान विस्तृत क्षेत्रों पर चित्रण, चाकू से मूल रंगों का प्रयोग करके, मोटी परतों की चौड़ी धज्जियों में दृश्य चित्र बनाएं। | ||भारतीय [[चित्रकार]] तथा 'पैग' के सदस्य [[सैयद हैदर रज़ा]] फ्रांसीसी सरकार से उच्च पुरस्कार मिलने के बाद वर्ष [[1950]] में पेरिस में बस गए। [[एस.एच. रज़ा]] ने फ्रेंच चित्रकार निकोल दस्ताल के समान विस्तृत क्षेत्रों पर चित्रण, चाकू से मूल रंगों का प्रयोग करके, मोटी परतों की चौड़ी धज्जियों में दृश्य चित्र बनाएं। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[एस.एच. रज़ा]] | ||
{शीतल प्रभाव उत्पन्न करने वाले रंग होते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-12 | {शीतल प्रभाव उत्पन्न करने वाले [[रंग]] होते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-12 | ||
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-[[लाल रंग|लाल]], [[पीला रंग|पीला]] | -[[लाल रंग|लाल]], [[पीला रंग|पीला]] | ||
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||प्रकाशयुक्तता एवं अक्ष-पटल की उत्तेजना के विचार से कुछ वर्ण गरम और शीतल माने जाते हैं। लाल और [[नारंगी रंग|नारंगी]] वर्ण उष्ण (गर्म) हैं, नीला एवं हरा वर्ण शीतल (ठंडा)। पीला एवं बैंगनी न उष्ण हैं, न शीतल। | ||प्रकाशयुक्तता एवं अक्ष-पटल की उत्तेजना के विचार से कुछ वर्ण गरम और शीतल माने जाते हैं। लाल और [[नारंगी रंग|नारंगी]] वर्ण उष्ण (गर्म) हैं, नीला एवं हरा वर्ण शीतल (ठंडा)। पीला एवं बैंगनी न उष्ण हैं, न शीतल। | ||
{मोनालिसा की पेंटिंग किस रंग के विभिन्न टोनों में की गई है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-51 | {मोनालिसा की पेंटिंग किस [[रंग]] के विभिन्न टोनों में की गई है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-51 | ||
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-[[नीला रंग|नीला]] | -[[नीला रंग|नीला]] | ||
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-[[हरा रंग|हरा]] | -[[हरा रंग|हरा]] | ||
-[[लाल रंग|लाल]] | -[[लाल रंग|लाल]] | ||
||पेंटिंग 'मोनालिसा' के रंग के घटकों के वितरण का अध्ययन करने से पता चलता है कि चित्र में [[प्रकाश]] बहुत से छाया की ओर स्थानांतरण सफेद और काले में टोन के सामंजस्य | ||पेंटिंग 'मोनालिसा' के [[रंग]] के घटकों के वितरण का अध्ययन करने से पता चलता है कि चित्र में [[प्रकाश]] बहुत से छाया की ओर स्थानांतरण सफेद और काले में टोन के सामंजस्य से हुआ है। मोनालिसा की तस्वीर फ्लोरेंस के एक व्यापारी फ्रांसको देल जोकांदा की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनी' को देखकर आंकी गई है। 'मोनालिसा' के प्रसिद्ध चित्र में तीन आयाम हैं। | ||
{तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-52 | {तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-52 | ||
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- | -बाइंडर के रूप में | ||
-रंग में चमक के लिए | -[[रंग]] में चमक के लिए | ||
+[[रंग]] को पतला करने के लिए | +[[रंग]] को पतला करने के लिए | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
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+[[जामिनी राय]] | +[[जामिनी राय]] | ||
-ललिता मोहन सेन | -ललिता मोहन सेन | ||
||आधुनिक भारतीय चित्रकारों में जामिनी राय लोककला में प्रभावित कलाकार हैं। | ||आधुनिक भारतीय चित्रकारों में जामिनी राय लोककला में प्रभावित कलाकार हैं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[जामिनी राय]] | ||
{नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' किसने बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-42 | {नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' किसने बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-42 | ||
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-[[वाल्मीकि]] | -[[वाल्मीकि]] | ||
-[[कपिल मुनि]] | -[[कपिल मुनि]] | ||
||'[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के रचयिता [[कालिदास]] हैं। ऋतु संहार, | ||'[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के रचयिता [[कालिदास]] हैं। [[ऋतुसंहार|ऋतु संहार]], [[अभिज्ञानशाकुंतलम]], [[मेघदूत]], [[कुमारसंभव]] तथा [[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश ]] आदि कालिदास की प्रमुख रचनाएं हैं। कवि और नाटककार के रूप में कालिदास का अद्वितीय स्थान है। | ||
{'[[ललित कला अकादमी|केंद्रीय ललित कला अकादमी]]', [[नई दिल्ली]] के प्रथम [[अध्यक्ष]] कौन चुने गए थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-94 | {'[[ललित कला अकादमी|केंद्रीय ललित कला अकादमी]]', [[नई दिल्ली]] के प्रथम [[अध्यक्ष]] कौन चुने गए थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-94 | ||
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-[[मकबूल फिदा हुसैन]] | -[[मकबूल फिदा हुसैन]] | ||
-[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]] | -[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]] | ||
+डी.पी. रायचौधरी | +[[देवी प्रसाद रायचौधरी|डी.पी. रायचौधरी]] | ||
||देवी प्रसाद (डी.पी.) रायचौधरी राष्ट्रीय ललित कला अकादमी, [[नई दिल्ली]] के प्रथम अध्यक्ष चुने गए थे। उनका कार्यकाल 1954-1960 तक था। वे दांडी मार्च के रूप में पूरी तरह से भारतीय विषयों को चित्रित करने की पश्चिमी तकनीकी और प्रतिनिधित्व के रूपों में प्रयोग करने के लिए अपने समय में अद्वितीय थे। | ||देवी प्रसाद (डी.पी.) रायचौधरी राष्ट्रीय [[ललित कला अकादमी]], [[नई दिल्ली]] के प्रथम अध्यक्ष चुने गए थे। उनका कार्यकाल 1954-1960 तक था। वे दांडी [[मार्च]] के रूप में पूरी तरह से भारतीय विषयों को चित्रित करने की पश्चिमी तकनीकी और प्रतिनिधित्व के रूपों में प्रयोग करने के लिए अपने समय में अद्वितीय थे। | ||
{कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है- 'अकृति को रूप मिलता है...... (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-44 | {कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है- 'अकृति को रूप मिलता है...... (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-44 |
11:44, 16 नवम्बर 2017 का अवतरण
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