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==जन्म एवं परिचय==
==जन्म एवं परिचय==
[[प्रदेश]] के [[मुख्यमंत्री]] प्रफुल्लचंद्र सेन का जन्म 1897 ई. में हुगली जिले के आरामबाग नामक स्थान में एक गरीब परिवार में हुआ था। अपने पिता की हस्तांतरणीय सेवा के कारण, उन्होंने पूर्वी भारत के बिहार प्रांत में अपने बचपन बिताया। प्रफुल्लचंद्र ने [[बिहार]] के देवघर में आर मित्रा इंस्टीट्यूट से अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद, उन्होंने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में विज्ञान का अध्ययन किया। फिर [[कोलकाता]] विश्वविद्यालय से [[विज्ञान]] में स्नातक  हुए । गांधी के भाषण से प्रभावित होकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने विदेशों में अध्ययन की सभी योजनाओं को त्याग दिया और अंग्रेजों के खिलाफ एक जन गैर सहयोग आंदोलन के लिए महात्मा गांधी का साथ दिया। प्रफुल्लचंद्र सेन उदार जीवन शैली के साथ जीवन व्यतीत करते रहें।
[[प्रदेश]] के [[मुख्यमंत्री]] प्रफुल्लचंद्र सेन का जन्म 1897 ई. में हुगली जिले के आरामबाग नामक स्थान में एक गरीब परिवार में हुआ था। अपने पिता की हस्तांतरणीय सेवा के कारण, उन्होंने पूर्वी भारत के बिहार प्रांत में अपने बचपन बिताया। प्रफुल्लचंद्र ने [[बिहार]] के देवघर में आर मित्रा इंस्टीट्यूट से अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद, उन्होंने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में विज्ञान का अध्ययन किया। फिर [[कोलकाता]] विश्वविद्यालय से [[विज्ञान]] में स्नातक  हुए । गांधी के भाषण से प्रभावित होकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने विदेशों में अध्ययन की सभी योजनाओं को त्याग दिया और अंग्रेजों के खिलाफ एक जन गैर सहयोग आंदोलन के लिए महात्मा गांधी का साथ दिया। प्रफुल्लचंद्र सेन उदार जीवन शैली के साथ जीवन व्यतीत करते रहें।
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माधवी 3
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पूरा नाम प्रफुल्लचंद्र सेन
अन्य नाम आरामबाग के गांधी
जन्म 10 अप्रैल 1897
जन्म भूमि हुगली ज़िला
मृत्यु 25 सितम्बर,1990
मृत्यु स्थान कलकत्ता
नागरिकता भारतीय
धर्म हिन्दू
आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
जेल यात्रा 11 वर्ष
विद्यालय स्कॉटिश चर्च कॉलेज
शिक्षा स्नातक
विशेष योगदान स्वतंत्रता सेनानी, बंगाल के प्रमुख कांग्रेसी नेता थे।
संबंधित लेख महात्मा गाँधी, लाला लाजपतराय, बालगंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल
अन्य जानकारी 1968 के कांग्रेस विभाजन में इंदिरा जी के साथ न जाकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने पुराने नेतृत्व के साथ ही रहने का निश्चय किया था।

प्रफुल्लचंद्र सेन (अंग्रेज़ी: Prafulla Chandra Sen, जन्म-10 अप्रैल 1897, हुगली ज़िला; मृत्यु- 25 सितम्बर,1990, कलकत्ता) बंगाल के प्रमुख कांग्रेसी नेता, गांधी जी के अनुयायी और स्वतंत्रता सेनानी थे। प्रफुल्लचंद्र सेन 1961 से 1967 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे। ग्राम विकास के कार्यों और हरिजनोद्धार में योगदान के कारण उन्हें 'आरामबाग का गांधी' कहने लगे थे। प्रफुल्लचंद्र सेन ने 11 वर्ष तक जेल की सज़ा भी भोगी थी।[1]

जन्म एवं परिचय

प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रफुल्लचंद्र सेन का जन्म 1897 ई. में हुगली जिले के आरामबाग नामक स्थान में एक गरीब परिवार में हुआ था। अपने पिता की हस्तांतरणीय सेवा के कारण, उन्होंने पूर्वी भारत के बिहार प्रांत में अपने बचपन बिताया। प्रफुल्लचंद्र ने बिहार के देवघर में आर मित्रा इंस्टीट्यूट से अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद, उन्होंने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में विज्ञान का अध्ययन किया। फिर कोलकाता विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक हुए । गांधी के भाषण से प्रभावित होकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने विदेशों में अध्ययन की सभी योजनाओं को त्याग दिया और अंग्रेजों के खिलाफ एक जन गैर सहयोग आंदोलन के लिए महात्मा गांधी का साथ दिया। प्रफुल्लचंद्र सेन उदार जीवन शैली के साथ जीवन व्यतीत करते रहें।

गांधी जी के अनुयायी

प्रफुल्लचंद्र सेन के ऊपर आरंभ से लाला लाजपतराय, बालगंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल (लाल बाल पाल) के विचारों का प्रभाव था। रामकृष्णा परमहंस और स्वामी विवेकानंद से भी वे प्रभावित थे। बाद में जब गांधी जी से संपर्क हुआ तो वे सदा के लिए उनके अनुयायी बन गए। प्रफुल्लचंद्र सेन खादी उद्योग के समर्थन में थे।

स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

प्रफुल्लचंद्र सेन स्वतंत्रता आंदोलन में सदा सक्रिय रहे। 1921, 1930, 1932, 1934 और 1942 में उन्होंने कैद की सजा भोगी और कुल ग्यारह वर्ष तक जेल में बंद रहे। रचनात्मक कार्यों में प्रफुल्लचंद्र सेन की बड़ी निष्ठा थी। ग्राम विकास के कार्यों और हरिजनोद्धार में योगदान के कारण ओग उन्हें 'आरामबाग का गांधी' कहने लगे थे।

राजनैतिक जीवन

प्रफुल्लचंद्र सेन के राजनैतिक जीवन का आरंभ 1948 में डॉ. विधान चंद्र राय के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में सम्मिलित होने के साथ हुआ। 1962 में विधान चंद्र राय की मृत्यु के बाद वे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने और 1967 तक इस पद पर रहे। इस वर्ष के निर्वाचन में कांग्रेस पराजित हो गई थी। इसके बाद का प्रफुल्लचंद्र सेन का समय रचनात्मक कार्यों में ही बीता। 1968 के कांग्रेस विभाजन में इंदिरा जी के साथ न जाकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने पुराने नेतृत्व के साथ ही रहने का निश्चय किया। इस प्रकार उनकी राजनैतिक गतिविधियाँ समाप्त हो गईं।

निधन

प्रफुल्लचंद्र सेन का 25 सितंबर 1990 को कलकत्ता में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 486 |

बाहरी कड़ियाँ

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